राहुल गांधी का शहीद बनाना कांग्रेस के लिए फायदेमंद है लेकिन इसके लिए उनको जेल नहीं भेजा जा सकता है। इसलिए उनको जेल जाने से बचाते हुए शहीद बनाने की योजना पर कांग्रेस काम कर रही है। कांग्रेस के जानकार सूत्रों के मुताबिक पार्टी राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल करने का दबाव नहीं बनाएगी। बताया जा रह है कि कांग्रेस ऊपरी अदालत में अपील तो कर देगी ताकि वहां मामले की सुनवाई शुरू हो जाए लेकिन निचली अदालत से मिली सजा को निलंबित करा कर उस आधार पर लोकसभा की सदस्यता फिर से बहाल कराने और बंगला बचाए रखने का प्रयास कांग्रेस नहीं करेगी। हालांकि अभी इसे अंतिम तौर पर रणनीति के रूप में मंजूर नहीं किया गया है लेकिन कांग्रेस इस पर गंभीरता से विचार कर रही है।
ध्यान रहे अगर सूरत की अदालत के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती नहीं दी जाएगी तो 22 अप्रैल को राहुल गांधी को जेल जाना होगा और दो साल की सजा काटने के बाद छह साल तक वे चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। सूरत की अदालत ने राहुल को जमानत दी है और दो साल की सजा को 30 दिन के लिए निलंबित किया है। सो, उन्हें अनिवार्य रूप से हाई कोर्ट में जाकर इस सजा पर रोक लगवानी होगी ताकि वे जेल न जाएं। हो सकता है कि हाई कोर्ट उनकी सजा को निलंबित भी कर दे। कांग्रेस नेताओं का एक समूह ऐसा है, जो मान रहा है कि राहुल को अपनी सदस्यता बहाल कराने के लिए प्रयास नहीं करना चाहिए। अगर हाई कोर्ट से सजा निलंबित नहीं होती है तो अंतिम फैसला आने तक राहुल गांधी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
हैरान करने वाली बात यह है कि कांग्रेस के कई नेता चाहते हैं कि अगर राहुल गांधी 2024 में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ते हैं तो वह कांग्रेस के लिए फायदेमंद है। वे चाहते हैं कि अभी तय हो जाए कि राहुल अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इससे नेतृत्व का विवाद अपने आप खत्म हो जाएगा। नरेंद्र मोदी के मुकाबले राहुल गांधी का चेहरा नहीं रहेगा तो उससे कांग्रेस को दो फायदे दिख रहे हैं। एक तो मोदी और भाजपा नेहरू गांधी परिवार पर हमला नहीं कर पाएंगे। वे वंशवाद का मुद्दा नहीं उठा पाएंगे। राहुल के मुकाबले मोदी को महान दिखाने का अभियान भी बंद हो जाएगा।
दूसरा फायदा यह है कि अभी जो विपक्षी पार्टियां कांग्रेस को लेकर संदेह में हैं और मान रही है कि अगर वे गठबंधन में शामिल होती है तो अनिवार्य रूप से राहुल गांधी के नेतृत्व में उनको काम करना होगा, उनका संदेह दूर होगा। अगर राहुल कानूनी रूप से 2024 के चुनाव लड़ने के योग्य नहीं होंगे तो वे अपने आप मुकाबले से बाहर रहेंगे। फिर सभी प्रादेशिक पार्टियां अपने अपने राज्य में अपना चेहरा प्रोजेक्ट करके चुनाव लड़ सकती हैं। यानी गठबंधन में रहते हुए स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की उनकी मंशा पूरी होगी। तभी कहा जा रहा है कि कांग्रेस सभी संभावनाओं पर विचार कर रही है। ध्यान रहे अभी तक जितने लोगों की सदस्यता खत्म हुई है उनमें से किसी की बहाल नहीं हो सकी है।