madhyapradesh election

  • ­कहीं देर ना हो जाए…

    भोपाल। “दुविधा में दोनों गये मिले ना राम रहीम” की तर्ज पर चुनाव लड़ने के विकल्प सीमित होते जा रहे हैं। भाजपा के जहां 94 प्रत्याशी घोषित होने ही बचे हैं वहीं कांग्रेस ने लगभग 140 सीटों पर प्रत्याशी तय कर लिए हैं और 90 सीटों पर कसरत कर रही है। यहां तक की बसपा और आप पार्टी भी अपने अधिकांश प्रत्याशी तय कर चुकी है। ऐसे में जो लोग अपने दल से टिकट न मिलने पर दल बदलकर चुनाव लड़ने की योजना पर काम कर रहे हैं उन्हें जल्दी निर्णय लेना चाहिए क्योंकि कुछ लोगों को यही उत्तर मिल...

  • दिग्गज होंगे मैदान में विधायकों के काटेंगे टिकट

    भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए भाजपा की तरह ही कांग्रेस में भी जहां दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारा जाएगा वही लगभग 30 विधायकों के टिकट भी काटे जाएंगे। दिल्ली में मंगलवार को कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की मैराथन बैठक चली जिसमें लगभग डेढ़ सौ सिंगल नामों पर सहमति बन गई है लेकिन सूची कब जारी होगी इसको लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है। दरअसल, प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए भाजपा और कांग्रेस अब पूरी तरह से प्रत्याशी चयन पर केंद्रित हो गए हैं संभावनाएं जताई जा रही हैं कि 6 अक्टूबर के बाद कभी भी...

  • बाबू समझो इशारे

    भोपाल। “बाबू समझो इशारे हौरन पुकारे” इन लाइनों के साथ ही फिल्म “चलती का नाम गाड़ी” में कलाकार किशोर कुमार और मन्ना डे की याद सबको आ गई होगी लेकिन अब वर्तमान में राजनीति में इशारों को समझना बेहद जरूरी हो गया है यह भी कह सकते हैं इशारों को अगर समझो राज को राज रहने दो। दरअसल, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित के शिल्पी सम्मेलन में कांग्रेस की तरफ से टिकट घोषित करने के सवाल पर उन्होंने कहा हमें कोई जल्दी नहीं है। जिन्हें इशारा करना था हमने कर दिया, इसी तरह...

  • मप्र भाजपा के ट्रम्प कार्ड हैं नरेंद्र तोमर…

    भोपाल। ताश के 52 पत्तों की तरह राजनीति में भी देहला पकड़ का खेल अब तेज हो गया है। मध्यप्रदेश की सियासत में कांग्रेस ने दिग्विजयसिंह की संगठन शक्ति के चलते भाजपा को तगड़ी चुनौती देना शुरू कर दिया है। इसके चलते 2003 से सत्ता सुख ले रहे भाजपा नेताओं में चिंता की लकीरें देखी जा रही है। महीनों की मशक्कत के बाद राष्ट्रीय नेतृत्व ने दिग्विजयसिंह की काट के रूप में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मैदान में उतारा है। अत्यंत कठिन दौर, दुविधा और ऊहापोह के बीच उन्हें प्रदेश भाजपा चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक बनाया गया...

  • चुनावी संघर्ष सोशल मीडिया के सहारे

    भोपाल। जिस तरह से दिन प्रतिदिन सोशल मीडिया का उपयोग बढ़ता जा रहा है उसको देखते हुए अब राजनीतिक दल भी चुनावी संघर्ष को जीतने के लिए सोशल मीडिया को सबसे बड़ा सहारा मान रहे हैं। प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए भाजपा और कांग्रेस सोशल मीडिया को सशक्त बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। दरअसल अब आम हो या खास हर हाथ में मोबाइल है। सेकंड में सूचनाएं लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुंचती है और राजनीतिक दलों को अपना पक्ष जनता के बीच पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया सबसे बड़ा माध्यम नजर आ रहा है। यही...

  • सत्ता वापसी के लिए घर वापसी

    भोपाल।प्रदेश में मिशन 2023 की तैयारियों में जुटे भाजपा और कांग्रेस के रणनीतिकार इस समय कार्यकर्ताओं को मनाने और पार्टी से दूर चले गए नेताओं को घर वापसी करने पर जोर दे रहे हैं खासकर सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी उन नेताओं को वापस ला रही है जिन्हें पार्टी ने कुछ महीने पहले ही निलंबित किया था। दरअसल 2018 की तरह एक बार फिर प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़े मुकाबले के आसार बन गए हैं क्योंकि दोनों ही दल करो या मरो की तर्ज पर समय से पूर्व ही है चुनावी तैयारियां करने में जुट गए हैं।...

