nayaindia travel and tourism ranking पर्यटन में भी पिछड़े

पर्यटन में भी पिछड़े

यह रिपोर्ट एक बार फिर हमें आगाह करती है कि जब देश के अंदर भारत उदय की अयथार्थ कहानी में अधिक से अधिक लोग यकीन कर रहे हैं, उसी समय पर्यटन जैसे क्षेत्र में भी भारत की असल छवि दुनिया में बिगड़ रही है।

वैश्विक पैमानों पर भारत के पिछड़ते चले जाने का सिलसिला और आगे बढ़ा है। अब खबर है कि वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम (डब्लूईएफ) के ट्रेवल एंड टूरिज्म डेवलपमेंट इंडेक्स (टीटीडीआई) पर भारत 2019 की तुलना में दस पायदान नीचे चला गया है। डब्लूईएफ की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की यह सूरत स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी और पर्यटन इंफ्रास्ट्रक्चर की कमजोरी के कारण उभरी है। रिपोर्ट के मुताबिक सेवा क्षेत्र क्षेत्र में मौजूद कर्मियों के निम्न कौशल के कारण भी इंडेक्स में भारत को कम अंक प्राप्त हुए।

इंडेक्स तैयार करने के क्रम में विभिन्न देशों को एक से सात तक अंक दिए गए। भारत को 4.25 अंक प्राप्त हुए। इस तरह सूचकांक पर दस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारत का स्थान पांच साल पहले की तुलना में दस पायदान गिर गया। यहां तक कि उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों में भी भारत का दर्जा चीन और ब्राजील के नीचे आया। रिपोर्ट में कहा गया कि जिन देशों की स्थिति गुजरे पांच वर्ष में सबसे ज्यादा बिगड़ी उनमें भारत और ब्रिटेन प्रमुख हैं।

दूसरी तरफ जिन देशों की स्थिति सबसे अधिक सुधरी, उनमें चीन उल्लेखनीय है। सूचकांक में अमेरिका पहले, चीन आठवें और भारत 39वें स्थान पर आया है। उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों में चीन एवं ब्राजील के अलावा इंडोनेशिया,, तुर्किये, मलेशिया और मेक्सिको को भारत से अधिक अंक मिले हैं। यह रिपोर्ट एक बार फिर हमें आगाह करती है कि जब देश के अंदर भारत उदय की अयथार्थ कहानी में अधिक से अधिक लोग यकीन कर रहे हैं, उसी समय पर्यटन जैसे क्षेत्र में भी भारत की असल छवि दुनिया में बिगड़ रही है।

क्या यह गंभीर चिंता का विषय नहीं है कि जिस समय भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर में तीव्र विकास की कहानियां प्रचारित हैं, उसी समय इन्फ्रास्ट्रक्चर में कमजोरी के कारण टीटीडीआई पर भारत के अंक कटे हैं? इसी तरह भारत के सेवा क्षेत्र में आगे बढ़ने का नैरेटिव गढ़ा गया है, लेकिन डब्लूईएफ ने इस क्षेत्र के भारतीय कर्मियों को लो-स्किल का बताया है? इसलिए यह वक्त भारतवासियों के जागने का है। निराधार खुशफहमी में जीना देश को बहुत महंगा पड़ रहा है।

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