US President

  • कब हुआ ऐसे कोई देश जलील?

    यों डोनाल्ड ट्रंप के मुंह अब कोई नहीं लग रहा है इसलिए भारत का रिएक्ट न होना ठीक ही है! लेकिन बावजूद इसके वे और उनके करीबियों ने जिस तरह भारत को कटघरे में खड़ा किया है वह भारत की सार्वभौमता को सीधी चुनौती है। विश्व राजनीति में कभी किसी देश को जुबानी इस तरह जलील नहीं किया गया, जैसे ट्रंप प्रशासन भारत को आए दिन जलील कर रहा है। सोचें, ट्रंप के व्यापार सलाहकार नवारो ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को ‘मोदी वॉर’ बताया। बुधवार को ‘ब्लूमबर्ग टीवी’ को दिए इंटरव्यू में उन्होंने भारत पर...

  • क्यों इतने हुए लाचार?

    trump tariffs india : अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का इरादा अप्रैल से जवाबी शुल्क (रेसिप्रोकल टैरिफ) लगाने का है, जिससे भारत की कठिनाइयां और बढ़ जाएंगी। सिटी रिसर्च के विश्लेषण के मुताबिक इससे भारत को सालाना सात बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है। भारतीय निर्यात के सामने अमेरिका और यूरोपीय संघ की कथित आक्रामक व्यापार नीतियों ने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। इस बात को अब ऊंचे सरकारी अधिकारी भी स्वीकार कर रहे हैं। विदेश व्यापार महानिदेशालय के प्रमुख संतोष षारंगी की ये टिप्पणी गौरतलब है- ‘समय का तकाजा है कि भारत अपनी व्यापर एवं औद्योगिक नीतियों पर...

  • सनकी हाथों में अमेरिका!

    donald trump : हाल में मेरे पड़ोसी की नौकरी छूट गई। उनके साथ, दुनिया में 4,000 लोगों ने अपनी नौकरियां गंवा दी। बांग्लादेश, नेपाल, अफगानिस्तान, श्रीलंका और दक्षिण एशिया के अन्य भागों में जो परियोजनाएं ये लोग चला रहे थे, उनमें रातों-रात कटौती कर दी गई। मेरी पड़ोसी डोनाल्ड ट्रंप व एलन मस्क के सुधारों के अंतर्गत अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय अनुदान संस्था, यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) और विदेश मंत्रालय के विलय का नतीजा भुगतने वाले शुरूआती व्यक्तियों में से एक हैं। (donald trump) यूएसएड की स्थापना सन् 1961 में डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति जान एफ. कैनेडी ने की थी। उस...

  • अमेरिका में सबकुछ इतनी आसानी से कैसे बदला?

    ट्रंप जो कर रहे हैं, वह एक व्यक्ति का सनकीपन नहीं है। बल्कि उस सनकीपन के पीछे एक सोच है, जिसने लंबे समय में ठोस रूप लिया है। ..अमेरिका के सार्वजनिक जीवन में प्रगतिकाल के इतिहास की जड़ें 1860 में गुलामी प्रथा मिटाने की पहल के खिलाफ हुए गृह युद्ध के बाद से ढूंढी जा सकती हैं।... अब शासक वर्ग अपनी हैसियत को लेकर इतना आश्वस्त है कि वह न्याय या समानता की चर्चा को भी पृष्ठभूमि में डाल देना चाहता है। दुनिया का इतिहास गवाह है कि ये कोशिश कामयाब नहीं होगी। यह दौर भी पलटेगा, लेकिन उसकी शर्त...

  • वहां काबिलियत यहां आरक्षण!

    अमेरिका में सरकारी कर्मचारी की हैसियत भारत जैसी नहीं है। कितनी गजब बात है कि डोनाल्‍ड ट्रंप ने एक आदेश से केंद्र सरकार में आरक्षण, सामाजिक सशक्तिकरण, एफर्मेटिव एक्शन से भर्ती हुए सभी कर्मचारियों को एक महीने का वेतन दे कर घर बैठा दिया। इतना ही नहीं उन्होंने प्राइवेट सेक्टर, बहुराष्ट्रीय कंपनियों को इन कसौटियों में भर्ती को ले कर चेतावनी दी। अर्थात इस तरह की भर्तियां बंद करें और केवल काबिलियत की कसौटी पर नौकरी दी जाए। डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर वहा हड़ताल नहीं हुई। न विरोधी पार्टी और सांसदों का हल्ला हुआ। किसी लेवल पर वोट राजनीति...

  • ट्रंप काल में भारत

    Donald Trump: अमेरिका के नए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप चीन के प्रति नरम रुख अपनाते हैं, तो भारत-अमेरिका संबंध प्रभावित हुए बिना नहीं रहेंगे। टैरिफ बढ़ाने की राह पर ट्रंप बढ़ते हैं, तो भारत के कृषि क्षेत्र के लिए नई चुनौतियां पैदा होंगी। डॉनल्ड ट्रंप की ताजपोशी के साथ अमेरिका की विदेश नीति को लेकर दुनिया भर में अनिश्चय और अंदेशे गहराए हैं। ऐसा माहौल ज्यादातर अमेरिका के सहयोगी देशों में बना है। क्योंकि आरंभिक तौर पर ट्रंप ने सहयोगी और पड़ोसी देशों के खिलाफ ही मोर्चा खोला है। जबकि जहां उनसे सख्त रुख की अपेक्षा रही है, वहां उन्होंने अप्रत्याशित...

