• क्यों होता है पोस्ट-पार्टम डिप्रेशन?

    कईयों के लिये मां बनना एक डरावने सपने की तरह होता है। बहुतों को तो मां बनने के बाद डिप्रेशन हो जाता है जिसे कहते हैं पोस्ट पार्टम डिप्रेशन। इसकी शुरूआत हो जाती है प्रेगनेन्सी में लेकिन असर दिखाई देता है डिलीवरी के बाद। बात-बात पर झल्लाना, गुस्सा करना और पैनिक अटैक जैसे लक्षण उभरते हैं। कुछ का बच्चे से लगाव खत्म होने लगता है। अगर समय पर इलाज और सही सपोर्ट न मिले तो दिमाग में खुदकुशी के ख्याल उठने लगते हैं। कहते हैं कि मां बनना दुनिया की सबसे बड़ी खुशी होती है। लेकिन हर औरत पैदा होते...

  • जानलेवा है ‘स्टेरॉयड के साथ व्यायाम

    आपने अक्सर सुना होगा कि एक्सरसाइज करते हुए हार्ट अटैक आ गया। ज्यादातर मामलों में ऐसा होता है ऐनाबोलिक स्टेऱॉयड और रजिस्टेंस एक्सरसाइज के मेल से।सवाल है स्टेरॉयड है किस बला का नाम? तो आसान भाषा में यह वो जादुई दवा है जो मरते इंसान को बचा लेती है। इनका इस्तेमाल होता है अस्थमा, कैंसर, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, इरेगुलर पीरियड्स और एड्स जैसी बीमारियों के इलाज में। वास्तव में ये हमारे शरीर में पाये जाने वाले हारमोन्स ही हैं, लेकिन दवा के रूप में जब इन्हें लैब में बनाते हैं तो ये कहलाते हैं ‘स्टेरॉयड। हर अविष्कार का मकसद होता है...

  • क्यों अचानक थमती है धड़कन (कार्डियक मृत्यु)

    कार्डियक अरेस्ट के ज्यादातर मामलों की शुरूआत होती है दिल धड़कने की रिद्म खराब होने से। मेडिकल साइंस में इसे कहते हैं एरिद्मिया। दिल धड़कने की रिद्म क्यों बिगड़ती है इस पर बात करते हुऐ डॉ. धीरेन्द्र ने बताया कि ऐसा होता है धड़कन कंट्रोल करने वाली इलेक्ट्रिकल इम्पल्सेस का पैटर्न बदलने से। इस बदलाव का सीधा असर होता है हार्ट चैम्बर्स पर। हमारे दिल में चार चैम्बर होते हैं, दो नीचे और दो ऊपर। आजकल आक्समिक मौत की खबरें बहुत सुनने को मिल रही हैं। अधिकांश में  वजह होती है कार्डियक अरेस्ट यानी अचानक दिल की धड़कना का बंद...

  • गर्भावस्था में खुराक,व्यायाम से जुड़े मिथक

    एक मिथ है कि गर्भावस्था में महिला को दो लोगों का खाना खाना चाहिये। परन्तु असलियत यह है कि पहले चार-पांच महीने में तो एक्सट्रा कैलोरी की जरूरत ही नहीं होती। इसके बाद 300 से 500 एक्सट्रा कैलोरी की जरूरत होती है जो पूरी हो जायेगी 50 ग्राम बादाम, 1 ग्लास दूध, दो अंडे और दो टोस्ट से। घर की बुजुर्ग महिलाएं हमेशा इस बात पर जोर देती हैं कि मेवे के लड्डू खाओ, घी खाओ, गुड़ खाओ और वजन बढ़ाओ इससे बच्चा स्वस्थ होगा।।।लेकिन सब एक सीमा में। हमारे समाज में गर्भावस्था के दौरान खाने, व्यायाम और सेक्स को...

  • कैसे रूके बालों का झड़ना?

    अरबों डॉलर के हेयर-केयर प्रोडक्ट्स बिकते हैं, इसके बाबजूद हेयरफॉल की समस्या अपनी जगह बरकरार है। कारण जानने के लिये वैज्ञानिकों ने जब इस पर रिसर्च की तो पता चला कि 90 प्रतिशत मामलों में यह शरीर में पोषक तत्वों की कमी और 10% में किसी बीमारी, दवाओं के साइड इफेक्ट और जेनेटिक वजहों से होती है।हमारे 85% बाल रहते हैं हेयर लाइफ सायकल के एनाजेन फेज़ में। जो दो से 6 साल का होता है, इसमें ये हर महीने करीब 1 सेंटीमीटर तक बढ़ते हैं। इसके बाद आता है कैटाजेन फेज़। इसमें बालों की ग्रोथ रूक जाती है। यह...

