Monday

16-06-2025 Vol 19

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

प्रतिगामी दौर में अमेरिका

वहां चिकित्सा विज्ञान से स्वीकृत गर्भपात की दवा एक वयस्क महिला कब और कितनी मात्रा में खाएगी, इसे तय करने के कानून बनाए जा रहे हैं।

मूडीज ने आगाह किया

मूडी’ज ने कहा है कि विश्व में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि के मौजूदा ट्रेंड के लिए भविष्य में जोखिम बढ़ सकते हैं।

अब यह नया खतरा

दुनिया अब तक कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध के असर से नहीं उबरी है। ये घटनाएं खाद्य संकट और महंगाई का कारण बनीं।

क्या है सरकार की मंशा?

भारत की संवैधानिक व्यवस्था के तीन प्रमुख अंगों- विधायिका, कार्यकपालिका और न्यायपालिका- में कोई एक दूसरे लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाए, यह बात गले नहीं उतरती।

मीडिया अगर साथ हो!

दशक भर पहले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्टों को लेकर मीडिया ने भ्रष्टाचार का ऐसा नैरेटिव बनाया था, जिससे तत्कालीन यूपीए सरकार की जमीन खिसक गई थी।

जब बात बिगड़ती है

राजनीतिक संवाद अगर देश के प्रति एक दूसरे की निष्ठा पर संदेह जताने और बदजुबानी तक पहुंच जाए, तो उसे लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी माना जाना चाहिए।

स्वतंत्रता दिवस और स्वतंत्रता

यह शिकायत गहराती चली गई है कि एक औपचारिक लोकतंत्र रहते हुए भी भारत असल में नव-कुलीनतंत्र में तब्दील होता जा रहा है।

आमदनी गिरने की कहानी

वित्त वर्ष 2022-23 के आय कर रिटर्न के आंकड़ों ने चौंकाया तो नहीं है, लेकिन इस बात की एक बार पुष्टि जरूर की है कि देश में लोगों की...

चिंताजनक है यह तनाव

संसद का मानसून सत्र राजनीतिक तनाव को असाधारण रूप से बढ़ाते हुए खत्म हुआ है। इसकी चरण परिणति दोनों सदनों से सदस्यों का निलंबन है।

ऐसा मत कीजिए

निर्वाचन आयोग में आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया संबंधी सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के निर्णय को बदलने का केंद्र सरकार का प्रयास गलत समझ पर आधारित है।

पाकिस्तान का फर्जी लोकतंत्र

पाकिस्तान का सियासी माहौल इतना मटमैला हो गया है कि उसके बीच आम चुनाव की बात सिर्फ एक ड्रामा या उससे भी ज्यादा फर्जीवाड़ा मालूम पड़ती है।

अगर मकसद पूरा हो

ताजा संदर्भ यह है कि एक संसदीय समिति ने कहा है कि जजों की संपत्ति की घोषणा को अनिवार्य बनाने के लिए कानून लाया जाना चाहिए।

दवा उद्योग का संकट

डैबिलाइफ फार्मा प्राइवेट लिमिटेड के लिए बनी 'कोल्ड आउट' नाम की सर्दी की दवा है, जिसकी इराक में बिक्री होती है।

मणिपुर में बिगड़ते हालात

मणिपुर में अशांति की शुरुआत हुए तीन महीना गुजर गए हैं, लेकिन आज भी हर रोज आने वाली खबर वहां लगातार बिगड़ रहे हालात का संकेत दे रहे हैं।

यही वाजिब सवाल है

मीडिया रिपोर्टों से साफ है कि नूंह के दंगे में दोनों समुदायों के हिंसक तत्वों ने भागीदारी की। लेकिन बुल्डोजर की कार्रवाई एक समुदाय विशेष के मकानों पर हुई...

सरंक्षण या सरकार का शिकंजा?

केंद्र सरकार ने विपक्ष के विरोध के बीच लोकसभा में डेटा प्रोटेक्शन बिल को ध्वनि मत से पास करा लिया। राज्यसभा से भी यह बिल पास हो जाएगा, इसमें...

