दल-बदल विरोधी कानून खत्म हो!
दल-बदल रोक कानून मानवीय स्वतंत्रता और गरिमा के विरुद्ध है। यह सांसदों, विधायकों को अनुचित बंधन में रखता है। असहमति की आवाज रोकता है। दल के ऊपरी चालबाजों, हवाबाजों की तानाशाही व बेवकूफियाँ बढ़ाने का औजार बनता है। क्योंकि सांसद उन का हाथ नहीं पकड़ सकते। जबकि कहीं भी असुविधाजनक सच कहने वाला प्रायः अकेला होता है। तानाशाही के विरुद्ध उभरने वाला स्वर भी पहले अकेला ही होता है। अतः अभिव्यक्ति और गतिविधि की स्वतंत्रता हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है - मुख्यतः अकेले स्वर का ही अधिकार है! वह किसी सांसद से ही छीन ली जाए, यह घोर विडंबना...