कांग्रेस में सुनने वाला कौन है
ऐसा कहा जा रहा था कि मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद कामकाज की एक नई शैली कांग्रेस में विकसित होगी। कार्यकर्ताओं के साथ संवाद बेहतर होगा और नेताओं के लिए पार्टी आलाकमान तक अपनी बात पहुंचाने में आसानी होगी। खड़गे चूंकि कांग्रेस के सिस्टम में ही नीचे से सर्वोच्च पद तक आए हैं इसलिए वे कार्यकर्ताओं के साथ साथ छोटे नेताओं की समस्याओं को भी जानते, समझते हैं इसलिए उम्मीदें ज्यादा थीं। लेकिन खड़गे के अध्यक्ष बनने के बाद भी स्थिति वैसी ही है, जैसी पहले थी। अब भी सुनने वाला कोई नहीं है। बड़े बड़े नेताओं...