डॉयलिसिस में खुराक कैसी हो, यह जानने के लिये मैंने देश के कई जाने-माने नेफ्रोलॉजिस्ट से बात की तो उन्होंने बताया कि डॉयलिसिस खुराक का मूल-मन्त्र है हाई प्रोटीन, लो-फाइबर, लो-सॉल्ट, लो-पोटेशियम, लो- फॉस्फोरस वाला खाना और सीमित तरल चीजें। पूरे दिन में पानी, चाय, कॉफी, दूध सब मिलाकर टोटल लिक्विड इनटेक, एक या सवा लीटर ही होना चाहिये। चाय-कॉफी छोड़कर सभी लिक्विड रूम टेम्प्रेचर पर लें। पोटेशियम ज्यादा होने के कारण नीबू पानी, फ्रूट जूस और नारियल पानी नहीं पियें।
किडनी खराब होने पर ज्यादातर की भूख मर जाती है। अगर थोड़ी-बहुत बचती है तो डॉक्टर खुराक इतनी सीमित कर देते हैं कि खाने को कुछ खास नहीं रहता। इसमें सुधार होता है डॉयलिसिस शुरू होने पर। यही कारण है बहुत से लोग डॉयलिसिस होने पर कुछ भी खाना शुरू कर देते हैं। और बहुत से पहले वाली खुराक पर रिस्ट्रिक्ट रहते हैं। ये दोनों बातें ठीक नहीं। डॉयलिसिस के साथ एनर्जी लेवल ठिक रहना चाहिए ताकिजख्म जल्दी भरे।दूसरों पर निर्भरता घट जाएं और जटिलताएं न बने। इसके लिये जरूरी है सही खुराक।
डॉयलिसिस में खुराक कैसी हो, यह जानने के लिये मैंने देश के कई जाने-माने नेफ्रोलॉजिस्ट से बात की तो उन्होंने बताया कि डॉयलिसिस खुराक का मूल-मन्त्र है हाई प्रोटीन, लो-फाइबर, लो-सॉल्ट, लो-पोटेशियम, लो- फॉस्फोरस वाला खाना और सीमित तरल चीजें। पूरे दिन में पानी, चाय, कॉफी, दूध सब मिलाकर टोटल लिक्विड इनटेक, एक या सवा लीटर ही होना चाहिये। चाय-कॉफी छोड़कर सभी लिक्विड रूम टेम्प्रेचर पर लें। पोटेशियम ज्यादा होने के कारण नीबू पानी, फ्रूट जूस और नारियल पानी नहीं पियें।
खुराक में नमक कम करें। इससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल होगा और प्यास कम लगेगी। लिक्विड इनटेक कम होने से डॉयलिसिस सेशन के बीच शरीर में कम पानी रूकेगा और वजन भी घटेगा। बहुत से लोगों को कम नमक का खाना स्वाद नहीं लगता इसलिये सोडियम से पोटेशियम सॉल्ट पर शिफ्ट हो जाते हैं जो उतना ही नुकसान करता है जितना कि सोडियम। इसलिये कैसा भी नमक हो, खुराक में उसकी मात्रा मिनिमम करें। खाने में स्वाद लाने के लिये नमक की जगह हर्ब, मसाले और लो-सॉल्ट फ्लेवर इन्हेंसर लें।
डॉयलिसिस के दौरान सबसे जरूरी है प्रोटीन रिच खुराक। इससे ब्लड प्रोटीन लेवल सुधरने के साथ इम्युनिटी बढ़ती है। मसल्स स्ट्रांग होने से जख्म जल्दी हील और ओवरऑल हेल्थ ठीक रहती है। हाई प्रोटीन खुराक में प्लांट बेस्ड प्रोटीन के बजाय नॉनवेज प्रोटीन जैसे अंडा, चिकन और फिश को प्राथमिकता दें।
