nayaindia BMC elections बीएमसी चुनाव कराने की उद्धव की चुनौती

बीएमसी चुनाव कराने की उद्धव की चुनौती

ऐसा नहीं है कि सिर्फ जम्मू कश्मीर में विधानसभा का चुनाव टल रहा है। कई जगह नगर निगमों के चुनाव भी नहीं हो रहे हैं। देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में बृहन्नमुंबई महानगर निगम को देश का सबसे समृद्ध और सबसे ज्यादा बजट वाला नगर निगम माना जाता है। वहां एक साल से चुनाव स्थगित है। पहले कोरोना वायरस की महामारी की वजह से चुनाव स्थगित हुआ था। बीएमसी का चुनाव आखिरी बार 2017 में हुआ था और 2022 के शुरू में चुनाव होने वाले थे। लेकिन इन्हें टाल दिया गया। उसके बाद जून में उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई और एकनाथ शिंदे व भाजपा की सरकार बन गई। तब से बीएमसी चुनाव के समय को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं।

माना जा रहा था कि साल के अंत में चुनाव हो जाएगा। उसके बाद कहा गया कि शिव सेना को लेकर चुनाव आयोग में चल रहा विवाद सुलझ जाने के बाद चुनाव होगा। वह मामला भी सुलझ गया और चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिव सेना के रूप में मान्यता दे दी और उसे तीर धनुष चुनाव चिन्ह भी दे दिया। इसके बावजूद बीएमसी का चुनाव नहीं हुआ। किसी को समझ नहीं आ रहा है कि सरकार किस बात का इंतजार कर रही है। इस चक्कर में मंत्रिमंडल का विस्तार भी रूका हुआ है और क्षमता से आधे से भी कम मंत्रियों के साथ सरकार काम कर रही है।

ऐसा लग रहा है कि एकनाथ शिंदे के साथ भाजपा को जीत का भरोसा नहीं बन रहा है। पार्टी के नेताओं को लग रहा है कि विधायक या सांसद तो शिंदे के साथ चले गए लेकिन शिव सैनिक अभी उद्धव ठाकरे के साथ ही हैं। ऊपर से शिव सैनिकों की सहानुभूति भी उनके साथ है। तभी राज्य सरकार, खास कर भाजपा इंतजार कर रही है कि समय बीतने से शायद सहानुभूति कम हो। दूसरी ओर उद्धव ठाकरे लगातार चुनौती दे रहे हैं कि सरकार जल्दी बीएमसी का चुनाव कराए। वे यह भी कह रहे हैं कि अगर भाजपा को भरोसा है तो विधानसभा चुनाव भी साथ ही करा ले।

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