पाकिस्तान में सियासी अंधेरा

पाकिस्तान में लोकतंत्र की कहानी जुगनू की चमक जैसी ही है। उसका 75 साल का इतिहास रोशनी की थोड़ी से आस जगाने के बाद फिर लंबे अंधकार के दौर...

गैर-बराबरी के आंकड़े

गुजरे वित्त वर्ष के लिए फाइल किए गए इनकम टैक्स रिटर्न के आंकड़ों ने एक बार फिर से भारत में आमदनी की बढ़ रही गैर-बराबरी की कहानी बयान की...

राहुल गांधी का रास्ता

ठोस स्थितियों की अपनी समझ के आधार पर राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर निकले थे। कोर्ट से राहत मिलने के बाद उन्होंने जो कहा वह संकेत है कि...

दिमागी सेहत क्यों खराब?

चेतन सिंह के खिलाफ जाने वाला सबसे मजबूत साक्ष्य रेल मंत्रालय का दो अगस्त का बयान है, जिसमें कहा गया था कि आरोपी निजी स्तर पर अपना इलाज करवा...

कहीं कोई जवाबदेही नहीं?

हरियाणा के दंगाग्रस्त नूह इलाके में कार्यरत एक सीआईडी अधिकारी ने एक टीवी चैनल को बताया कि उन्होंने हिंसा की तैयारियों के बारे आगाह करते हुए अपने विभाग को...

अमेरिका की साख में सेंध

जो बात कभी सोचना भी कठिन लगता था, वह अब सचमुच हो रहा है। रेटिंग एजेंसी फिच ने दुनिया की इस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की क्रेडिट रेटिंग ट्रिपल ए...

यह तो बेरहमी है

ई विश्वविद्यालयों में फीस में हुई भारी बढ़ोतरी के बाद अब खबर है कि हॉस्टलों और पीजी कमरों पर 12 प्रतिशत जीएसटी भी लगा दिया गया है।

हद पार करता उन्माद

यह इतिहास-सिद्ध समझ है कि अगर किसी देश या समाज को उन्माद में उलझा दिया जाए, तो फिर उसे किसी दुश्मन की जरूरत नहीं रह जाती है।

भोथरी हो गई संवेदना?

ये आंकड़ा सरकार ने संसद में दिया है कि 2019 से 2021 के बीच देश में 13 लाख दस हजार लड़कियां गायब हो गईं।

नफरती पार्टियों का सहारा?

रोप में एक के बाद एक देश में धुर दक्षिणपंथी ताकतों का राजनीति में प्रभाव क्यों बढ़ता जा रहा है, यह सारी दुनिया के लिए गंभीर विचार मंथन का...

सिटी स्मार्ट में अवरोध

इस मिशन के तहत देश भर के सौ शहरों को चुना गया और बताया गया था कि  वहां आधुनिक आधारभूत ढांचा विकसित करके उन्हें एक साफ-सुथरे पर्यावरण वाला नगर...

मणिपुर की व्यथा-कथा

विपक्षी गठबंधन इंडिया के प्रतिनिधिमंडल की मणिपुर यात्रा से यह बात फिर सामने आई है कि यह राज्य किस तरह एक गृह युद्ध जैसी हालत में जी रहा है।

अविश्वास ही संकट है!

संसदीय लोकतंत्र के लिए यह बेहद अफसोस की बात है कि विपक्ष को प्रधानमंत्री से एक खास मुद्दे पर बयान दिलवाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव पेश करना पड़ा है।

कुछ और गारंटियां चाहिए

अर्थव्यवस्था का मूल्य बढ़ना और उसके आधार पर विश्व में दर्जा बढ़ना एक सामान्य प्रक्रिया है। इसका श्रेय कोई नेता ले, तो उससे एक अजीबोगरीब संदेश जाता है।

मोदी-शी में सहमति बनी थी?

सरकार दो-टूक लहजे में चीनी दावे का खंडन करे। या अगर सचमुच कोई सहमति बनी थी, तो फिर देश को बताया जाए कि वह क्या थी?

