स्वास्थ्य सेवा केंद्रों के बुरे हाल!
देश के किसी भी गांव में जाकर असलियत जानी जा सकती है। इतना ही नहीं आबादी के तेजी से बढ़ते आकार के बावजूद देश भर में जनसंख्या पर आधारित सेवा केन्द्रों व कर्मचारियों को बढ़ाने का काम कई वर्षों से ठप्प पड़ा है। ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा केन्द्रों के हाल इतने बुरे हैं कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में कोई भी विशेषज्ञ अपनी नियुक्ति नहीं चाहता। प्रशिक्षण केन्द्रों का पूरा स्टाफ व साज सज्जा दशकों से बेकार पड़ी है। आजादी के बाद नियोजित कार्यक्रम के तहत देश भर में जो कार्यक्रम शुरू किए गए थे, उनमें ग्रामीण इलाकों के लिए स्वास्थ्य परियोजनाएं...