  • ट्रंप अमेरिका की सूरत बदल देने को तैयार

    अमेरिकी सत्ता के तमाम केंद्र आज ट्रंप के पीछे एकजुट नजर आ रहे हैं। इसका दूरगामी परिणाम अमेरिकी सियासत के साथ-साथ विश्व शक्ति संतुलन पर भी पड़ेगा। ट्रंप अमेरिका को मागा के रंग में ढालने पर आमादा हैं। उनका एजेंडा आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक- तमाम दायरों में उन सारी प्रगतियों को पलट देने का है, जिनसे बीसवीं सदी में अमेरिका की उदारवादी छवि बनी थी। यानी उसे एक खास पहचान मिली थी। कुछ विश्लेषकों की इस राय से सहज ही इत्तेफ़ाक रखा जा सकता है कि डॉनल्ड ट्रंप अमेरिकी इतिहास के नहीं, तो कम-से-कम हाल के दशकों का सबसे ताकतवर...

  • ट्रंप का एजेंडा और ‘बदला टीम’ तैयार!

    US President Donald Trump का एजेंडा तैयार है। उन्होंने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। और मंत्रियों और आला अफसरों की टीम के लिए ऐसे लोगों को चुना हैं जो उनके ‘मेक अमरीका ग्रेट अगेन’ (एमएजीए) मिशन को उनके साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए अपना मिशन भी बनाएं। आठ साल पहले जब ट्रंप वाशिंगटन पहुंचे थे, तब वे एक राजनैतिक नौसिखिए थे और उन्हें मददगारों की दरकार थी। उस समय उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में जिन लोगों को शामिल किया था, उनमें से कई परंपरागत रूढ़िवादी थे जिनसे वे अधिक परिचित नहीं थे। मगर इस बार, वे एक पूर्व राष्ट्रपति...

  • बाइडन अब विरासत की हडबड़ी में!

    Joe biden: जो बाइडन का राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल अंत की ओर है। उन्हें जनवरी में व्हाइट हाउस छोड़ना है इसलिए   उन्हे अपना सामान बांधना है तो अपनी विरासत को भी संवारना है। उन्होंने 44वें राष्ट्रपति के रूप में जब पद संभाला था तब उन्हें उम्मीद थी कि वे ऐसी विरासत छोड़ जाएंगे जिसके चलते उन्हें  फ्रैंकलिन डी रूज़वेल्ट (एफडीआर) के बाद अमेरिका के सबसे प्रगतिशील राष्ट्रपति के रूप में याद किया जाएगा। लेकिन तकदीर को कुछ और मंजूर था। बाइडन बहुत कमज़ोर राष्ट्रपति साबित हुए है और वे कलह से भरी दुनिया छोड़े जा रहे हैं। also read: बांग्लादेश...

  • ट्रंप तीसरी बार भी राष्ट्रपति बनना चाहते हैं

    नई दिल्ली। अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ नहीं ली है लेकिन उन्होंने तीसरी बार की बात शुरू कर दी है। उन्होंने तीसरी बार भी राष्ट्रपति बनने की इच्छा जताई है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने बुधवार को राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात के पहले वाशिंगटन डीसी के एक होटल में अपने समर्थकों और सांसदों के बीच यह इच्छा जाहिर की। उसके बाद से यह बहस छिड़ गई है कि क्या ट्रंप तीसरी बार राष्ट्रपति बनने के लिए अमेरिका का संविधान बदल देंगे? बताया जा रहा है कि ट्रंप ने जब अपने...

  • स्वागत है सन् 2016 में!

    दुनिया को बदलाव के दौर के लिए अपनी कमर कस लेनी चाहिए। डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति चुने जा चुके हैं और वे व्हाइट हाउस के नए किरायेदार बनते ही “पूरे घर को बदल डालूँगा”  के अंहकार में काम करने का निश्चय किए हुए है। वे कईयों को नाराज़ करेंगे, उथल-पुथल मचाएंगे और शायद इजराइल व रूस को मनमानी करने देंगे। यूरोप बहुत परेशान रहेगा।, दुनिया में अति दक्षिणपंथियों का हौसला बढ़ेगा। दुनिया के शक्ति संतुलन में बदलाव आएगा। ट्रंप मार्का आर्थिकी की वापसी होगी। अंतर्राष्ट्रीय रिश्ते पहले से ज्यादा इस हाथ दे, उस हाथ ले पर आधारित हो जाएंगे।...

  • व्हाइट हाउस में भारत का दोस्त

    ट्रंप का एक और भाषण जो भारत में बहुत प्रसारित हुआ उसमें उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठाया। ट्रंप ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर जो अत्याचार हो रहा है वह बर्बर है। दुनिया का कोई नेता, जब बांग्लादेश में प्रताड़ित हो रहे हिंदओं के पक्ष में खड़ा नहीं हुआ तो ट्रंप हुए। क्या यह कोई मामूली बात है? क्या इस पर भारत के लोगों को खुशी नहीं मनानी चाहिए? सुनील सरावगी डोनाल्ड ट्रंप लौट आए हैं। अमेरिका के इतिहास में 131 साल में वे पहले राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने कमबैक किया है। चार साल...

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