  • क्या खाने से दिमाग होगा तेज?

    दिमाग तेज होने का मतलब है दिमाग की तेज रफ्तार गतिविधियों का और तेजी से पूरा होना। और ये होगा ब्रेन में ब्लड सप्लाई बढ़ाने वाले फ्लेवेनॉयड संपन्न खान पान से।जर्नल ऑफ एग्रीकल्चरल एंड फूड केमिस्ट्री में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, जामुन यानी इंडियन ब्लैकबेरी खाने से न्यूरॉन्स की एक दूसरे से कम्युनीकेट करने की क्षमता सुधरती है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सी़डेंट्स, फ्री-रेडिकल्स से लड़कर ब्रेन इन्फ्लेमेशन घटाते हैं, जिससे याददाश्त तेज, फाइन मोटर कंट्रोल यानी क्वार्डीनेशन इम्प्रूव और बढ़ती उम्र में डिमेन्शिया का रिस्क कम होता है। सभी अभिभावक चाहते हैं कि उनके बच्चे इंटेलीजेंट हों। और इस चाहत...

  • हमें कितना पानी पीना चाहिये और क्यों?

    शरीर में पानी की कमी होते ही प्यास महसूस होती है, मुंह सूखने लगता है। अगर इसे अनदेखा किया तो सिरदर्द, थकान और स्किन ड्राइ होने लगती है, चिड़चिड़ापन हावी हो जाता है। ... सेहत ठीक रहे, शरीर के अंग ठीक से चलते रहें इसके लिये रोजाना 13 कप पानी पीना चाहिये यानी करीब तीन लीटर। लेकिन ये निर्भर करता है आसपास के वातावरण और सेहत की स्थितियों पर। गर्म-ह्यूमिड वातावरण और उल्टी, दस्त, बुखार की दशाओं में इससे ज्यादा पानी की जरूरत होती है। हमें रोजाना कितना पानी पीना चाहिये, इस बारे में लोगों की अलग-अलग राय है, कोई...

  • मौसम बदलने पर उदासी, चिड़चिड़ापन क्यों?

    सर्दियों के आने और फिर जाने के बाद पतझड़ की शुरूआत में याकि मौसम बदलने पर कुछ दिन मूड उखड़ा-उखड़ा रहता है, कुछ भी अच्छा नहीं लगता। उदासी, सूनापन और निराशा महसूस होती है। ऐसा करीब हफ्ते-दो हफ्ते रहता है और पुरूषों की अपेक्षा महिलाएं ये सब ज्यादा महसूस करती हैं। कुछ को उदासी के साथ बेचैनी, चिड़चिड़ापन, एग्रेशन, अनिद्रा और ध्यान केन्द्रित न कर पाने जैसे लक्षण महसूस होते हैं। कईयों को तो भूख भी नहीं लगती। अगर व्यक्ति ज्यादा दिनों तक ऐसी मनोदशा में रहे तो निगेटिविटी हावी होने से खुद को नुकसान पहुंचाने लगता है। अक्टूबर यानी...

  • प्रि-मेनोपॉज होगा आसान बशर्ते……

    यदि अचानक वजन बढ़ा है तो खाने में चीनी, नमक और ऑयल कम करके डॉयटरी फाइबर की मात्रा बढ़ायें। इसके लिये डाइट में शामिल करें ब्राउन राइस, मल्टीग्रेन आटा, बीन्स, मटर और सूखे मेवे। इससे वजन कम होने के साथ कॉन्सटीपेशन, हार्ट-प्रॉब्लम्स और कैंसर जैसी बीमारियों का रिस्क घटेगा। मेथीदाना पाउडर भी डॉयटरी फाइबर का रिच सोर्स है। लंच से एक घंटा पहले एक चम्मच मेथीदाना पाउडर पानी के साथ फांके, इससे वजन कम होने के साथ ब्लड शुगर भी ठीक रहेगी। टेक्निकली, प्रि-मेनोपॉज वह समय है जब महिलाओं में एस्ट्रोजन नामक सेक्स हारमोन का बनना कम होने लगता है।...

