कांग्रेस पार्टी के आला नेताओं ने सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री का पद तो बांट दिया लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है कि दोनों नेता तालमेल बना कर सरकार चला पाएंगे। पहले दिन से इसे लेकर खींचतान शुरू हो गई है, जिसका असर आगे की राजनीति पर भी होगा और सरकार के कामकाज पर भी होगा। दोनों के शपथ लेने से पहले ही टकराव शुरू हो गया था, जब 28 मंत्रियों की सूची रोक दी गई और सिर्फ आठ लोगों को शपथ दिलाई गई। उसमें भी आठ लोगों ने शनिवार यानी 20 मई को शपथ ली थी और 25 मई तक विभागों का बंटवारा नहीं हो सका। सोचें, नतीजे आने के सात दिन बाद शपथ हुई और उसके पांच दिन बाद तक विभाग नहीं बंटे!
इस बीच लिंगायत समुदाय के बड़े नेता राज्य सरकार में मंत्री बनाए एमबी पाटिल ने कह दिया कि कांग्रेस आलाकमान ने ढाई-ढाई के लिए मुख्यमंत्री बनने का कोई फॉर्मूला तय नहीं किया है। इसलिए सिद्धरमैया ही पांच साल तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे। उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने खुद इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा- वे जो कहते हैं कहने दीजिए, फैसला करने के लिए अध्यक्ष हैं, मुख्यमंत्री हैं और महासचिव हैं। जाहिर है कि ऐसे किसी फॉर्मूले पर बात हुई है, जिसके बारे में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, प्रभारी रणदीप सुरजेवाला और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को जानकारी है। आने वाले दिनों में इस पर और विवाद होगा। इस बीच मंत्रिमंडल गठन का मामला अलग अटका हुआ है। दोनों नेता अपनी अपनी सूची लेकर दिल्ली पहुंचे। पता नहीं कब तक इस बारे में फैसला होगा।