ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट और भारत के गौरव, नीरज चोपड़ा को एक और बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। भाला फेंक (जेवलिन थ्रो) में भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन करने वाले नीरज चोपड़ा को अब भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि से नवाजा गया है।
यह सम्मान नीरज चोपड़ा को टेरिटोरियल आर्मी के अंतर्गत दिया गया है, जो खेल जगत में उनके असाधारण योगदान और देश के प्रति उनकी निष्ठा का प्रतीक है। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने बुधवार, 14 मई को इस गौरवपूर्ण नियुक्ति की घोषणा की, जो 16 अप्रैल 2025 से प्रभावी मानी जाएगी।
नीरज चोपड़ा पहले से ही सेना के अंग रहे हैं। उन्होंने 2016 में नायब सूबेदार के रूप में भारतीय सेना में प्रवेश किया था और 2018 में उन्हें सूबेदार के पद पर पदोन्नत किया गया था। अब लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि प्राप्त कर उन्होंने न केवल खेल बल्कि देशसेवा के क्षेत्र में भी एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
नीरज चोपड़ा को यह उपाधि केवल उनके खेल कौशल के लिए नहीं, बल्कि अनुशासन, समर्पण और देश के प्रति उनके अटूट प्रेम के लिए भी दी गई है। टोक्यो ओलंपिक 2021 में जब उन्होंने जेवलिन थ्रो में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया, तब से ही वे राष्ट्रीय हीरो बन गए थे। उनकी जीत ने न केवल भारत के एथलेटिक्स इतिहास में स्वर्णिम अध्याय जोड़ा, बल्कि युवाओं को भी प्रेरित किया।
टेरिटोरियल आर्मी में इस तरह की मानद उपाधियाँ पूर्व में भी देश के प्रतिष्ठित खिलाड़ियों को दी गई हैं। नीरज से पहले पूर्व क्रिकेट कप्तान एमएस धोनी, दिग्गज ऑलराउंडर कपिल देव और ओलंपिक शूटिंग चैंपियन अभिनव बिंद्रा को भी यह सम्मान मिल चुका है।
नीरज चोपड़ा की यह नई भूमिका निश्चित रूप से युवाओं को देशभक्ति, अनुशासन और उत्कृष्टता की ओर प्रेरित करेगी। यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन में एक नया अध्याय है, बल्कि यह पूरे राष्ट्र के लिए गर्व का क्षण भी है। भारतीय सेना और खेल जगत, दोनों ही क्षेत्रों में उनका योगदान अनुकरणीय और प्रेरणास्पद है।
लेफ्टिनेंट कर्नल बने नीरज चोपड़ा
ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा को भारतीय सेना की टेरिटोरियल आर्मी रेगुलेशन, 1948 के पैरा-31 के अंतर्गत लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद रैंक प्रदान की गई है।
यह रैंक उन्हें भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा दी गई। इससे पहले नीरज चोपड़ा राजपूताना राइफल्स में सूबेदार के पद पर कार्यरत थे। वर्ष 2016 में नीरज भारतीय सेना में नायब सूबेदार के पद पर शामिल हुए थे।
नीरज चोपड़ा ने जीता था गोल्ड मेडल
नीरज चोपड़ा ने भारतीय खेल इतिहास में एक अद्भुत और प्रेरणादायक मुकाम हासिल किया है। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक 2020 में भाला फेंक (जेवलिन थ्रो) स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर न केवल अपने नाम को रोशन किया बल्कि पूरे देश का नाम भी गर्व से ऊँचा किया।
यह पदक भारत के लिए ट्रैक एंड फील्ड में व्यक्तिगत रूप से जीता गया पहला गोल्ड मेडल था, जो नीरज की कड़ी मेहनत, लगन और समर्पण का परिणाम था। अपने दूसरे प्रयास में उन्होंने 87.58 मीटर की जबरदस्त दूरी पर भाला फेंक कर यह स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