  • मप्र चुनाव: उपेक्षितों को उपकृत करने पदों के पुरुस्कार

    भोपाल। सत्तारूढ़ दल भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस तेजी से उपेक्षित कार्यकर्ताओं और नेताओं को उपकृत करने में जुट गई है जिससे कि चुनावी दौर में मजबूत टीम तैयार की जा सके हालांकि भाजपा के पास उपकृत करने के लिए सत्ता और संगठन है तो कांग्रेस के पास केवल संगठन और सरकार बनने के बाद पदों के आश्वासन है। दरअसल जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं कार्यकर्ता और नेता अपने अस्तित्व का भान जनों को कराने लगे हैं और दलों के रणनीतिकार भी भली-भांति समझ गए हैं कि चुनाव के पहले जितना हो सके अधिकतम अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को उपकृत...

  • बुंदेलखंड का फोकस

    भोपाल। बुंदेलखंड में मजबूत जड़ें जमा चुकी भाजपा को चुनौती देने के लिए कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का फोकस इस इलाके में बना हुआ है 1 सप्ताह के भीतर दो पूर्व मुख्यमंत्री इस इलाके में ललकार चुके हैं लेकिन जिस तरह से भाजपा के नेता क्षेत्र में मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं उससे कांग्रेस की चुनौती आसान नहीं है। दरअसल बुंदेलखंड का इलाका ऐसा है जहां पिछले दो दशक से लगातार भाजपा 4 लोकसभा के चुनाव जीत रही है और विधानसभा की 26 सीटों में से भी अधिकांश सीटें भाजपा के खाते में जाती हैं लेकिन इस बार कांग्रेस बुंदेलखंड...

  • सरकार बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे दोनों दल

    भोपाल। एक तरफ जहां सत्ताधारी दल भाजपा का प्रादेशिक नेतृत्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदेश में सरकार बनाने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं वहीं विपक्षी दल कांग्रेस कोई मौका नहीं छोड़ रही है। एक तरफ जहां वचन पत्र में आकर्षक मुद्दे शामिल किए जा रहे हैं वहीं साफ्ट हिंदुत्व पर भी फोकस बनाए हुए हैं। दरअसल, रविवार को जिस किसी ने भी प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के भवन को देखा तो वह भौचक्का रह गया क्योंकि कांग्रेस भवन भगवा में नजर आ रहा था क्योंकि कार्यालय में धर्म संवाद कार्यक्रम का आयोजन हुआ था। जिसमें प्रदेश भर के मठ...

  • शक्ति प्रदर्शन के दौर में प्रदेश…

    भोपाल। अब जबकि प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने को कुछ ही महीने शेष बचे हैं तब तमाम राजनीतिक दल शक्ति प्रदर्शन करने में जुट गए हैं। सोमवार को कांग्रेस पार्टी ने राजधानी भोपाल में हुंकार भरी तो आज आम आदमी पार्टी के दोनों मुख्यमंत्री राजधानी पहुंच रहे हैं। वहीं सत्ताधारी दल भाजपा 14 से 24 मार्च तक चलने वाले बूथ अभियान टू का आज शुभारंभ करेगी। दरअसल, लंबे अरसे बाद सोमवार को कांग्रेस में राजधानी भोपाल में महंगाई, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों को लेकर एक बड़ा शक्ति प्रदर्शन किया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पुलिस ने वाटर कैनन से खदेड़ा। प्रदर्शनकारियों...

  • चुनाव से पहले शिवराज का बडा ऐलान

    मध्य प्रदेश में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने गरीब घर की हर महिला को एक हजार रुपया महीना देने की घोषणा की है। सवाल है कि भाजपा इस घोषणा को किस श्रेणी में रखेगी? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस तरह की घोषणाओं को ‘मुफ्त की रेवड़ी’ का कल्चर कहते हैं और इसे समाप्त करने की अपील उन्होंने की है। सुप्रीम कोर्ट में भी इसे लेकर सुनवाई चल रही है। ध्यान रहे सबसे पहले आम आदमी पार्टी ने पंजाब के विधानसभा चुनाव में हर बालिग महिला...

और लोड करें