  • ऐसीडिटी और कैसे होगी ठीक…..

    एसीडिटी को हल्के में न लें। इससे हार्टबर्न के अलावा अस्थमा, मतली, उल्टी, लैरिन्जाइटिस, निगलने में दर्द और सांसों में बदबू जैसे लक्षण उभरते हैं। कुछ के तो दांत खराब हो जाते हैं। अगर यह लम्बे समय तक रहे तो पेट की लाइनिंग सूजने से जलन, ब्लोटिंग और अल्सर जैसी समस्यायें हो जाती हैं। फूड पाइप में स्कार बनने से निगलने में दिक्क्त और खाना फंसने से चोकिंग का डर रहता है।इसलिये जैसे ही ऐसीडिटी महसूस हो अदरक का छोटा टुकड़ा चबाकर खायें। ऐसीडिटी हो रही है परेशान न हो, एक ग्लास ठंडा दूध पियें। अगर घर में ठंडा दूध...

  • मसला अंडर-एक्टिव थायराइड ग्लैंड का

    हाइपोथायरायडिज्म का रिस्क कम करने के लिये सबसे जरूरी है आयोडीन युक्त बैलेंस डाइट। कारण आयोडीन ही वह तत्व है जो थायरॉइड हारमोन्स (T3, T4) बनाने में मदद करता है। आयोडीन की कमी पूरी करने के लिये ऑयोडाइज्ड नमक, दालें, प्रोटीन, फल और सब्जियां लें लेकिन सोया से बने फूड आइटम (सोया मिल्क, टोफू, सोयाबीन व सोया सॉस ) कम खायें क्योंकि ये थायरॉइड हारमोन्स के एब्जॉर्ब्शन में बाधक हैं। वैसे तो थायराइड, शरीर में मौजूद हारमोन्स बनाने वाली एक ग्लैंड है, लेकिन इस शब्द का इस्तेमाल ऐसे किया जाता है जैसे ये किसी बीमारी का नाम है। वैसे थायरॉइड...

  • निमोनिया से बच सकते हैं बशर्ते…

    निमोनिया के बारे में सही जानकारी ही हमें इसकी घातकता से बचा सकती है। मेडिकल एडवांसमेंट की वजह से आज इसकी वैक्सीन उपलब्ध है। सेन्टर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रवेन्शन यानी सीडीसी के मुताबिक 5 साल से कम उम्र के बच्चों और 65 साल से ज्यादा उम्र वालों को निमोनिया वैक्सीन जरूर लेनी चाहिये। अगर इसके साथ फ्लू, मैनिनजाइटिस और HIB वैक्सीनेशन करा लें तो निमोनिया से 80% सुरक्षा मिल जाती है। बाजार में इसकी अनेकों वैक्सीन उपलब्ध हैं, आपके लिये कौन सी बेहतर होगी इस बारे में डॉक्टर से बात करें। फेफड़ों का जानलेवा इंफेक्शन है निमोनिया। वह भी...

  • हाई यूरिक एसिड, कैसे मिले निजात?

    यूरिक एसिड बढ़ने से ज्वाइंट्स में सूजन के साथ दर्द, ज्वाइंट टच करने पर गर्मी महसूस होने के अलावा आसपास की स्किन का रंग बदल जाता है। कई बार किडनी स्टोन से भी यूरिक एसिड बढ़ता है। ऐसी स्थिति में बैक और साइडों में दर्द, फ्रिकवेन्ट यूरीनेशन, नोजिया, वोमटिंग और ब्लड-युक्त डार्क यूरीन आने जैसे लक्षण उभरते हैं।  बदलते लाइफस्टाइल और गलत खानपान का परिणाम है शरीर में यूरिक एसिड बढ़ना। वैसे तो इसके लिये कुछ बीमारियां, जीन्स और मोटापा भी जिम्मेदार है लेकिन अधिकतर मामलों में यह हाई प्यूरिन डाइट, एल्कोहल और शुगर से बढ़ता है। क्रिस्टल बनाने में...

