nayaindia Adani issue parliament अभिभाषण पर चर्चा में ही अदानी का मुद्दा
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अभिभाषण पर चर्चा में ही अदानी का मुद्दा

ByNI Political,
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विपक्षी पार्टियों ने समझ लिया है कि सरकार अदानी समूह से जुड़े किसी मसले पर संसद में चर्चा नहीं कराएगी और अगर ने अदानी का मुद्दा उठाते रहेंगे तो उन्हें कोई बात कहने का मौका नहीं मिलेगा। दो दिन- गुरुवार और शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों में जिस तरह से कार्यवाही चली है उससे विपक्ष को अंदाजा हो गया है आगे क्या होने वाला है। इससे पहले विपक्षी पार्टियों के हंगामे की परवाह किए बगैर सरकार सदन चलवाती थी। कम से कम लोकसभा की कार्यवाही चलती रहती थी। बाद में थक हार कर विपक्ष सदन से बाहर चला जाता था। लेकिन इस बार सीधा सदन स्थगित किया गया। दोनों दिन दो बार के स्थगन के बाद सदन बिन भर के लिए स्थगित हुए।

जाहिर है सरकार किसी हाल में सदन में अदानी से जुड़े मुद्दे का जिक्र नहीं चाहती है। दूसरी ओर विपक्ष चाहता है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर चर्चा हो, जिसमें अदानी समूह की गड़बड़ियों का जिक्र किया गया है। शेयर बाजार में उथल पुथल पर चर्चा हो और अदानी समूह में सरकारी कंपनियों के निवेश पर चर्चा हो। लेकिन सरकार तैयार नहीं है। कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों के कुछ नेता चीन पर भी चर्चा चाहते हैं लेकिन सरकार उसके लिए भी तैयार नहीं है। ध्यान रहे इससे पहले पूरा शीतकालीन सत्र चीन के मसले पर ही जाया हुआ था।

तभी विपक्षी पार्टियों ने अपनी रणनीति बदली है। वे राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सरकार की ओर से पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेने को तैयार हो गए हैं। यह संसदीय परंपरा का भी हिस्सा है। सो, सोमवार से धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होगी। उसी चर्चा में विपक्षी पार्टियों के नेता अदानी समूह का मुद्दा उठाएंगे। सदन के अंदर चर्चा में मुख्य रूप से अदानी समूह की गड़बड़ियों से आम आदमी के नुकसान और सरकारी कंपनियों के नुकसान का मुद्दा उठाया जाएगा। विपक्षी पार्टियां इसका रास्ता निकाल रही हैं कि कैसे अदानी समूह का मुद्दा चर्चा में भी आ जाए और पीठासीन अधिकारी रोक भी नहीं सकें।

कांग्रेस के एक नेता ने याद दिलाया कि राहुल गांधी पहले भी सदन के अंदर अंबानी-अदानी का जिक्र करते रहे हैं लेकिन उसके लिए ‘एए’ का संकेतक इस्तेमाल करते थे। उसी तरह इस बार भी अदानी समूह का जिक्र किया जा सकता है। कांग्रेस के एक प्रवक्ता पहले ही गौतम अदानी के लिए ‘एजी’ शब्द का इस्तेमाल करने लगे हैं। इसके अलावा सदन से बाहर संसद परिसर में अदानी समूह की जांच का मुद्दा उठाया जाता रहेगा। विपक्षी पार्टियां संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी बनाने की मांग करती रहेंगी। हालांकि विपक्ष के कई नेताओं ने अनौपचारिक बातचीत में कहा है कि विपक्ष भी इस मामले को ज्यादा तूल देने के पक्ष में नहीं है क्योंकि लगभग सभी विपक्षी पार्टियों के शासन वाले राज्यों में अदानी समूह के निवेश की योजना है या पहले से काम चल रहा है। ऐसे में कोई पार्टी अपना नुकसान नहीं चाहती है।

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