nayaindia MP election जाति और धर्म की तरह क्षेत्र और वर्ग पर फोकस

जाति और धर्म की तरह क्षेत्र और वर्ग पर फोकस

भोपाल। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे वैसे राजनीतिक दल अधिकतम वोटों को साधने का जतन करने लगे हैं। पहले धर्म और जाति के नाम पर चुनावी गणित साधे जाते थे इस बार जाति और धर्म के साथ-साथ क्षेत्र और वर्ग को भी साधने की कोशिशें तेज हो गई है। दरअसल मध्य प्रदेश विशाल भूभाग वाला राज्य है अलग-अलग क्षेत्रों में बांटा अलग-अलग राजनीतिक परिदृश्य भी दिखाता है जाति और धर्म का तड़का प्रदेश की राजनीति में पूरी तरह फिट नहीं बैठा है। 1992 में अयोध्या मुद्दे पर भाजपा की सरकार में वापसी नहीं हो पाई थी। प्रदेश में अल्पसंख्यक बहुत कम संख्या में है। इस कारण धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण नहीं होता। इसी तरह जातियों का गणित भी पूरे प्रदेश में सफल नहीं है। अनेकों चुनाव क्षेत्र ऐसे हैं। जहां बड़ी-बड़ी जातियों के मतदाता होने के बावजूद भी उनकी जाति का प्रत्याशी चुनाव हार जाता है और जिसकी जाति के कोई वोट नहीं वह चुनाव जीत जाता है। सो, इस बार राजनीतिक दल क्षेत्र को और वर्ग को साधने में जुट गए हैं।

बहरहाल, इस समय दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस महिला वर्ग को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। चौथी बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने “लाडली बहना योजना” लांच की। जिसमें पात्र महिलाओं को 1000 महीने दिया जाएगा और तुरंत ही विपक्षी दल कांग्रेस ने घोषणा कर दी कि कांग्रेस की सरकार आने पर महिलाओं को 1500 महीने या 18000 प्रति वर्ष दिए जाएंगे। इस पर पिछले एक पखवाड़े से प्रदेश में बहस चल रही है। इसी बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को एक और घोषणा कर दी जिसमें महिलाओं को 7 दिन का अतिरिक्त सीएल अवकाश दिया जाएगा। मुख्यमंत्री का कहना है कि महिलाओं को कई बार आकस्मिक अवकाश की जरूरत पड़ती है। इसको ध्यान में रखते हुए यह आदेश दिया गया है। अभी चुनाव को लगभग 8 महीने हैं। इस बीच और भी महिला वर्ग को राह देने वाली घोषणाएं हो सकती हैं और विपक्षी दल कांग्रेस भी “तू डाल डाल मैं पात पात” की स्थिति में कुछ और घोषणा कर सकती है। मतलब साफ है दोनों एक बड़े वर्ग को जो भी आधी आबादी है उसको साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। इसी तरह चंबल बुंदेलखंड महाकौशल विंध्य मालवा और मध्य भारत जैसे विभिन्न क्षेत्रों में पहले प्रदेश को क्षेत्र के आधार पर भी दुरुस्त करने की कोशिशें हो रही है। चंबल की वर्षों से सत्ता की चाबी लेने की चाहत है जिसके लिए सत्ताधारी दल भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया तगड़े दावेदार माने जाते हैं और दोनों ही नेता लगातार चंबल क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा भी यहां आने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी इस इलाके में दस्तक दे चुके हैं वही कांग्रेस की ओर से इस इलाके के डॉक्टर गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाकर महत्व तो देना प्रारंभ कर ही दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भी यहां पर जमावट करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कुछ इसी तरह दोनों ही दल बिंनधय क्षेत्र को फोकस किए हुए हैं।

पिछले चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदों को इस क्षेत्र में तगड़ा झटका दिया था। हालांकि पंचायती राज और नगरी निकाय चुनाव में फिर से पार्टी की उम्मीदें बनी है। यहां भी दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेता के लगातार दौरे हो रहे हैं और स्थानीय स्तर पर समीकरणों को भी साधा जा रहा है। ऐसा ही इलाका महाकौशल क्षेत्र का है जहां दोनों ही दल एक दूसरे एक गढ़ में सेध लगाने को बेताब हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में एकमात्र छिंदवाड़ा लोकसभा सीट थी जो कांग्रेश बचाने में कामयाब हुई थी। बाकी 28 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। अब राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा 153 हारी हुई सीटों को फोकस कर रही है। उसमें प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट भी है। लगातार केंद्रीय प्रादेशिक नेताओं के दौरे छिंदवाड़ा क्षेत्र में हो रहे हैं और अब 25 मार्च को केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा के सबसे बड़े रणनीतिकार अमित शाह छिंदवाड़ा पहुंच रहे हैं। इसके पहले मुख्यमंत्री निवास पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने छिंदवाड़ा क्षेत्र के स्थानीय कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक की है मालवा बुंदेलखंड और मध्य भारत में दोनों ही दलों की रणनीति इस समय बेहतर प्रत्याशी चयन की है और स्थानीय स्तर पर दमदार नेतृत्व को मजबूती देने की जिससे कि चुनावी समीकरण अपने पक्ष में किए जा सके।

कुल मिलाकर प्रदेश में 2023 विधानसभा चुनाव के लिए सत्ता संघर्ष तेज हो गया है और इस बार दोनों ही प्रमुख दल क्षेत्र और महिला वर्ग को साधने में जोर लगा रहे हैं।

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