nayaindia US Credit Rating fitch अमेरिका की साख में सेंध
Editorial1

अमेरिका की साख में सेंध

ByNI Editorial,
Share

फिच ने कहा है कि अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग घटाना अगले तीन सालों में संभावित मौद्रिक गिरावट, बहुत तेजी से बढ़ते कर्ज और सरकारी तंत्र में उथल-पुथल का संकेत है। पिछले करीब दो दशकों में देश के सरकारी तंत्र में अस्थिरता देखी गई है।

जो बात कभी सोचना भी कठिन लगता था, वह अब सचमुच हो रहा है। रेटिंग एजेंसी फिच ने दुनिया की इस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की क्रेडिट रेटिंग ट्रिपल ए से घटाकर डबल ए प्लस कर दी है। इसकी वजह बताते हुए एजेंसी ने कहा है कि पिछले दो दशक में सरकार के प्रशासन में लगातार गिरावट देखी जा रही है। देश की वित्तीय हालत और उस पर बढ़ते कर्ज के बोझ से बनी स्थिति भी चिंताजनक होती जा रही है। गौरतलब है कि निवेशक किसी भी सरकार को कर्ज देने के लिए या उस देश में निवेश से संबंधित जोखिम का मूल्यांकन क्रेडिट एजेंसियों की रेटिंग के आधार पर करते हैं। अब तक अपनी अर्थव्यवस्था के विशाल आकार और स्थिरता के कारण अमेरिका में निवेश को आम तौर पर बेहद सुरक्षित माना जाता था। लेकिन पिछले कुछ साल से अमेरिका में राजनीतिक अस्थिरता का दौर रहा है। 2020 के चुनावों के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने जो बाइडेन की जीत को स्वीकार करने से ही इनकार कर दिया था।

इस बीच पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को मुकदमों में फंसाने की जारी कोशिशों से उनके समर्थकों में नाराजगी बढ़ रही है। इसे एक प्रकार की संभावित अस्थिरता का कारण समझा जा रहा है। दोनों प्रमुख पार्टियों के बीच बढ़ते टकराव का नतीजा है कि इस साल जून में अमेरिका डिफॉल्टर होने के कगार तक पहुंच गया था। तब सरकार को कर्ज सीमा बढ़वाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी। कर्ज सीमा में बढ़ोतरी के बाद अमेरिका सरकार का कर्ज तेजी से बढ़ा है। ऐसी स्थितियों को अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं माना जाता। फिच ने कहा है कि रेटिंग घटाना अगले तीन सालों में संभावित मौद्रिक गिरावट, बहुत तेजी से बढ़ते कर्ज और सरकारी तंत्र में उथल-पुथल का संकेत है। पिछले करीब दो दशकों में देश के सरकारी तंत्र में अस्थिरता देखी गई है। फिच के मुताबिक जून में दोनों दलों के बीच कर्ज सीमा को 2025 तक बढ़ाने की सहमति बावजूद हकीकत यही है कि अमेरिका में मौद्रिक और कर्ज संबंधी स्थितियां बिगड़ती जा रही हैं।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें

  • जांच का ये अंदाज!

    जब कार्यक्षेत्रों को लेकर भ्रामक स्थितियां नहीं थीं, तब कायदा यह था कि किसी राज्य की पुलिस को दूसरे राज्य...

  • मणिपुर का क्या होगा?

    मणिपुर में समस्या सिर्फ कानून-व्यवस्था की नहीं है। बल्कि ये सामाजिक स्तर पर चौड़ी होती गई खाई का परिणाम हैं।...

  • क्योंकि जड़ कमजोर है

    ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक दूरसंचार, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक आदि से संबंधित उत्पादन में चीन से आयातित पाट-पुर्जों का हिस्सा...

Naya India स्क्रॉल करें