केंद्र सरकार ने शरद पवार को उनके राजनीतिक योगदान के लिए पद्म विभूषण दिया था तब भी इस बात की बड़ी चर्चा हुई थी कि आखिर विपक्ष के इतने बड़े नेता को क्यों पद्म सम्मान दिया गया। इस बार सरकार ने मुलायम सिंह यादव और एसएम कृष्णा को दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया है तो फिर वही सवाल है। असल में पवार और मुलायम को सम्मान देने का एक ही मानक है। दोनों के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बहुत अच्छे संबंध रहे हैं। इससे ज्याद इसमें देखने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री एक बार बारामती गए थे तो उन्होंने कहा था कि वे बड़े फैसले से पहले या जटिल मुद्दों पर शरद पवार की राय लिया करते थे। सो, प्रधानमंत्री के साथ निजी संबंधों के चलते उनको दूसरा सर्वोच्च सम्मान मिला।
उसी तरह जो लोग यह व्याख्या करने में लगे हैं कि बिहार और उत्तर प्रदेश में यादव वोट के लिए मुलायम सिंह को पद्म विभूषण दिया गया है और यह मास्टरस्ट्रोक है, वे गलती कर रहे हैं। दोनों राज्यों में किसी स्थिति में यादव भाजपा को वोट नहीं करेंगे और यह बात प्रधानमंत्री मोदी और उनके चुनाव रणनीतिकारों को पता है। मुलायम सिंह को इसलिए पद्म विभूषण मिला क्योंकि उन्होंने 2014 के चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी को जीत का आशीर्वाद दिया था और 2019 से पहले उनको दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने की शुभकामना दी थी।
ध्यान रहे मुलायम सिंह में और जो चीज हो लेकिन वे राजनीतिक की नब्ज समझते थे। उनको दोनों बार पता था कि नरेंद्र मोदी जीतने जा रहे हैं। पहली बार का खुद प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 से पहले उन्होंने विपक्षी नेताओं को फोन किया तो उनमें से मुलायम सिंह ने उनको आशीर्वाद दिया और दूसरी बार तो मुलायम सिंह ने लोकसभा के अंदर मोदी को शुभकामना दी। एसएम कृष्णा का मामला भी बहुत साफ है। वे वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं, जिसके वोट को साधने की हर कोशिश भाजपा कर रही है। उनके राज्य कर्नाटक में तीन महीने में चुनाव होने हैं तो इस बहाने कुछ वोक्कालिगा वोट हासिल करने का दांव चला गया है।