तैयार रहे, तापमान तो बढ़ेगा!
दुनिया का हर जानकार कह रहा है कि यदि धरती को बचाना है तो दुनिया के औसत तापमान में 1.5 डिग्री की बढ़ोत्तरी की सीमा को कतई पार नहीं होने दे। लेकिन कहना है और टारगेट बहुत कठिन। विशेषकर इसलिए क्योंकि आबादी, माल और सेवाओं की मांग और भू-राजनैतिक तनाव - तीनों बढ़ रहे हैं। सही है कि दुनिया के देशों ने समस्या की गंभीरता को समझा हुआ है। सन 2015 में पेरिस समझौते पर दस्तखत करके संकल्प भी लिया था कि औद्योगिक क्रांति से पूर्व दुनिया का जो औसत तापमान था, उसमें 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक की वृद्धि...