बांग्लादेश की मौजूदा सरकार अलग दिशा में चल रही है। उसने संबंधों में पाकिस्तान और चीन को अहमियत दी है। बांग्लादेश के प्रमुख एक सैन्य अधिकारी हाल में पाकिस्तान गए। उधर विदेश नीति संबंधी सलाहकार ने चीन की यात्रा की है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विदेश नीति सलाहकार तौहीद हुसैन चीन के दौरे पर हैं। चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इस मौके पर यह जिक्र करना जरूरी समझा कि बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनने के बाद हुसैन ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए चीन को चुना है। अखबार ने इसे इसका संकेत माना कि बांग्लादेश में राजनीतिक बदलाव के बावजूद चीन के साथ उसके संबंध अप्रभावित रहेंगे। बेशक, पूर्व शेख हसीना की सरकार ने भी चीन के साथ निकट रिश्ते बनाए थे। उनके कार्यकाल में ही बांग्लादेश चीन की महत्त्वाकांक्षी योजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल हुआ। इसके बावजूद यह देखा गया था कि चीन के साथ संवाद और संबंध में तत्कालीन सरकार हमेशा भारत की भावनाओं का ख्याल रखती थी। मगर बांग्लादेश की मौजूदा सरकार अलग दिशा में चल रही है।
उसका एक प्रमाण संबंधों में पाकिस्तान को दी गई अहमियत है। बांग्लादेश के प्रमुख सैन्य अधिकारी जनरल एसएम कमरुल हसन 14 जनवरी को पाकिस्तान गए। जनरल कमरुल ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से मुलाक़ात की। खबर है कि दोनों अधिकारियों ने दोनों देशों के बीच सेना के स्तर पर संबंध कायम करने पर बातचीत की। खबरों के मुताबिक पाकिस्तान बांग्लादेश को जेएफ़-17 लड़ाकू विमान देने पर विचार कर रहा है। यह चीन में बना विमान है, जिसे बांग्लादेश पाकिस्तान से ख़रीदेगा। पाकिस्तान और चीन के बीच गहरे रक्षा संबंध हैं। ताजा खबरों से चर्चा छिड़ी है कि बांग्लादेश को इसमें शामिल कर पाकिस्तान ऐसी तिकड़ी बनाने की कोशिश में है, जिससे भारत के लिए चुनौतियां खड़ी होंगी।
अनुमान लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान ने ये पहल बिना चीन की सहमति के नहीं की होगी। तौहीद हुसैन की चीन यात्रा को इस संदर्भ में भी अहम माना गया है। नए उभर रहे संबंधों के अन्य आयाम भी हैं। पिछले हफ़्ते पाकिस्तान से बांग्लादेश के लिए एक और हाई प्रोफाइल दौरा हुआ। फेडरेशन ऑफ पाकिस्तान चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज़ का एक प्रतिनिधिमंडल बांग्लादेश पहुंचा। यानी रक्षा और व्यापार को जोड़ते हुए रणनीतिक संबंध बनाने की कोशिश होती दिख रही है। भारत को इस पर नज़र रखनी होगी।
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