प्रगति थम गई है

देश में आम माहौल ऐसा है, जिसमें सामाजिक प्रगति और जन कल्याण के मुद्दे चर्चा से बाहर बने हुए हैं।

अर्थव्यवस्था की असल कहानी

भारतीय अर्थव्यवस्था की खुशहाल कहानी प्रचारित करने की कोशिशें अपनी जगह हैं, लेकिन इनके बीच ही देश के आम जन का असली हाल का इजहार मुख्यधारा मीडिया की सुर्खियों...

एक मुख्यमंत्री की आत्मा

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने मीडिया को अपने बारे में कभी बताया था कि फुटबॉल खेलना उनका शौक था और पत्रकारिता उनका जुनून।

स्पेनः जनादेश का सबक

स्पेन में रविवार को हुए आम चुनाव की पृष्ठभूमि ऐसी थी कि पांच दशक में वहां पहली धुर दक्षिणपंथी पार्टी के सत्ता में हिस्सेदार बनने की चर्चाएं लगातार हावी...

पीड़ा में भी पक्षपात

उप-राष्ट्रपति जगदीप धनकड़ का यह कथन उचित है कि लोकतंत्र का अर्थ सार्वजनिक कल्याण को सुनिश्चित के मकसद से संवाद, चर्चा, विचार-विमर्श और बहस है।

ये मौसम सामान्य नहीं

उत्तर भारत के लोगों को मौसम में बदलते और असामान्य मिजाज का अहसास इस समय जरूर हो रहा होगा।

आग फैल रही है

मणिपुर में हालात अभी भी उबाल पर हैं, जबकि अब इसकी लपटें मिजोरम को भी झुलसाने लगी हैं।

जागो देश जागो

वायरल हुए मणिपुर के वीडियो से यह सवाल उठा है कि क्या इस देश के कर्ता-धर्ताओं और नागरिक समाज में रत्ती भर भी शर्म बची है!

कदम सिर्फ दिखावटी ना हो

भारत सरकार की यह पहल सही दिशा में है। सरकार ने सहारा समूह की चार सहकारी समितियों में निवेश करने वालों के पैसों को लौटाने के लिए एक नई...

चुनावी मुकाबले में ‘इंडिया’

छब्बीस विपक्षी दलों ने अपने गठबंधन का नाम कुछ इस ढंग से रखा, जिससे उसका शॉर्ट फॉर्म ‘इंडिया’ बने। इस तरह उन्होंने भारत के मतदाताओं के मन को छूने...

गरीबी पर बहस हो

पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक जारी किया था, जिसमें बताया गया कि इस पैमाने पर भारत में गरीबों की संख्या घटकर 16.4 रह...

सिर्फ सिस्टम काफी नहीं

क्या यह सचमुच रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने और इस रूप में अमेरिकी डॉलर के एक विकल्प के रूप में खड़ा करने के लिहाज से पर्याप्त है?

डगमगाती विकासशील अर्थव्यवस्थाएं

चीन में पिछला पूरा साल कोरोना प्रभावित रहा था, जिसका उसकी अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ा। इस वर्ष सुधार के संकेत हैं, लेकिन उतना नहीं, जिसकी उम्मीद की...

किस एकता में ज्यादा दम?

विपक्षी दलों का एकजुटता प्रयास बंगलुरू पहुंचने के मौके पर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को भी अपने गठबंधन- नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (एनडीए) का ख्याल आया।

शहर बाढ़ से कैसे बचें?

देश की राजधानी का बड़ा हिस्सा पिछले हफ्ते बाढ़ में डूब गया। बारिश हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में हुई, जिससे यमुना में पानी आया।

कर्ज का ये बोझ क्यों?

विकासशील दुनिया इस वक्त कर्ज के कैसे बोझ तले दबी हुई है, इसकी एक चिंताजनक तस्वीर अब सामने आई है।

हर जगह मौसम की मार

जलवायु परिवर्तन का असर एक बार फिर यही जाहिर कर रहा है कि कुदरत किन्हीं सरहदों का ख्याल नहीं करती।