hindenburg report

  • संसदीय समिति के सामने नहीं पेश हुईं सेबी चीफ

    नई दिल्ली। शेयर बाजार की नियामक एजेंसी सेबी की प्रमुख माधवी पुरी बुच गुरुवार, 24 अक्टूबर को संसद की लोक लेखा समिति यानी पीएसी के सामने नहीं पेश हुईं। उन्होंने कहा कि वे ‘कुछ जरूरी कारण’ से पीएसी की बैठक में शामिल नहीं हुईं। पीएसी के अध्यक्ष और कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की अध्यक्षता में ये बैठक सेबी के कामकाज की समीक्षा करने के लिए तय की गई थी। हालांकि भाजपा ने इसका विरोध किया था और इसे लेकर स्पीकर को चिट्ठी भी लिखी थी। बहरहाल, बुच और सेबी के अन्य अधिकारियों के हाजिर नहीं होने के बाद...

  • लोकपाल की ऐसी दुर्दशा!

    आधुनिक भारत में जो जन आंदोलन हुए हैं उनमें एक सबसे महत्वपूर्ण आंदोलन लोकपाल की स्थापना के लिए था। अन्ना हजारे के नेतृत्व में दिल्ली में विशाल आंदोलन हुआ था, जो कई दिन चलता रहा था। लाखों लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस आंदोलन से जुड़े थे। ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ नाम से हुए इस आंदोलन ने पूरे देश की राजनीति को बदल दिया था। मजबूर होकर उस समय की मनमोहन सिंह सरकार को लोकपाल का बिल पास पड़ा था। उस लोकपाल आंदोलन की लहर पर दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी। लेकिन जाती...

  • सेबी प्रमुख का पहले खुलाना क्यों नहीं?

    अभी इस विवादित बहस में पड़ने की कोई जरुरत नहीं है कि भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड यानी सेबी की प्रमुख माधवी धवल बुच किसी भ्रष्टाचार में शामिल हैं या नहीं या उन्होंने देश के सबसे अमीर कारोबारी गौतम अडानी की कोई मदद की है या नहीं क्योंकि यह जांच का विषय है। लेकिन जो तथ्य सामने आए हैं उनसे पहली नजर में यह स्पष्ट दिख रहा है कि हितों का टकराव का मामला बनता है। हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से जारी नए दस्तावेजों में बताया गया है कि माधवी और धवल बुच ने मॉरीशस स्थित कंपनी आईपीई प्लस वन...

  • हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को बाजार ने किया खारिज

    मुंबई। भारतीय शेयर बाजार (Indian Share Market) में सोमवार का दिन उतार-चढ़ाव भरा रहा। सेंसेक्स 57 अंक की मामूली गिरावट के साथ 79,648 और निफ्टी 20 अंक की हल्की मंदी के साथ 24,347 पर बंद हुआ। हिंडनबर्ग की ताजा रिपोर्ट को खारिज करते हुए मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में जबरदस्त खरीदारी देखने को मिली। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 156 अंक या 0.27 प्रतिशत बढ़कर 57,330 और निफ्टी स्मॉलकैप (Nifty Smallcap) 34 अंक या 0.19 प्रतिशत की तेजी के साथ 18,444 पर बंद हुआ। सेंसेक्स में 15 शेयर हरे निशान और 14 शेयर लाल निशान में बंद हुए हैं। एक्सिस बैंक,...

  • ब्रह्म-वाक्य का प्रश्न नहीं

    निश्चित रूप से मीडिया जो कहता है या जो भंडाफोड़ करता है, वो ब्रह्म-वाक्य नहीं होते, जिन्हें हर हाल में स्वीकार कर लिया जाए। लेकिन उससे जो संदेह पैदा होता है, उससे संबंधित प्रकरण की निष्पक्ष और प्रभावी जांच के सूत्र अवश्य मिलते हैँ। अडानी समूह से संबंधित हिंडनबर्ग और मीडियाकर्मियों के समूह ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) की रिपोर्टों के बारे में प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ये रिपोर्टें ब्रह्म-वाक्य नहीं हैं। ना ही किसी विदेशी वित्तीय अखबार में छपी रिपोर्ट ऐसा सच है, जिसे भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को अनिवार्य रूप से...

