jammu kashmir assembly election

  • जम्मू कश्मीर में बाहरी, भीतरी का विमर्श

    कांग्रेस नेता राहुल गांधी अब चुनाव जीतने के लिए उसी तरह से कोई भी मुद्दा उठाने लगे हैं, जैसे भाजपा का मौजूदा नेतृत्व उठाता है या प्रादेशिक पार्टियों के नेता उठाते हैं। जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह या भाजपा के किसी और नेता को सांप्रदायिक नैरेटिव बनाने में परेशानी नहीं होती है या ममता बनर्जी को बांग्ला अस्मिता का मुद्दा बनाने में परेशानी नहीं हुई वैसे ही राहुल गांधी को विभाजनकारी मुद्दे उठाने में परेशानी नहीं रह गई है। तभी उन्होंने जम्मू कश्मीर में बाहरी और भीतरी का मुद्दा उठाया। राहुल ने कहा...

  • ‘अनहोनी’ न हो कश्मीर में!

    हां, कश्मीर घाटी में लोग अफवाहों में जीते हैं। और श्रीनगर में अफवाह है कि उमर अब्दुल्ला दोनों सीटों में फंसे हुए हैं। और कश्मीर संभाग की 47 सीटों पर चुनावी मुकाबला एनसी-कांग्रेस एलायंस बनाम सभी पार्टियों की गोलबंदी में है। मतलब नेशनल कांफ्रेंस के उम्मीदवार उन आंतकियों, उन अलगाववादियों, निर्दलियों की एकजुटता से मुकाबला करते हुए हैं जो भाजपा से हवा पाए हैं। मेहबूबा मुफ्ती की पीडीपी बुरी तरह पिछ़ड रही है। मेहबूबा मुफ्ती की बेटी भी मुश्किल में हैं। यदि पीडीपी को तीन-चार सीटें मिल भी गईं तो वह भाजपा की सरकार बनवाने में मददगार होगी। अहम सवाल...

  • दांव पर अमित शाह की राजनीति!

    कोई न माने इस बात को लेकिन जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव अमित शाह की राजनीतिक चतुराई की परीक्षा है। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद अमित शाह ने पुनर्गठित जम्मू कश्मीर की पुरानी राजनीति को खत्म करने का हर नुस्खा अपनाया। चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन हुआ। जात-पांत की छोटी-छोटी गणित का हिसाब लगा कर सीटें तय कराई। दलबदल करवाया। नेशनल कांफ्रेंस के दमदार नेता तोड़े। लोकसभा के चुनाव में इंजीनियर राशिद का उपयोग कर उमर अब्दुल्ला को हराया। उसी के साथ घाटी में यह माहौल बना कि नई ताकत उभर रही है। दो परिवारों याकि अब्दुल्ला और मुफ्ती की...

  • कांग्रेस की गलतियां, बर्बादी की ‘सुपारी’

    कांग्रेस जिस अंदाज से चुनाव मैदान में उतरी है उसे देखते हुए तो यही माना जा सकता है कि बहुत ही ‘खूबसूरती’ के साथ उसके साथ एक ऐसा ‘खेला’ हो चुका है कि अब कोई बड़ा ‘चमत्कार’ ही उसे चुनाव परिणामों में सम्मानजनक स्थान दिला सकता है।  जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस ने एक नही कईं सारे ‘सेल्फ गोल’ एक साथ कर लिए हैं। कोई माने या न माने चुनाव में पार्टी बुरी तरह से पिछड़ती नज़र आ रही है। जिस अनमने ढंग से कांग्रेस जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव लड़ रही है उसे देखते हुए ऐसा लगता है मानों किसी ने जम्मू-कश्मीर में...

  • कश्मीर में पहले चरण का प्रचार समाप्त

    श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में पहले चरण की 24 सीटों के लिए बुधवार, 18 सितंबर को मतदान होना है। उसके लिए सोमवार की शाम को प्रचार बंद हो गया। प्रचार के आखिरी दिन सभी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंकी। भाजपा की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कमान संभाली। उन्होंने सोमवार को तीन जनसभा की और कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी पर जम कर हमला बोला। अमित शाह ने कहा कि भाजपा आतंकवाद को पाताल में गाड़ देगी। बहरहा, पहले चरण में दक्षिण कश्मीर और जम्मू के कुछ इलाकों में मतदान होगा। पहले चरण में जिन 24 सीटों पर...

  • दो खानदानों के पाप में भाजपा की भागीदारी

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को हरियाणा के अलावा जम्मू कश्मीर में चुनावी रैली को संबोधित किया, जहां उन्होंने कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के ऊपर हमला किया। हालांकि वहां भी पिछले पांच साल से उप राज्यपाल के जरिए सीधे नरेंद्र मोदी की सरकार चल रही है। उन्होंने इन तीन पार्टियों को तीन खानदान बता कर हमला किया और कहा कि आम लोगों का मुकाबला इन तीन खानदानों से है। हमले को धार देने के लिए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन तीन खानदानों से कश्मीर के साथ जो किया है वह किसी पाप से कम नहीं है। इन तीन खानदानों...

