Padma Shri Award
नई दिल्ली। बाॅलीवुड के जाने-माने म्यूजिक कंपोजर ( Music Composer ) वनराज भाटिया ( Vanraj Bhatia ) का 93 साल की उम्र में निधन हो गया है. उन्होंने आज शुक्रवार को अपने घर में ही अंतिम सांस ली. पिछले कुछ सालों से वे मेडिकल प्रॉब्लम्स से जूझ रहे थे. आर्थिक तंगी से परेषान वे मुंबई के एक अपार्टमेंट में केयर टेकर के भरोसे अपना जीवन काट रहे थे. उन्होंने 60 के दशक में कई मशहूर ऐड फिल्मों का संगीत देते हुए अपने संगीतमय करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने ‘अंकुर’, ‘जाने भी दो यारो’ और ‘तमस’ जैसी बेहतरीन फिल्मों में संगीत दिया. उनके निधन पर बॉलीवुड सेलेब्स ने संवेदनाएं व्यक्त की है. यह भी पढ़ेंः – Bengal violence: कंगना की बढ़ी परेशानियां, बंगाल में दर्ज हुआ FIR बिस्तर से उठने में भी हो रही थी परेशानी वनराज राज भाटिया पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे. घुटनों में दर्द के चलते वे बिस्तर से उठकर चल-फिर भी नही पा रहे थे. उन्हें सुनाई भी नहीं देता था और उनकी याददाश्त भी कमजोर पड़ चुकी थी. यह भी पढ़ेंः – Shilpa Shetty की पूरी फैमिली कोरोना पाॅजिटिव, बताया कैसे बीते मुश्किलों भरे दिन आर्थिक तंगी ऐसी की बेचने पड़े घर के बर्तन इतने… Continue reading पद्मश्री से सम्मानित म्यूजिक कंपोजर Vanraj Bhatia का निधन, आर्थिक तंगी में गुजारे दिन
अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) ने देश के चौथे सबसे बड़े अवॉर्ड-पद्मश्री अवॉर्ड के लिए दिग्गज फुटबालर आईएम विजयन का नाम खेल मंत्रालय को भेजने का फैसला किया है।
पाकिस्तानी मूल के जाने-माने कलाकार अदनान सामी को पद्मश्री मिला नहीं कि तब से सोशल मीडिया में लोगों ने सरकार के इस कदम की आलोचना करनी शुरू कर दी है। एक जाना-माना कलाकार होने के बावजूद उनके दिवंगत पिता के कारण आलोचक उन्हें अपना निशाना बना रहे हैं। उन्हें पाकिस्तानी होने के बावजूद भाजपा की मोदी सरकार द्वारा सम्मानित किए जाने की आलोचना है। उनके पिता वहां के वायुसेना में फाइटर विमान चालक थे। उन्होंने तीन राष्ट्रपतियो व चार प्रधानमंत्रियों के एडीसी के रूप में काम किया और वे वहां की विदेश सेवा में शामिल होकर फिर राजनयिक बने। अदनान सामी भारत व पाकिस्तान के जाने-माने गायक, संगीतकार संगीत निर्देशक पियानो बजाने वाले कलाकार हैं। उन्होंने भारतीय फिल्मों में पाश्चात्य संगीत दिया हैं। उन्होंने पियानो व संतूर पर भारतीय शास्त्रीय संगीत बनाकर एक अलग स्थान प्राप्त किया। उनका जन्म 15 अगस्त 1971 को लंदन में हुआ था जहां उनके पिता अरशद सामी खान राजदूत थे व वो पहले पाक वायुसेना में रह चुके थे। उनकी मां नौरीन जम्मू कश्मीर की रहने वाली थी। उनके पिता ने पाकिस्तानी वायुसेना में ही काम किया था व भारत के खिलाफ 1965 के युद्ध में हिस्सा लिया था। बाद में वे वहां की सरकार… Continue reading अदनान सामी को पद्मश्री और भेड़िए
हर 26 जनवरी पर भारत सरकार पद्मश्री आदि पुरस्कार बांटती है। इन पुरस्कारों के लिए कई लोग दौड़-धूप करते हैं। नेताओं, अफसरों और पत्रकारों से सिफारिश करवाते हैं। उन्हें लालच भी देते हैं। लेकिन कई लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें ये पुरस्कार देने पर सरकार खुद तुली रहती है। वे इन पुरस्कारों के लिए किसी के आगे अपनी नाक नहीं रगड़ते। जब उन्हें बताया जाता है तो ज्यादातर लोग इन पुरस्कारों को सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं और अपने आप को भाग्यशाली समझते हैं लेकिन देश में ऐसे लोग भी हैं, जो इस तरह के पुरस्कारों को लेने से मना कर देते हैं। उनका तर्क यह भी होता है कि मैं तो पुरस्कार के योग्य हूं लेकिन पुरस्कार देनेवाले की योग्यता क्या है ? ऐसे पुरस्कारों की प्रामाणिकता या प्रतिष्ठा क्या है? खैर, इस बार दो खास मुसलमानों-अदनान सामी और रमजान खान को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा हुई। यों तो आजकल लोग इन सरकारी पुरस्कारों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते लेकिन इन दोनों पुरस्कारों पर मेरा ध्यान भी गया। अदनान सामी अच्छे गायक हैं लेकिन उन्होंने इस पुरस्कार के लिए अपने आप को कतार में खड़ा किया होगा, इसमें मुझे शक है। यह उन्हें जान-बूझकर दिया गया होगा ?… Continue reading दो खास मुसलमानों को पद्मश्री
मंगलुरु। प्रसिद्ध सैक्सोफोन वादक और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित कादरी गोपालनाथ का शुक्रवार को यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 69 वर्ष के थे। कादरी पिछले कुछ समय से बीमार थे। उनके परिवार में पत्नी के अलावा दो पुत्र मणिकांत और गुरू कादरी हैं। मणिकांत जाने माने संगीत निर्देशक हैं जबकि छोटा बेटा गुरू कुवैत में काम करते हैं। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक दिवंगत गोपालनाथ की अंत्येष्टि गुरू के स्वदेश वापसी के बाद होने की संभावना है। गोपालनाथ का जन्म 1950 में दक्षिण कन्नड़ के बंटवाल तालुक के सजीपा मूदा गांव में हुआ था। गोपालनाथ के पिता तनियप्पा नागास्वरा के विशेषज्ञ थे। उन्होंने एन गोपालकृष्णन अय्यर से सैक्साफोन के जरिये कर्नाटक संगीत की शिक्षा हासिल की थी। गोपालनाथ को पद्म श्री के अलावा केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी तथा कर्नाटक कलाश्री पुरस्कारों समेत कई सम्मानों से नवाजा गया था। कम उम्र में गोपालनाथ ने एक बार मैसूर पैलेस बैंड सेट में सैक्सोफोन बजाते देखा था। सैक्सोफोन के स्वर को सुनकर, गोपालनाथ ने इसका मास्टर बनने का फैसला किया। उनका पहला संगीत कार्यक्रम चेम्बाई मेमोरियल ट्रस्ट में आयोजित किया गया था। वर्ष 1980 का बॉम्बे जैज़ फेस्टिवल गोपालनाथ के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। वह अाकाशवाणी में… Continue reading प्रसिद्ध सैक्सोफोन वादक कादरी गोपालनाथ का निधन