  • सदन में आरोप लगाने से नहीं रोक सकते!

    नई दिल्ली। पिछले दिनों हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) के संदर्भ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी Rahul Gandhi और मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने संसद (Parliament) में अपने भाषण में अडानी समूह (Adani Group) का उल्लेख करते हुए सरकार एवं प्रधानमंत्री को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया। संसद के दोनों सदनों में उनके भाषण के कई अंशों को कार्यवाही से हटा दिया गया। ऐसे में सांसदों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उनके विशेषाधिकारों (Privileges) के हनन के मुद्दे पर चर्चा शुरू हो गई है। इस बारे में लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी का मानना है कि ऐसा कोई...

  • सन् 1723 में जगत सेठ और 2023 में इंडिया इज अदानी!

    दोनों दुनिया के खरबपति। दोनों स्थानकवासी जैन! दोनों के धंधे का मूल जौहरी (जगत सेठ रत्नों के और अदानी का डायमंड्स से शुरू धंधा)। दोनों नजरानों से दिल्ली हुकूमत के कृपापात्र। (जगत सेठ दरबार में रत्न भेट कर, हुंडी-बैंकिंग, हवाला लेन देन से कृपापात्र हुए तो अदानी को कांग्रेस राज की मेहरबानी से मिला था पहला पोर्ट) दोनों का वैभव अपने-अपने प्रदेश के सूबेदारों से (बंगाल के सूबेदार महमूद शाह और गुजरात में नरेंद्र मोदी) बनना शुरू हुआ। दोनों से भारत में नई सत्ता का अभ्युदय। जगत सेठ से जहां लार्ड क्लाइव इज इंडिया वही अदानी से मोदी इज इंडिया।...

  • अडानी विवादः कमल पर कीचड़

    अडानी समूह के तथाकथित भांडाफोड़ पर हमारी संसद का पूरा पिछला हफ्ता खप गया लेकिन अभी तक देश के लोगों को सारे घपले के बारे में कुछ भी ठोस जानकारी नहीं मिली है। हालांकि अडानी समूह ने सैकड़ों पृष्ठों का खंडन जारी करके दावा किया है कि उसने कोई गलत काम नहीं किया है। उसका सारा हिसाब-किताब एकदम साफ-सुथरा है। भारत के रिजर्व बैंक ने भी नाम लिये बिना अपने सारे लेन-देन को प्रामाणिक बताया है लेकिन आश्चर्य है कि भारत सरकार से अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के...

  • कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है !

    हिंडनबर्ग ने ऐसा ही खुलासा 16 अन्य कंपनियों का भी किया है। वे कंपनियाँ अमरीका, चीन व जापान जैसे देशों की कंपनियाँ हैं। विपक्षी नेताओं का ये सवाल है कि अगर अडानी समूह पर आई इस रिपोर्ट को भारत सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था पर हमला मानती है तो फिर वे इस मामले पर चुप्पी क्यों साधे बैठे हैं? एजेंसियों द्वारा इस मामले की जाँच क्यों नहीं की जा रही? देश के नामी उद्योगपति गौतम अडानी और उनकी कंपनियों को लेकर शेयर मार्केट, संसद और टीवी चर्चाओं में मची अफ़रा-तफ़री ने मिर्ज़ा ग़ालिब के इस मशहूर शेर की पंक्ति की याद दिलाई।...

  • हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई

    नई दिल्ली। गौतम अदानी समूह की कंपनियों की कथित गड़बड़ियों को उजागर करने वाली हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी। सर्वोच्च अदालत इस रिपोर्ट पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी की दायर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। इसमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की निगरानी में एक समिति गठित करने की मांग की गई है। विशाल तिवारी ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने मामले को जल्दी सूचीबद्ध करने और उस पर जल्दी सुनवाई की अपील की थी। अदालत ने...

  • अदानी को बचाना मजबूरी है!

    हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद गौतम अदानी की कंपनी ने अपनी सफाई में जो कुछ कहा वह इस बात का संकेत था कि आगे यह कहानी क्या मोड़ लेने वाली है। अदानी समूह ने अमेरिका की सट्टेबाज कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को ‘भारत और उसके स्वतंत्र संस्थानों पर एक हमला’ करार दिया था। अदानी समूह ने अपने जवाब में लिखा था, ‘ये सिर्फ किसी कंपनी विशेष पर अवांछित हमला नहीं है, बल्कि भारत और उसके संस्थानों की गुणवत्ता, ईमानदारी और स्वतंत्रता के साथ भारत की महत्वाकांक्षाओं और उसके विकास की कहानी पर नियोजित हमला है’। इस जवाब...

  • बात अडानी तक नहीं

    विदेशी मीडिया में आ रही प्रतिक्रियाओं पर गौर करें, तो यह साफ है कि वहां सवाल भारत की विनियामक व्यवस्था पर उठाए जा रहे हैं। रेटिंग एजेंसियों की प्रतिक्रिया आ रही प्रतिक्रियाओं को देखते हुए यह साफ है कि ये सवाल और गहराएंगे। बीते 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च की तरफ अडानी ग्रुप के बारे में रिपोर्ट जारी करने से मची उथल-पुथल अब सिर्फ इसी उद्योग समूह का संकट नहीं रह गई है। बल्कि अब यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। विदेशी मीडिया में आ रही प्रतिक्रियाओं पर गौर करें, तो यह साफ है...

  • मोदी-शाह समझें, अदानी से छुड़ाएं पिंड, अब और न पालें!

    एक तरह से यह अनुरोध है। वजह हिंदुओं की वैश्विक बदनामी की चिंता है। हालांकि जैसे बाकी मामलों में है वैसे गौतम अदानी के मामले में भी लगता है कि मोदी-शाह अपनी जिद्द पर अड़े रहेंगे। इसलिए होगा वही जो मैं नोटंबदी के बाद से लगातार दोहरा रहा हूं। मतलब धैर्य धरें, मोदी राज के विध्वंस को समय अपने आप प्रकट करेगा। मोदी कितने ही साल राज करें उनकी कमान के नतीजे तय हैं। अंत में भारत खोखला, पराश्रित, लुटा-पीटा और दसियों संकट लिए होगा। बावजूद इसके अपना धर्म है कि गौतम अदानी से दुनिया में भारत की साख का...

  • वित्त मंत्री और सचिव ने दी सफाई

    नई दिल्ली। अदानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट और उसके बाद शेयर बाजार में मची उथल पुथल को लेकर शुक्रवार को वित्त मंत्री और वित्त सचिव दोनों ने सफाई दी। अदानी समूह में सरकारी कंपनियों के निवेश को लेकर भी सरकार ने पक्ष रखा। गौरतलब है कि पिछले कई दिन से लगातार अदानी समूह के शेयरों में गिरावट आ रही है। इसे लेकर विपक्ष हंगामा कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि सरकारी कंपनियों का पैसे अदानी के शेयरों में निवेश कराया गया और अब वह पैसा डूब रहा है। बहरहाल, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने...

  • मोदी के सपने तार-तार

    विशालकाय हाथी, मतलब दुनिया का नंबर दो अमीर अदानी! और हाथी की पीठ के हौदे पर बैठे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी! जाहिर है वे अपने वेल्थ क्रिएटर से सपने देखते हुए थे। याद करें ठीक दो साल पहले फरवरी 2021 में संसद भवन में नरेंद्र मोदी ने क्या कहा था? पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 53वीं पुण्यतिथि के दिन उनका कहना था- देश के लिए वेल्थ क्रिएटर्स (खरबपति) जरूरी हैं। मतलब देश का भविष्य अंबानी-अदानियों से है। उसी पर मैंने इसी कॉलम में 13 फरवरी 2021 को लिखा था- लोकसभा में डंके की चोट अंबानी-अदानी। और इसकी लाइनें थीं- धन्य...

  • अदानी को बचाने कौन आया?

