Tuesday

01-07-2025 Vol 19

संपादकीय

उपाय सोचने की जरूरत

उपाय सोचने की जरूरत

रासायनिक खादों का उपज बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।
विपक्ष के ब्लैक शीप

विपक्ष के ब्लैक शीप

अरविंद केजरीवाल की विपक्ष की पटना बैठक का माहौल बिगाड़ने के मकसद से वहां गए थे। इसका संकेत उनकी पार्टी पहले से ही दे रही थी।
कटिंग-एज तो नहीं

कटिंग-एज तो नहीं

रणनीतिक क्षेत्र में भारत में अमेरिकी नौसैनिक बेड़ों को “मरम्मत की सुविधा” देने पर सहमति बनी, उसे जरूर एक अहम घटना समझा जाएगा।
मौसम क्यों बना जानलेवा?

मौसम क्यों बना जानलेवा?

ना ही चिकित्सा व्यवस्था का दुरुस्त तंत्र है। ऐसे में थोड़ा भी असामान्य मौसम अगर जानलेवा बन जाता है, तो उसमें हैरत की कोई बात नहीं है।
जब सुना ही ना जाए!

जब सुना ही ना जाए!

मणिपुर के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की मनोदशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। खास बात यह कि इन प्रतिनिधियों में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेता भी शामिल हैं।
बात हुई, यही काफी

बात हुई, यही काफी

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन की चीन यात्रा से क्या कोई ठोस नतीजा निकला, यह कहना कठिन है।
बड़े बदलाव की जरूरत

बड़े बदलाव की जरूरत

भारत में अंगदान की मांग उपलब्धता की तुलना में बहुत ज्यादा है। कारण देश में अंगदान करने वाले लोगों की भारी कमी है।
हर सिगरेट खतरनाक है

हर सिगरेट खतरनाक है

समाज में यह गलत धारणा बनाई गई है कि ई-सिगरेट खतरनाक नहीं है। इस भ्रम के कारण कई लोग सिगरेट छोड़ने की कोशिश में इसे अपना लेते हैं।
कठघरे में रिजर्व बैंक

कठघरे में रिजर्व बैंक

एक खबर यह है कि आरबीआई ने बैंकों को उन डिफॉल्टरों से समझौता कर मामला निपटाने का अधिकार दे दिया है, जिन्होंने जानबूझ कर ऋण नहीं चुकाया।
तकनीक साझा करेगा अमेरिका?

तकनीक साझा करेगा अमेरिका?

हथियार कारोबार का हिसाब-किताब रखने वाली स्वीडन की प्रमुख संस्था- सिपरी की रिपोर्ट के मुताबिक 2018-22 की अवधि में भारत दुनिया में सबसे बड़ा हथियार आयातक देश रहा।
समस्या व्यवस्थागत है

समस्या व्यवस्थागत है

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार 75 फीसदी से अधिक डॉक्टरों ने कार्यस्थल पर किसी न किसी प्रकार की हिंसा का सामना किया है।
तमाम प्रगति के बावजूद

तमाम प्रगति के बावजूद

सयुंक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने इस अध्ययन में जिन लोगों को शामिल किया, उनमें से 90 फीसदी ने कम से कम एक लैंगिक पूर्वाग्रह से ग्रस्त होने की...
गलवान के तीन साल

गलवान के तीन साल

गलवान घाटी की दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद घटना की तीसरी बरसी एक उचित अवसर है, जब चीन के मामले में भारत की नीति का एक ठोस आकलन किया जाए।