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  • मध्य प्रदेश नया गुजरात है

    मध्य प्रदेश भारत का नया गुजरात है। जिस तरह गुजरात में 25 साल से ज्यादा समय से लगातार भाजपा की सरकार चल रही है उसी तरह की स्थिति मध्य प्रदेश में बन गई है। पिछले 20 साल में सवा साल के कमलनाथ के राज को हटा दें तो पिछले करीब 19 साल से मध्य प्रदेश में भाजपा का राज है और अगले पांच साल के लिए उसे फिर जनादेश मिल गया है। उसे जनादेश भी ऐसा वैसा नहीं मिला है। ऐतिहासिक जनादेश मिला है। भाजपा ने 230 की विधानसभा में डेढ़ सौ से ज्यादा सीटें हासिल की हैं। असल में...

  • लोगों ने क्लोन की जगह असली ब्रांड चुना

    मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव नतीजों का एक निष्कर्ष यह है कि लोग असली को पसंद करते हैं। लोगों को क्लोन या नकली माल पसंद नहीं है। हिंदुत्व की राजनीति करने वाली असली ताकत भाजपा है इसलिए उसको छोड़ कर उसकी तरह राजनीति करने वाली या उसका क्लोन बनने की कोशिश करने वाली कांग्रेस पार्टी को लोगों ने खारिज कर दिया। असल में इन दोनों राज्यों में कांग्रेस के जो नेता हैं, वो खुल कर नरम हिंदुत्व की बात कर रहे थे और वही राजनीति कर रहे थे, जो भाजपा करती है। इसके उलट कर्नाटक में कांग्रेस ने भाजपा...

  • प्रादेशिक पार्टियां कांग्रेस पर हावी होंगी

    चार राज्यों के चुनाव नतीजों की घोषणा के बीच विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ की बैठक बुलाने की घोषणा कर दी गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गठबंधन में शामिल सभी 28 पार्टियों को छह दिसंबर को दिल्ली बुलाया है। बताया गया है कि पांच राज्यों के चुनाव नतीजों पर चर्चा की जाएगी। गौरतलब है कि ‘इंडिया’ की आखिरी बैठक 30 अगस्त और एक सितंबर को मुंबई में हुई थी। उसके बाद कांग्रेस पांच राज्यों के चुनाव में व्यस्त हो गई और फिर कोई बैठक नहीं हुई। कांग्रेस ने सीट बंटवारे वगैरह की बात भी रोक दी थी क्योंकि...

  • विपक्ष के लिए विचारणीय

    बेशक, आज भाजपा के पास अकूत संसाधन हैं। लेकिन उसकी जीत का सिर्फ यही कारण नहीं है। बल्कि वह अपनी हिंदुत्व की राजनीति के पक्ष में इतनी ठोस गोलबंदी कर चुकी है कि चुनावों में उसे परास्त करना अति कठिन हो गया है। चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों का केंद्रीय संदेश यह है कि विपक्ष के पास भारतीय जनता पार्टी की राजनीति की कोई काट नहीं है। तेलंगाना का नतीजा अपवाद है- इसलिए कि वहां सत्ता एक गैर-भाजपा पार्टी के हाथ से निकल कर दूसरी गैर-भाजपा पार्टी के हाथ में गई है। इससे राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा को...

  • कांग्रेस का आत्मघाती कार्ड

    समय के चक्र को पीछे लौटा कर सियासी चमत्कार कर दिखाने की सोच असल में समझ के दिवालियेपन का संकेत देती है। इस प्रयास में कांग्रेस ने सबकी पार्टी होने की अपनी विशिष्ट पहचान को संदिग्ध बना दिया है। चूंकि विचारधारा और जन-गोलबंदी के मोर्चों पर कांग्रेस नेतृत्व दीर्घकालिक रणनीति के जरिए राजनीति की नई समझ बनाने में विफल है, इसलिए अक्सर वह चुनाव जीतने के ऐसे टोना-टोटकों करने में लग जाता है, जिनके सफल होने की कोई गुंजाइश नहीं होती। हाल में उसने जातीय जनगणना और अस्मिता की राजनीति के ऐसे टोटके अपनाए हैँ। इसके पीछे सोच संभवतः यह...