इस वक्त जब फ्रांस गहरे आर्थिक संकट में है, तब मैक्रों भारत यात्रा को एक राहत के रूप में देख रहे होंगे। फ्रांस हथियारों और परमाणु ऊर्जा उपकरणों का बड़ा निर्माता है, जबकि इन क्षेत्रों में भारत एक बड़े खरीदार के रूप में उभरा है।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों आज गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इरादा इस मौके पर क्वैड के सदस्य देशों- अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं को साझा मुख्य अतिथि बनाने का था, लेकिन इसमें पेच पड़ गए। तब आनन-फानन मैक्रों को बुलाने की कोशिश हुई और मैक्रों ने भारत सरकार को निराश नहीं किया। संभवतः इसलिए कि इस वक्त जब पूरे यूरोप के साथ फ्रांस भी गहरे आर्थिक संकट और सामाजिक तनाव का शिकार है, तब मैक्रों भारत यात्रा के मिले मौके को एक राहत के रूप में देख रहे होंगे। फ्रांस हथियारों और परमाणु ऊर्जा उपकरणों का बड़ा निर्माता है, जबकि इन क्षेत्रों में भारत एक बड़े खरीदार के रूप में उभरा है। तो मैक्रों की जयपुर से शुरू हुई ताजा यात्रा के दौरान मुख्य ध्यान संबंधित कारोबार पर ही टिका रहा है। जबकि इस यात्रा से ठीक पहले एक विवाद खड़ा होने की स्थिति बनी थी। भारत स्थित एक फ्रांसीसी पत्रकार को नोटिस जारी हुआ, जिसमें कहा गया कि उनका काम भारत के हितों के खिलाफ है। वनेसा डोनियाक नाम की ये पत्रकार 22 साल से भारत में हैं।
नोटिस मिलने के बाद उन्होंने कहा कि अब संभव है उन्हें देश से निकाल दिया जाए। डोनियाक फ्रांसीसी भाषा के कई अखबारों, पत्रिकाओं और वेबसाइटों के लिए लेखन करती हैं। लेकिन यह साफ है कि फ्रांस के राजनीतिक नेतृत्व ने इस मुद्दे को तरजीह नहीं दी है। मैक्रों का सिरदर्द अपने देश में बिगड़ते हालात हैं। फ्रांस में दो हफ्ते से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसानों ने कई जगहों पर सड़कें बंद कर दी हैं। 23 जनवरी को दक्षिण-पश्चिम फ्रांस में ऐसे ही एक सड़क जाम के दौरान एक कार से ट्रैक्टर टकरा गया। इस कांड में दो लोग मारे गए। इसके पहले कई और कामगार समूह सड़कों पर उतर चुके हैं। सांप्रदायिक/नस्लीय तनाव एक अलग चिंता कारण बना हुआ है। स्पष्टतः इन हालात के बीच मैक्रों अगर भारत से कुछ नए कारोबार हासिल कर सके, तो यह उनके लिए राहत की बात होगी। इससे वे अपने देश में अपने लिए सकारात्मक सुर्खियां प्राप्त कर सकेंगे।