यह सही है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय एजेंसियों के कथित दुरुपयोग को लेकर विपक्ष की एक दर्जन से ज्यादा पार्टियों की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया लेकिन अदालत की टिप्पणियों और आदेशों से ऐसा लग रहा है कि केंद्रीय एजेंसियों को लेकर आम लोगों के मन में जो धारणा बनी है वह मजबूत हो रही है। हाल के दो मामलों से इसे समझा जा सकता है। छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से कहा कि वह डर का माहौल नहीं पैदा करे और यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी के मामले भी भी केंद्रीय एजेंसियों पर तंज किया।
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि ईडी बुरा बरताव कर रही है। वे आबकारी अधिकारियों को धमकी दे रहे है। यह हैरान करने वाली स्थिति है। अब चुनाव आ रहे हैं, इसलिए यह हो रहा है। ईडी ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने इसका विरोध किया और कहा कि जांच एजेंसी राज्य में एक घोटाले की जांच कर रही है। इस पर सर्वोच्च अदालत की पीठ ने कहा कि, जब आप इस तरीके से बरताव करते हैं, तो एक जायज वजह भी संदिग्ध हो जाती है। डर का माहौल पैदा न करें। विपक्ष भी यही आरोप लगा रहा है कि केंद्रीय एजेंसियां डर का माहौल पैदा कर रही हैँ।
इसी तरह यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी के ऊपर असम में दायर उत्पीड़न के एक मामले में अग्रिम जमानत याचिका पर असम सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एसवी राजू पेश हुए थे। जैसे ही वे दलील देने खड़े हुए जस्टिस बीआर गवई ने उनसे पूछा कि क्या वे सीबीआई या ईडी की ओर से पेश हो रहे हैं। जब उन्होंने कहा कि वे असम सरकार की ओर से पेश हो रहे हैं तो जस्टिस गवई ने एक तरह से हैरानी जताते हुए कहा कि अभी तक सीबीआई और ईडी नहीं पहुंचे है! इन दोनों एजेंसियों की सक्रियता पर सर्वोच्च अदालत की यह टिप्पणी बहुत कुछ बताती है।