    अहम सवाल है और इससे भारत के क्रोनी पूंजीवाद के भाई-भाई चेहरों का एक्सपोजर होता है। सवाल है गौतम अदानी की कंपनी का एफबीओ सब्सक्राइव नहीं हो रहा था तब कौन उनको बचाने आया? संकट के समय जो बचाने के लिए आगे आता है वह या तो सच्चा मित्र होता है या साझेदार होता है। अदानी समूह के एफपीओ यानी फॉलोऑन पब्लिक इश्यू को सब्सक्राइव करने में जिन लोगों का नाम आ रहा है उन्हें देख कर यह नहीं कहा जा सकता है कि वे अदानी के सच्चे मित्र हैं। हां, उनसे यह जरूर पता चलता है कि शेयर बाजार...

  • अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से ज्यादा दिक्कत

    आमतौर पर जब कोई बड़ा वित्तीय घोटाला खुलता है तो सरकार की कानून प्रवर्तन एजेंसियां सक्रिय हो जाती हैं और जांच शुरू होती है। लेकिन अदानी समूह के मामले में इसका उलटा हो रहा है। भारत की तमाम वित्तीय और केंद्रीय जांच एजेंसियां या तो कुछ नहीं कर रही हैं या दिखावे के कदम उठा रही हैं। जैसे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने अदानी समूह के तीन शेयरों को निगरानी में लिया है। इसके अलावा कोई सूचना नहीं है कि भारत में एजेंसियां कुछ कर भी रही हैं। अदानी समूह की असली और सारी समस्या अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की वजह से है।...

  • पूंजी में ठगी के बाद कमाई के लिए लूट होगी

    दुनिया का मीडिया लिख रहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला खुला है। अदानी समूह द्वारा शेयर बाजार में की गई कथित गड़बड़ियों को कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला बताया जा रहा है। इसका नतीजा भी सामने है। जिस तरह से हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कहा गया था कि अदानी समूह के शेयरों की कीमत 85 फीसदी तक गिर जानी चाहिए वैसा होता हुआ दिख रहा है। अदानी समूह की आधी बाजार पूंजी गायब हो चुकी है। तभी अब सवाल है कि इसके आगे क्या? दुनिया के दूसरे सभ्य और विकसित लोकतांत्रिक देशों में...

  • बुलबुले हैं, तो फूटेंगे ही!

    अब लोग शेयरों में पैसा उम्मीद के आधार पर लगाते हैं। आशंकाएं पैदा होती हैं, तो वे पैसा निकालने लगते हैँ। हिंडनबर्ग रिसर्च ने गौतम अडानी को की कंपनी पर गंभीर आरोप लगा दिए। इससे विश्वास का संकट खड़ा हुआ और अडानी ग्रुप गहरे संकट में फंस गया है। अडानी ग्रुप के साथ जो हो रहा है, वित्तीय पूंजीवाद के दौर में वह कोई अजूबा नहीं है। यह हेनरी फोर्ड या जमशेदजी टाटा बल्कि यहां तक कि धीरुभाई अंबानी का दौर भी नहीं है, जब कोई कारोबारी उद्योग लगाकर उसके उत्पादों की बिक्री से होने वाले मुनाफे से धनी होता...

  • अदानी को बचाने या तो आज सरकार उढेलेगी पैसा या…..

    अपने यहां मतदान से पूर्व की रात को ‘कत्ल की रात’ मानते हैं। वैसा ही अदानी ग्रुप के लिए आज का दिन है। सचमुच सोमवार, 30 जनवरी 2023 का शेयर बाजार का दिन अदानी ग्रुप के लिए अहम है। आज या तो मोदी सरकार अपने बैंकों तथा एलआईसी से अदानी ग्रुप के शेयरों की अंधाधुंध खरीद करवाएगी या बैंकों-एलआईसी की बरबादी रोकने के लिए उन्हें अदानी के शेयरों को बेचने के लिए कहेगी। दूसरी तरफ अदानी ग्रुप के लिए आज प्रबंधों व जुगाड़ों का दिन है। गौतम अदानी येन केन प्रकारेण प्रधानमंत्री से किसी जुगाड़, किसी खाड़ी देश या चाइनीज...

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