earth

  • वैदिक मतानुसार पृथ्वी, सूर्य, चन्द्र आदि की उत्पत्ति

    वैदिक मतानुसार सृष्टि के आदि में पृथ्वी इस तरह नहीं थी। सृष्टि रचना प्रारंभ होने के बाद शनैः- शनैः बहुत दिनों में पृथ्वी इस रूप में आई। सर्वप्रथम यह सूर्यवत जल रही थी। आज भी पृथ्वी के भीतर अग्नि पाया जाता है। कई स्थानों पर पृथ्वी से ज्वाला निरंतर निकल रही है, इसी को ज्वालामुखी पर्वत कहते हैं। पृथ्वी, सूर्य, चन्द्र आदि की उत्पत्ति का ज्ञान हमेशा से ही कौतूहल के विषय हैं। इस सबंध में सत्य ज्ञान की जानकारी नहीं होने के कारण लोक में विभिन्न प्रकार की भ्रांतियाँ प्रचलित हैं। लेकिन संसार के सर्वप्राचीन ग्रंथ व सत्य विद्याओं...

  • तैयार रहे, तापमान तो बढ़ेगा!

    दुनिया का हर जानकार कह रहा है कि यदि धरती को बचाना है तो दुनिया के औसत तापमान में 1.5 डिग्री की बढ़ोत्तरी की सीमा को कतई पार नहीं होने दे। लेकिन कहना है और टारगेट बहुत कठिन। विशेषकर इसलिए क्योंकि आबादी, माल और सेवाओं की मांग और भू-राजनैतिक तनाव - तीनों बढ़ रहे हैं। सही है कि दुनिया के देशों ने समस्या की गंभीरता को समझा हुआ है। सन 2015 में पेरिस समझौते पर दस्तखत करके संकल्प भी लिया था कि औद्योगिक क्रांति से पूर्व दुनिया का जो औसत तापमान था, उसमें 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक की वृद्धि...

  • कितना रोए? किस-किस पर रोइए?

    लिखना मेरा कर्म, धर्म और आदत है। मेरा यह शगल 1976 से है। तभी कोई 45 वर्षांत और नव वर्ष! मैं साल-दर-साल देश-दुनिया की समीक्षा में कलम घसीटता आया हूं! 1976 में इंदिरा गांधी, जेराल्ड फोर्ड-जिमी कार्टर, ब्रेजनेव, माओं, कैलाघन-थेचर थे। तब इमरजेंसीऔर अफगानिस्तान पर सोवियत सेनाके कब्जे जैसी घटनाएं थी। भारत की आबादी कोई 62 करोड और पृथ्वी पर चार अरब लोग। अब भारत 140 करोड तो दुनिया आठ अरब आबादी का आंकड़ा छूते हुए है। तभी सोचता हूं60 करोड लोगों का तब भारत कैसा था और 140 करोड आबादी के मुहाने का भारत कैसा है?... लेकिनयह सवाल पैदा...