  • राशिद ने कांग्रेस को फंसा दिया

    अंतरिम जमानत पर जेल से छूट कर प्रचार के लिए जम्मू कश्मीर पहुंचे अलगाववादी नेता और आतंकवाद के आरोपी सांसद इंजीनियर राशिद ने विपक्षी गठबंधन को फंसा दिया है। राशिद ने कहा है कि अगर विपक्षी गठबंधन वादा करे कि उसकी सरकार बनेगी तो वे अनुच्छेद 370 बहाल करेंगे तो वे हर सीट से अपने उम्मीदवारों को हटा लेंगे। उनको पता है कि राज्य की दोनों बड़ी प्रादेशिक पार्टियों नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने वादा किया हुआ है कि उनकी सरकार बनी तो वे अनुच्छेद 370 हटाने का प्रयास करेंगे। लेकिन सबको पता है कि राज्य सरकार ऐसा नहीं कर...

  • घाटी में सब भाजपा के लिए लड़ रहे हैं

    जम्मू कश्मीर में तीन चरण में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और आखिरी चरण के लिए एक अक्टूबर को होने वाले मतदान के नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो गई है। भारतीय जनता पार्टी कश्मीर घाटी में सिर्फ 19 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कश्मीर घाटी में कुल 47 सीटें हैं, जिनमें से भाजपा 19 पर लड़ रही है। ऐसा नहीं है कि उसका किसी पार्टी के साथ गठबंधन है और उसने उनके लिए सीटें छोड़ी हैं। सोचें, उसने चुनाव से पहले हर सीट पर लड़ने की तैयारी की थी और हर सीट पर उसके उम्मीदवार तैयारी कर रहे थे।...

  • जम्मू कश्मीर में भाजपा की क्या योजना?

    यह लाख टके का सवाल है कि जम्मू कश्मीर में करीब छह साल तक राष्ट्रपति शासन रखने और अनुच्छेद 370 समाप्त करने के भी पांच साल बाद चुनाव हो रहे हैं तो उसे लेकर भाजपा की क्या योजना है? ऐसा तो संभव नहीं है कि सरकार सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के दबाव में चुनाव करा रही है। उसने भी सोचा होगा और स्थितियां अनुकूल लगी होंगी तभी चुनाव हो रहे हैं। लेकिन किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि भाजपा की चुनाव लड़ने की रणनीति क्या है और उससे भी ज्यादा अहम सवाल यह है कि चुनाव बाद की...

  • हताश और हारे गुलाम नबी!

    खराब सेहत को एक बड़ा कारण बता कर राजनीति के ‘दिग्गज’ खिलाड़ी कहे जाने वाले गुलाम नबी आज़ाद ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव से ऐन पहले अपने आप को चुनाव से अलग करने का ऐलान कर दिया है। ऐसा करते समय उन्होंने अपनी पार्टी के चुनाव लड़ने जा रहे साथियों को एक सलाह भी दे दी कि अगर वे चाहें तो वे चुनाव मैदान से हट भी सकते हैं।... अपने लाभ के लिए दूसरों का इस्तेमाल करना और फिर उन्हें छोड़ देना, यह कला आज़ाद से बेहतर दूसरा कोई नही जान सकता। जैसी संभावना थी ठीक वैसा ही हुआ, गुलाम नबी...

  • कश्मीर में राजनीति की सीरत व सूरत दोनों बदली!

    जम्मू-कश्मीर का स्वरूप व भूगोल बदलने के साथ-साथ प्रदेश की पूरी राजनीति भी बदल गई है। नए परिवेश और नए राजनीतिक माहौल के बीच होने जा रहे विधानसभा चुनाव अपने आप में बहुत ही दिलचस्प और अलग होने वाले हैं। यहां एक तरफ प्रदेश का आकार बदल गया है वहीं प्रदेश विधानसभा के स्वरूप में भी बड़ा बदलाव आया है । 90 सीटों में से कश्मीर संभाग में में 47 विधानसभा क्षेत्र हो गए हैं वही जम्मू संभाग को छह नए विधानसभा क्षेत्र मिले हैं। अब कश्मीरी पंड़ित समुदाय में से दो लोगों को मनोनीत किया जाने का प्रावधान है,...

  • धारा 370 की बजाय नए मुद्दे हावी!

    पूर्ण राज्य का दर्जा समाप्त कर दिए जाने से कश्मीर के साथ-साथ जम्मू के लोगों में भी कहीं न कहीं नाराज़गी है। जम्मू संभाग की आबादी का एक बड़ा हिस्सा जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन को लेकर बेहद संवेदनशील है और मानता है कि पूर्व डोगरा महाराजा गुलाब सिंह द्वारा बनाए गए जम्मू-कश्मीर के स्वरूप और आकार के साथ छेड़-छाड़ करना ठीक नही था। इसे डोगरा गौरव से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। जम्मू-कश्मीर में ऐसा बहुत कम हुआ है जब किसी एक मुद्दे ने पुरे प्रदेश की जनता को किसी एक मुद्दे विशेष से जोड़ा हो और कोई एक...

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