Dr Manmohan Singh

  • डॉ. मनमोहन सिंह और जिमी कार्टर की अंत्येष्टि का फर्क!

    Dr. Manmohan and Jimmy Carter funerals : मौत भी कौम और देश की मानवीय बुनावट का अंतर प्रकट करती है! सभ्य-असभ्य, संवेदनशील-असंवेदनशील, संस्कारी-कुसंस्कारी, राम-रावण, दुर्योधन-युधिष्ठर, अच्छे और बुरे के बोध में मानव चेतना यों असंख्य कसौटियां लिए हुए है लेकिन व्यक्ति विशेष के जीवन का वह समय, वे क्षण सर्वाधिक अहम हैं, जब अंतिम सांसों और अंत्येष्टि से वह इहलोक से मुक्त होता है। यदि अंतिम सांसें जीवन की सिद्धि, संतोष में हैं तो मेरा मानना है मनुष्य जीवन धन्य! फिर घर, परिवार या कुनबे या कौम या जीवन साधना के कर्मों की बिरादरी से श्मशान-कब्रिस्तान में अंत्येष्टि गरिमा से...

  • मनमोहन सिंह की विरासत

    The legacy of Manmohan Singh: इस आलोचना में दम है कि अपनाई गई नीतियों के जरिए भारत ने आईएमएफ के नव-उदारवादी एजेंडे के आगे समर्पण कर दिया। भारतीय बाजार को बहुराष्ट्रीय पूंजी के लिए बिना शर्त खोल दिया गया, जबकि पड़ोस में चीन ने तकनीक एवं ज्ञान के ट्रांसफर की शर्तों के साथ अपना बाजार उसी दौर में खोला। नतीजा यह है कि चीन आज तकनीक एवं आत्म-निर्भर उत्पादन के क्षेत्रों में महाशक्ति बन गया है, जबकि भारत अमेरिकी हाई टेक कंपनियों का बेलगाम बाजार बना हुआ है। also read: Emergency Landing: बुद्धा एयरलाइंस के प्लेन में लगी आग, यात्रियों में...

  • मनमोहन के स्मारक के लिए तीन विकल्प

    Manmohan singh memorial:  पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर शहरी विकास मंत्रालय ने इसके निर्माण की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू कर दी है। इसके तहत मनमोहन सिंह के परिवार को तीन स्थलों के विकल्प दिए गए हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय स्मृति स्थल राजघाट, किसान घाट व समता स्थल के तीन विकल्प पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के परिवार को दिए गए हैं और उनसे इनमें से एक का चयन करने को कहा गया है। also read: IND vs AUS: पांचवें टेस्ट के लिए भारत-ऑस्ट्रेलिया की प्लेइंग XI का ऐलान, रोहित-पंत बाहर! यह प्रस्ताव शहरी विकास मंत्रालय को...

  • मनमोहन सिंह की विनम्रता का जवाब नहीं!

    Dr Manmohan Singh: सरदार पटेल विद्यालय के वार्षिक समारोह में डॉ मनमोहन सिंह भारत के वित्त मंत्री के नाते मुख्य अतिथि थे। प्राचार्या श्रीमती विभा पार्थसार्थी और हम कुछ अभिभावक उनके स्वागत के लिए विद्यालय के गेट पर खड़े थे। तभी विद्यालय का एक कर्मचारी आया और बोला कि एक सरदारजी हॉल में आकर बैठे हैं और आपको पूछ रहे हैं। हम सब तेज़ी से हॉल की ओर गये तो देखा कि वो डॉ मनमोहन सिंह ही थे। वे अपनी सफ़ेद मारुति 800 कार को ख़ुद चला कर विद्यालय के उस छोटे गेट से अंदर आ गये... also read: ओह! वह...

  • डॉ. मनमोहन सिंह भारत के आखिरी बुद्धिवान और उम्दा प्रधानमंत्री !

    शीर्षक चौंका सकता है। पर जरा समकालीन भारत अनुभवों और उनकी दिशा में झांके तो अगले बीस-पच्चीस वर्षों की क्या भारत संभावना दिखेगी? भारत पिछले दस वर्षों की विरासत में कदम उठाता हुआ होगा। इस विरासत का मंत्र और अनुभव बुद्धि नहीं लाठी है। हार्वर्ड नहीं हार्डवर्क है। सत्य नहीं झूठ है। सौम्यता नहीं अहंकार है। विनम्रता नहीं निष्ठुरता है। कानून नहीं बुलडोजर है। मान मर्यादा नहीं लंगूरपना है। विचार और बहस नहीं गाली तथा ट्रोल है। तर्क नहीं है लाठी है। प्रबुद्धता नहीं मूर्खता है। चाल, चेहरा, चरित्र नहीं, बल्कि अकड़, लालच और कदाचार है। इस तरह का निष्कर्ष...