प्यासे लोगों का देश !
नीति आयोग से संबंधित पब्लिक पॉलिसी सेंटर ने पिछले साल अनुमान लगाया था कि साल 2030 तक मीठे पानी की उपलब्धता में लगभग 40 प्रतिशत की भारी गिरावट आ जाएगी। लेकिन क्या इस चेतावनी से किसी की नींद उड़ी? भारत के महानगरों में शब्दशः लोग बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं। वैसे बहुत से देहाती इलाकों में भी हालत बेहतर नहीं है। उससे से भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि लोगों की इस पीड़ा पर प्रभावशाली हलकों में कोई गंभीर चर्चा होती नहीं दिखती। इसलिए यह सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि सुधार के कोई कदम नहीं उठाए जाएंगे...