प्लांट बेस्ड प्रोटीन जैसे दालें, मूंगफली, बादाम, पीनट बटर और सीड्स में प्रोटीन तो होता है लेकिन प्रोटीन के अलावा पोटेशियम और फॉस्फोरस भी होता है जो ऐसी हालत में ठीक नहीं। इसलिये खुराक में प्लांट बेस्ड प्रोटीन सीमित करें। अगर चिकन और फिश नहीं खा सकते तो दिन में कम से कम 6 अंडे जरूर खायें। यानी सुबह-दोपहर-शाम, दो-दो अंडे दवा समझकर।
अगर डॉयबिटीज नहीं है तो कैलोरी इनटेक बढ़ाने के लिये खुराक में राइस, मैदा और सूजी से बनी चीजें शामिल करें। हाई फाइबर फूड आइटम जैसे मल्टीग्रेन ब्रेड, चोकर वाला आटा, ब्राउन राइस बगैरा न लें। इनसे फॉस्फोरस बढ़ता है जो सेहत के लिये ठीक नहीं।
ज्यादातर डेयरी प्रोडक्ट, हाई फास्फोरस होते हैं। दूध चाहे टोंड, डबल टोंड या फुल क्रीम कैसा भी हो, सभी में फास्फोरस होता है। इसलिये खुराक में दूध और दही सीमित करें। पूरे दिन में आधा कप दूध या आधा कप दही ही लें, इससे ज्यादा नहीं। इसके सब्सीट्यूट के तौर पर राइस मिल्क या Almond Milk ले सकते हैं। पनीर में फास्फोरस कम होने की वजह से इसे खा सकते हैं।
अगर फल खाने की बात करें तो सभी फलों में पोटेशियम होता है कुछ में ज्यादा तो कुछ में कम। इसलिये फल लिमिटेड करें और कुछ के बारे में तो सोचें भी न जैसे ऑरेंज, कीवी, केला और खरबूजा। कुछ फल ले सकते हैं लेकिन सीमित मात्रा में जैसे पूरे दिन में सेब, नाशपाती, आलूबुखारा या आड़ू में से कोई एक। अगर अंगूर या चेरी खाने का मन है तो केवल आठ-दस दाने। बेरीज या पाइन एपल आधा कटोरी ले सकते हैं। तरबूज खाने का मन है तो केवल एक छोटा टुकड़ा। ध्यान रहे पूरे दिन में इनमें से कोई एक चीज ही खायें।
फलों की तरह सभी सब्जियों में भी पोटेशियम होता है। इसलिये सब्जियां, पोटेशियम निकालकर बनायें। इसके लिये इन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में काटने के बाद पानी में कम से कम 30 मिनट भिगोकर रखें, फिर ये पानी फेक दें। ऐसा दो-तीन बार करें। इससे सब्जियों का पोटेशियम निकल जायेगा। आलू, कद्दू, टमाटर, चुकन्दर, पालक, शलगम, शकरकंद और अरबी में बहुत ज्यादा पोटेशियम होता है इसलिये इन्हें एवॉयड करें तो अच्छा है।
बैंगन, भिंडी, गोभी, ब्रोकली, पत्तागोभी, गाजर, मूली, जुकनी, प्याज, लहसुन, खीरा और बीन्स खुराक में शामिल करें लेकिन पोटेशियम निकालकर। अगर ग्रेवी वाली सब्जी है तो ग्रेवी छोड़ दें केवल सब्जी खायें। इससे पोटेशियम से तो बचेंगे ही, लिक्विड इनटेक भी कम होगा।
याद रहे ब्लड में पोटेशियम बढ़ने का मतलब सीरियस हार्ट प्रॉब्लम और फॉस्फोरस बढ़ने का हड्डियां कमजोर होना। इसलिये खुराक में हाई पोटेशियम और हाई फॉस्फोरस फूड आइटम सीमित करें।
ये तो थे खुराक में चेन्जेज, इसके साथ अपना लाइफ स्टाइल भी बदलें। शराब, स्मोकिंग हमेशा के लिये छोड़ें, रोजाना 30 मिनट डीप ब्रीद और 30 मिनट की वॉक अपने रूटीन में शामिल करें।