इस ऐतिहासिक जीत ने भारत के युवा खिलाड़ियों को भी एक नई प्रेरणा दी कि वे भी वैश्विक स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं। नीरज चोपड़ा ने केवल टोक्यो ओलंपिक में ही नहीं, बल्कि पेरिस ओलंपिक 2024 में भी भारत के लिए सिल्वर मेडल जीतकर अपनी लगातार बढ़ती सफलता का सिलसिला जारी रखा।
उनकी यह उपलब्धि यह दर्शाती है कि वे विश्व के सबसे बेहतरीन जेवलिन थ्रोअर्स में से एक हैं और दुनिया के नंबर-2 जेवलिन थ्रोअर के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। लगातार दो ओलंपिक मेडल जीतना किसी भी खिलाड़ी के लिए बहुत बड़ी बात होती है, और नीरज ने इसे बखूबी हासिल किया है।
नीरज चोपड़ा पूरे भारत का गौरव
नीरज चोपड़ा की इस सफलता के बाद उन्हें कई बड़े ब्रांड्स और विज्ञापनों के ऑफर मिलने लगे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर हुई है।
इसी साल 2025 में उन्होंने प्रोफेशनल टेनिस खिलाड़ी हिमानी मोर से शादी की, जो उनकी जिंदगी का एक नया और खूबसूरत अध्याय है। नीरज का खेल के प्रति समर्पण और जीवन के प्रति उनका सकारात्मक दृष्टिकोण उन्हें एक आदर्श खिलाड़ी और इंसान बनाता है।
नीरज चोपड़ा टेरिटोरियल आर्मी का भी हिस्सा हैं, जहां से उन्हें अनुशासन और देशभक्ति की शिक्षा मिली है। टेरिटोरियल आर्मी में कई महान खिलाड़ियों के नाम जुड़े हुए हैं, जिनमें भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी शामिल हैं। नीरज की सफलता से यह साबित होता है कि समर्पण, मेहनत और सही मार्गदर्शन से कोई भी भारतीय खिलाड़ी विश्व के मंच पर चमक सकता है।
इसके अलावा, नीरज ने वर्ल्ड चैंपियनशिप, एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट्स में भी भारत को स्वर्ण पदक दिलाकर अपनी योग्यता का लोहा मनवाया है। उनका यह सफर युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं।
नीरज चोपड़ा ने देश के लिए जो नाम और सम्मान कमाया है, वह भारत के खेल इतिहास में सदैव याद रखा जाएगा। उनकी सफलता न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि पूरे राष्ट्र की गर्व की बात है, जो यह दिखाती है कि भारतीय खिलाड़ी विश्व स्तर पर भी किसी से कम नहीं हैं। उनके संघर्ष, समर्पण और उत्कृष्ट प्रदर्शन ने भारत को खेल की दुनिया में एक नई पहचान दिलाई है।
16 मई को दोहा डायमंड लीग में हिस्सा लेंगे
नीरज चोपड़ा शुक्रवार, 16 मई को दोहा डायमंड लीग प्रतियोगिता में भाग लेंगे। उन्होंने पिछले सीजन में 88.36 मीटर की दूरी पर भाला फेंककर दूसरा स्थान हासिल किया था। इसके अलावा, वे 2023 में 88.67 मीटर के स्कोर के साथ चैंपियन बने थे। नीरज के अलावा जेवलिन थ्रोअर किशोर जेना, मिडिल डिस्टेंस रनर गुलवीर सिंह और पारुल चौधरी भी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे।
टेरिटोरियल आर्मी एक अर्द्धसैनिक बल है, जिसे देश की दूसरी सुरक्षा पंक्ति यानी सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस कहा जाता है। यह बल देश में कई बड़े ऑपरेशनों में सक्रिय रह चुका है।
युद्ध के मोर्चे पर यह अग्रिम पंक्ति के सैनिकों की सहायता करने वाली परछाई की तरह काम करता है और उनके ठीक पीछे मदद के लिए तैयार रहता है।
वर्तमान में इसके लगभग 50 हजार सदस्य हैं, जो 65 विभागीय यूनिट्स (जैसे रेलवे, आईओसी) और गैर विभागीय इन्फेंट्री तथा इंजीनियर बटालियन में सेवा दे रहे हैं। इनकी ट्रेनिंग भी सेना की तरह ही होती है।
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