Voter

  • झूठे वादों के जाल में नहीं फंसते मतदाता

    दशकों पहले हिंदी फिल्मों का एक गाना आया था, कि ‘ये जो पब्लिक है, सब जानती है’। सचमुच इसमें कोई संदेह नहीं है कि लोग सब कुछ जानते हैं। यह गाना तो उस समय का है, जब मीडिया का विस्तार बहुत मामूली था। संचार का माध्यम सिर्फ अखबार और कुछ पत्रिकाएं थीं। सोशल मीडिया का नामोनिशान नहीं था। तब एक गीतकार और फिल्मकार को पता था कि जनता सब कुछ जानती है। अब संचार के इतने साधनों के बीच क्या यह सोचा जा सकता है कि जनता कुछ नहीं जानती, समझती है या जो जानती है वह गलत जानती है?...

  • मतदाता मोदी को क्यों नहीं मानते दोषी?

    सर्वे ने भारत में बहुसंख्यक जनता की तेजी से बिगड़ रही आर्थिक स्थिति और देश में बढ़ रहे वर्ग विभाजन का संकेत दिया है। क्या यह आज की एक बड़ी विंडबना नहीं है कि जमीनी स्थिति ऐसी होने के बावजूद देश में आज वर्ग आधारित राजनीति करने वाली ताकतों का वजूद इक्का-दुक्का कहीं नजर आता है।...उलटे नरेंद्र मोदी का नेतृत्व चुनावों में एक महत्त्वपूर्ण पहलू बना हुआ है। प्रधानमंत्री पद के लिए वे आज भी लगभग आधे मतदाताओं की पहली पसंद बने हुए हैँ। आम चुनाव के लिए मतदान शुरू होने से ठीक पहले संभवतः एकमात्र ऐसा जनमत सर्वेक्षण सामने...

  • ज्यादा जान कर क्या करेंगे मतदाता?

    सुप्रीम कोर्ट ने ठीक कहा है कि उम्मीदवारों की भी निजता है और मतदाताओं के सामने उनकी सारी जानकारी देने की बाध्यता नहीं होनी चाहिए। अदालत ने एक अहम फैसले में कहा है कि जिस बात का मतदाताओं से सरोकार नहीं हो या मतदान पर जिससे असर नहीं पड़ता हो उसके बारे में उम्मीदवारों को अपने हलफनामे में बताने की जरुरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ  कर दिया है कि इस तरह की जानकारी अगर हलफनामे में नहीं दी गई है तो उस आधार पर किसी उम्मीदवार की जीत को चुनौती नहीं दी जा सकती है और न उसकी...