राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

दलित-मुस्लिम राजनीति के प्रयास में ओवैसी

ऑल इंडिया एमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी बिहार की राजनीति में अपने लिए संभावना देख रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में जब बहुकोणीय मुकाबला हो रहा था तब उन्होंने पांच सीटें जीती थीं। सीमांचल के मुस्लिम बहुल इलाकों में उनके पांच विधायक जीत गए। ध्रुवीकरण तब भी था लेकिन भाजपा को हराने के लिए मुस्लिम वोटों का जैसा ध्रुवीकरण दूसरी जगहों पर होता है वैसा नहीं था क्योंकि भाजपा सीधे लड़ाई में नहीं थी। भाजपा की ओर से जदयू नेता नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। मुस्लिम उनको लेकर ज्यादा आशंकित नहीं रहते हैं। इसलिए भाजपा को हराने के लिए एकमुश्त वोट डालने की बजाय मुसलमानों ने सीमांचल में ओवैसी की पार्टी को वोट दिया। हालांकि बाद में चार विधायक राजद के साथ चले गए।

बहरहाल, अब ओवैसी बिहार में दलित और मुस्लिम समीकरण बनाने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव और उसके बाद राज्य में हुए तीन विधानसभा सीटों के उपचुनाव में उनकी पार्टी को जितना वोट मिला है उससे उनका हौसला बढ़ा है। उन्होंने दलित वोट पटाने के मकसद से आनंद मोहन की रिहाई का खुला विरोध किया है। आमतौर पर पार्टियां उस अंदाज में आनंद मोहन की रिहाई का विरोध नहीं कर रही हैं। लेकिन ओवैसी ने सीधे शब्दों में उनको दलित कलेक्टर की हत्या का दोषी बताते हुए उनकी रिहाई को दलितों का अपमान बताया है। मायावती के बाद बिहार से बाहर के वे दूसरे नेता हैं, जिन्होंने इसे मुद्दा बनाया है। उनको पता है कि मायावती का बिहार में असर नहीं है। इसलिए जैसे मायावती ने एक बार उत्तर प्रदेश में दलित और मुसलमान का समीकरण बनाने का प्रयास किया था वैसा प्रयास बिहार में ओवैसी कर रहे हैं।

Tags :

By NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *