Wednesday

21-05-2025 Vol 19

इलाज में ‘सर्ज प्राइस’!

317 Views

हर सेवा से पैसा कमाने का चलन अब मरीज की मजबूरी से फायदा उठाने तक पहुंच गया है। मांग एवं सप्लाई के सिद्धांत यहां भी लागू होना समाज की कैसी सूरत को जाहिर करता है, यह हम सबके लिए आत्म-मंथन का विषय है।

तो अब यह चलन इलाज में पहुंच गया। बड़े प्राइवेट अस्पताल अब सर्जरी या बेड की प्राथमिकता मरीजों की जरूरत के हिसाब से नहीं, बल्कि इस हिसाब से तय कर रहे हैं कि उनमें से कौन ज्यादा पैसा देगा। मतलब यह कि अस्पताल में पहले से ज्यादा मरीज भर्ती हों, तो नए मरीज को इलाज के लिए ज्यादा पैसा देना पड़ेगा। ठीक उसी तरह जैसे विमान या ट्रेन यात्रा में देना पड़ता है। जैसे-जैसे यात्रियों की संख्या बढ़ती है, टिकट महंगे होते जाते हैं। यही तरीका अब अनेक अस्पताल अपना रहे हैं। इस बारे में आई छपी एक विस्तृत रिपोर्ट के मुताबिक हेल्थ सेक्टर में यह नया चलन देखने को मिल रहा है। इससे मरीजों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। मरीजों के साथ-साथ मेडिकल बीमा कंपनियों को बढ़ी हुई लागत उठानी पड़ रही है।

खबर है कि बीमा कंपनियां इस सूरत को ध्यान में रख कर पॉलिसी प्रीमियम बढ़ाने जा रही हैं। बीमा कंपनियों के मुताबिक इलाज का खर्च साल-दर-साल बढ़ रहा है। इलाज खर्च सामान्य महंगाई की दर के मुकाबले 14 फीसदी से ज्यादा बढ़ा है। वैसे में अस्पताल सर्ज प्राइस के ताजा नियम से इलाज और महंगा बना रहे हैं। नए नियम के कारण इलाज खर्च में करीब 20 फीसदी की तेजी आई है। यहां तक कि अब रुटीन इलाज में भी अस्पताल नया नियम लागू करने लगे हैं। यानी इनमें भी पीक चार्ज लागू हो रहा है। जानकारों के मुताबिक अस्पतालों ने सिर्फ सर्ज प्राइस का नया नियम ही लागू नहीं किया है। बल्कि वे कई नए तरीके अपना रहे हैं, जिससे इलाज महंगा होता रहा है।

मसलन, पहले एंजियोप्लास्टी अस्पताल एक पैकेज के रूप में करते थे। इसमें एंजियोग्राम और स्टेंटिंग को एक ही कीमत में शामिल किया जाता था। लेकिन अब कई अस्पताल इसके लिए वे अलग-अलग फीस वसूल रहे हैँ। सार यह कि हर सेवा से पैसा कमाने का चलन अब मरीज की मजबूरी से फायदा उठाने तक पहुंच गया है। मांग एवं सप्लाई के सिद्धांत यहां भी लागू होना समाज की कैसी सूरत को जाहिर करता है, यह हम सबके लिए आत्म-मंथन का विषय है।

,,,,,

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *