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30-07-2025 Vol 19

बॉलीवुड के ‘भारत’ ने कहा अलविदा, एकमात्र एक्टर जिसने सरकार से मुकदमा जीता….

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भारतीय सिनेमा जगत के एक अमिट सितारे, दिग्गज अभिनेता और फिल्म निर्देशक मनोज कुमार अब हमारे बीच नहीं रहे। 87 वर्ष की आयु में उन्होंने मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली।

भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को गहरा झटका देते हुए, यह खबर न केवल उनके प्रशंसकों बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए शोक का कारण बन गई है।

मनोज कुमार, जिन्हें उनके प्रशंसक प्यार से “भारत कुमार” कहा करते थे, ने अपने फिल्मी करियर में देशभक्ति की भावना को पर्दे पर जीवंत कर एक नई मिसाल कायम की थी। उन्होंने भारतीय संस्कृति, संस्कार और देश के प्रति समर्पण को जिस प्रकार से अपनी फिल्मों में उतारा, वह आज भी करोड़ों लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।

उनकी यादगार फिल्मों में ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘क्रांति’, और ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ जैसी सुपरहिट फिल्में शामिल हैं। ये फिल्में न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफल रहीं, बल्कि उन्होंने देश के सामाजिक और राजनीतिक परिवेश को भी गहराई से छुआ।

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मनोज कुमार ने अभिनय ही नहीं, बल्कि निर्देशन और लेखन में भी अपना लोहा मनवाया। उनकी कलात्मक दृष्टि और समाज के प्रति जागरूकता ने उन्हें समकालीन कलाकारों में एक विशेष स्थान दिलाया।

उनके बेटे कुणाल गोस्वामी ने मीडिया को बताया कि वे लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे थे और डीकंपेंसेटेड लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी के कारण 21 फरवरी 2025 को अस्पताल में भर्ती कराए गए थे। उन्होंने आगे कहा, “यह भगवान की कृपा है कि पिताजी ने शांतिपूर्वक इस दुनिया को अलविदा कहा।”

मनोज कुमार का अंतिम संस्कार कल, उनके परिजनों और चाहने वालों की उपस्थिति में संपन्न होगा। उनका जाना भारतीय सिनेमा के एक युग का अंत है। वे केवल एक अभिनेता नहीं थे, बल्कि एक विचारधारा, एक भावना, और एक प्रेरणा थे जो आने वाली पीढ़ियों को सदा मार्गदर्शन देती रहेंगी।

दिलीप कुमार की वजह से बना ‘मनोज कुमार

बचपन से ही मनोज कुमार, ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार के जबरदस्त प्रशंसक थे। साल 1949 में रिलीज़ हुई फिल्म शबनम ने उनके दिल में खास जगह बना ली थी। इस फिल्म में दिलीप कुमार का किरदार मनोज नाम का था, जिसे मनोज कुमार ने कई बार देखा और सराहा।

जब वे खुद फिल्मों में कदम रखने लगे, तो अपने पसंदीदा अभिनेता को सम्मान देने के लिए उन्होंने अपना नाम भी ‘मनोज कुमार’ रख लिया।

मनोज कुमार की फिल्में और पुरस्कार

24 जुलाई 1937 को हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी के रूप में जन्मे मनोज कुमार न सिर्फ भारतीय सिनेमा के एक बेहतरीन अभिनेता थे, बल्कि वे उन चंद कलाकारों में से एक थे जिन्होंने सिनेमा को सामाजिक और राष्ट्रीय चेतना से जोड़कर एक नई दिशा दी।

उनका फिल्मी नाम ‘मनोज कुमार’ तो लोकप्रिय हुआ ही, लेकिन लोग उन्हें ‘भारत कुमार’ के नाम से ज्यादा जानते और पहचानते हैं — एक ऐसा नाम जो उनके काम की देशभक्ति से जुड़ी पहचान का प्रतीक बन गया।

मनोज कुमार ने न सिर्फ देशभक्ति आधारित फिल्मों में अभिनय किया, बल्कि उन्हें खुद लिखा और निर्देशित भी किया। उनकी फिल्मों में भारत की माटी, उसकी संस्कृति, और जनमानस की भावनाएं इस तरह से चित्रित की जाती थीं कि हर भारतीय दर्शक उनसे जुड़ाव महसूस करता था।

उनकी सर्वश्रेष्ठ और कालजयी फिल्मों में शामिल….

“शहीद” (1965) – भगत सिंह के जीवन पर आधारित यह फिल्म भारतीय युवाओं को देशप्रेम का संदेश देने वाली एक प्रेरणास्पद प्रस्तुति थी।

“उपकार” (1967) – भारत के किसान और जवान के योगदान को सलाम करती इस फिल्म ने उन्हें घर-घर में लोकप्रिय बना दिया।

“पूरब और पश्चिम” (1970) – भारतीय संस्कृति और पश्चिमी प्रभावों के बीच एक गहरी बहस को उन्होंने बड़े परदे पर खूबसूरती से दर्शाया।

“रोटी, कपड़ा और मकान” (1974) – आम आदमी की जरूरतों और संघर्षों को सामने लाने वाली यह फिल्म आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।

देशभक्ति फिल्मों के अलावा भी उन्होंने कई हिट और क्लासिक फिल्मों में यादगार अभिनय किया, जैसे –हरियाली और रास्ता, वो कौन थी, हिमालय की गोद में, दो बदन, पत्थर के सनम, नील कमल, क्रांति (1981) – एक और शक्तिशाली देशभक्ति फिल्म जिसमें उन्होंने शानदार भूमिका निभाई और इसे निर्देशित भी किया।

मनोज कुमार की फिल्में न सिर्फ मनोरंजन का माध्यम थीं, बल्कि उनमें सामाजिक जागरूकता और राष्ट्रीय कर्तव्यों की गूंज होती थी। यही कारण है कि उनके योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया।

सम्मान और पुरस्कार

पद्मश्री (1992): भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए उन्हें इस प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान से नवाजा गया।

दादा साहब फाल्के पुरस्कार (2016): भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान से उन्हें सिनेमा में जीवनपर्यंत योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

फिल्मफेयर अवॉर्ड्स: मनोज कुमार को कुल 7 फिल्मफेयर पुरस्कार मिले। इनमें से 1968 में उनकी फिल्म ‘उपकार’ ने चार प्रमुख श्रेणियों — बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट स्टोरी और बेस्ट डायलॉग — में अवॉर्ड जीते।

मनोज कुमार ने इमरजेंसी का विरोध किया

हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम युग के चमकते सितारे, दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार का निधन समस्त फिल्मजगत और देशवासियों के लिए एक अपूरणीय क्षति है। मनोज कुमार केवल एक अभिनेता नहीं थे, वे एक सोच थे, एक भावना थे, जो पर्दे पर जीवंत होकर देशभक्ति, सामाजिक चेतना और नैतिक मूल्यों का संदेश देते थे।

उनकी फिल्मों में न सिर्फ एक कलाकार की प्रतिभा झलकती थी, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक की आत्मा भी समाहित होती थी। ‘पूरब और पश्चिम, ‘शहीद, ‘क्रांति’ और ‘रोटी कपड़ा और मकान’ जैसी कालजयी फिल्मों से उन्होंने दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी।

मनोज कुमार को हिंदी सिनेमा में ‘भारत कुमार’ के नाम से भी जाना जाता था। यह उपाधि उनके द्वारा निभाए गए देशभक्त किरदारों की श्रृंखला और उनके सशक्त अभिनय की बदौलत उन्हें मिली थी।

उनके अभिनय में देशप्रेम केवल अभिनय नहीं, बल्कि उनके विचारों और जीवन दर्शन का प्रतिबिंब था। बॉलीवुड में मनोज कुमार के डेयरिंग एटिट्यूट के कई किस्से सुनने को मिलते हैं, लेकिन एक किस्सा ऐसा है जो कि इंदिरा गांधी से जुड़ा हुआ है. ये किस्सा उस दौर का है जब मनोज कुमार ने इंदिरा गांधी की इमरजेंसी का जमकर विरोध किया था.

इमरजेंसी में मनोज कुमार की फिल्म पर बैन

मनोज कुमार का जीवन केवल अभिनय तक सीमित नहीं था, उन्होंने समय-समय पर सत्ता के विरुद्ध भी अपनी आवाज बुलंद की। साल 1975 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू की, तब लोकतंत्र की आवाज को दबाने का प्रयास किया गया।

उस दौर में फिल्म इंडस्ट्री भी इससे अछूती नहीं रही। जो कलाकार सरकार के फैसलों का विरोध कर रहे थे, उनकी आवाज को भी बंद करने की कोशिश की गई।

मनोज कुमार उन चुनिंदा सितारों में से थे जिन्होंने इमरजेंसी का खुलकर विरोध किया। इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। उनकी फिल्में सेंसर बोर्ड और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा बैन कर दी गईं।

‘दस नंबरी’ जैसी फिल्मों को रिलीज होने से रोका गया और जब उन्होंने अपनी फिल्म ‘शोर’ रिलीज की, तो उसे थिएटर्स से हटाकर जबरन दूरदर्शन पर प्रसारित करवा दिया गया, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हुआ।

इकलौते एक्टर जिन्होंने सरकार से केस जीता

मनोज कुमार ने इस अन्याय के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया। उन्होंने सरकार के खिलाफ केस दर्ज करवाया और महीनों तक कोर्ट के चक्कर लगाए।

अंततः न्यायपालिका ने उन्हें न्याय दिया और मनोज कुमार भारत के पहले अभिनेता बने जिन्होंने सरकार के खिलाफ केस जीता। इस ऐतिहासिक जीत ने उन्हें एक साहसी और निर्भीक कलाकार के रूप में स्थापित किया।

हालांकि, इसके बाद सरकार ने उन्हें इमरजेंसी पर आधारित एक फिल्म बनाने का प्रस्ताव भी दिया, लेकिन अपने सिद्धांतों पर अडिग रहते हुए मनोज कुमार ने वह प्रस्ताव ठुकरा दिया। उनका मानना था कि सिनेमा समाज को दिशा देने का माध्यम होना चाहिए, सत्ता की चापलूसी का नहीं।

विरासत जो हमेशा जीवित रहेगी

मनोज कुमार का जाना एक युग के अंत जैसा है, लेकिन उनके द्वारा दी गई सांस्कृतिक विरासत, उनके आदर्श और उनकी फिल्मों के माध्यम से दिया गया राष्ट्रप्रेम का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उस दौर में था।

वे एक ऐसे कलाकार थे जिन्होंने सिनेमा को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि देशप्रेम और सामाजिक चेतना का औज़ार बनाया। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी – यह बताने के लिए कि एक कलाकार सिर्फ पर्दे का नायक नहीं होता, बल्कि वह समाज का मार्गदर्शक भी हो सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्त किया गहरा शोक

भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम युग के महान अभिनेता और फिल्म निर्माता श्री मनोज कुमार जी के निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके असामयिक निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख व्यक्त किया है और उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर एक भावुक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने लिखा…..महान अभिनेता और फिल्म निर्माता श्री मनोज कुमार जी के निधन से बहुत दुख हुआ। वह भारतीय सिनेमा के प्रतीक थे, जिन्हें विशेष रूप से उनकी देशभक्ति के उत्साह के लिए याद किया जाता था, जो उनकी फिल्मों में भी झलकता था। मनोज जी के कार्यों ने राष्ट्रीय गौरव की भावना को प्रज्वलित किया और यह पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी पोस्ट के साथ मनोज कुमार के साथ बिताए कुछ अविस्मरणीय पलों की तस्वीरें भी साझा कीं, जो इस श्रद्धांजलि को और भी व्यक्तिगत व मार्मिक बनाती हैं।

मनोज कुमार जी को भारतीय सिनेमा में ‘भारत कुमार’ के नाम से भी जाना जाता था। उन्होंने अपनी फिल्मों के माध्यम से देशभक्ति की भावना को जन-जन तक पहुंचाया। ‘

उपकार, पूरब और पश्चिम, क्रांति’ जैसी फिल्मों में उनका योगदान अतुलनीय रहा। उनकी फिल्मों में केवल मनोरंजन ही नहीं, बल्कि एक गहरा सामाजिक और राष्ट्रीय संदेश भी होता था।

प्रधानमंत्री मोदी का यह शोक संदेश न केवल एक संवेदनशील नेता की भावनाओं को प्रकट करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे कला और संस्कृति से जुड़े व्यक्तित्व राष्ट्र निर्माण में भी अहम भूमिका निभाते हैं।

देश ने आज एक महान कलाकार को खो दिया है, जिसने भारतीय सिनेमा को नई दिशा दी, और देशभक्ति को एक नई परिभाषा। उनकी विरासत और उनका काम सदैव जीवित रहेगा और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा।

pic credit- https://commons.wikimedia.org/
(https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Manoj-kumar-bollywood-actor.jpg)

Naya India

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