  • मेथी कुछ बीमारियों में कारगर

    मेथी, मोटापे और डॉयबिटीज के अलावा कई जानलेवा बीमारयों का रिस्क कम करती है जैसे कैंसर, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, इन्फ्लेमेशन, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और इंफेक्शन। इंफेक्शन चाहे बैक्टीरियल हो, वायरल हो या फंगल यह तीनों पर बराबर असर करती है।मेथी का डॉयबिटीज कंट्रोल मैकेनिज्म जानने के लिये इस पर हुयी रिसर्च से सामने आया कि इसमें ऐसे एंटी-डॉयबिटिक कम्पाउंड हैं जो इंटस्टाइनल ग्लूकोज एब्जॉर्बेशन घटाने, गैस्ट्रिक एम्पटाइंग धीमा करने, लिपिड बाइंडिंग प्रोटीन कन्सन्ट्रेशन कम करने और इन्सुलिन सेन्सटीविटी बढ़ाने का काम करते हैं।     आपने अक्सर देखा होगा कि हमारे देश में मोटापे और डॉयबिटीज के घरेलू उपचार के तौर पर मेथी...

  • पहले से ही आत्महत्या के लक्षण

    मनोचिकित्सकों के मुताबिक कि केवल 10 प्रतिशत लोग क्षणिक आवेश में सुसाइड करते हैं जबकि 90 प्रतिशत में यह टेन्डेंसी होती है। कुछ विशेष जीन्स लोगों में आत्मघाती प्रवृत्ति ट्रिगर करते हैं। जीन्स और सुसाइडल फैमिली हिस्ट्री के अलावा जिन वजहों से लोग आत्महत्या करते हैं उनमें पहला नंबर है बीमारी का। चाहे वह मानसिक हो या शारीरिक। अभी हाल में अपने एक करीबी की आत्महत्या के बारे में सुना, झटका लगा और मन में काफी समय तक यही ख्याल आते रहे कि ऐसा क्यों? लोग किस मनोदशा में आत्महत्या करते हैं, इस बारे में जानने के लिये मैंने देश...

  • डॉयलिसिस के दौरान क्या खायें,क्या नहीं?

    डॉयलिसिस में खुराक कैसी हो, यह जानने के लिये मैंने देश के कई जाने-माने नेफ्रोलॉजिस्ट से बात की तो उन्होंने बताया कि डॉयलिसिस खुराक का मूल-मन्त्र है हाई प्रोटीन, लो-फाइबर, लो-सॉल्ट, लो-पोटेशियम, लो- फॉस्फोरस वाला खाना और सीमित तरल चीजें।  पूरे दिन में पानी, चाय, कॉफी, दूध सब मिलाकर टोटल लिक्विड इनटेक, एक या सवा लीटर ही होना चाहिये। चाय-कॉफी छोड़कर सभी लिक्विड रूम टेम्प्रेचर पर लें। पोटेशियम ज्यादा होने के कारण नीबू पानी, फ्रूट जूस और नारियल पानी नहीं पियें।     किडनी खराब होने पर ज्यादातर की भूख मर जाती है। अगर थोड़ी-बहुत बचती है तो डॉक्टर खुराक इतनी सीमित...

  • बच्चों में झूठ की आदत कैसे छूटे?

    बचपन में माता-पिता को पता ही नहीं चलता लेकिन उम्र बढ़ने के साथ समझ में आता है कि बच्चा झूठ बोल रहा है। अगर बच्चे को इससे बचाना हैं तो उसकी उम्र,  वो क्या झूठ बोल रहा है, क्यों झूठ बोल रहा है और कितनी स्पीड में झूठ बोलना सीख रहा है इस पर ध्यान देना होगा। अगर झूठ बोलने का कारण चोरी या चीटिंग है तो यह गंभीर समस्या है।...अगर बच्चा बात-बात पर झूठ बोल रहा है तो काउंसलर या मनौविज्ञानी के पास जायें। वह आपको बतायेगा कि इतना झूठ बोलने का कारण क्या है और ये आदत कैसे...

  • तनाव से कैंसर तक में तुलसी उपयोगी!

    जरनल ऑफ आर्युवेदा एंड इंटीग्रेटिव मेडीसन्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक एंटी-एंग्जॉयटी और एंटी-डिप्रेसेन्ट्स प्रॉपर्टीज से भरपूर तुलसी स्ट्रेस दूर करने में किसी भी मार्डन दवा से कम नहीं। रिसर्च से सामने आया कि फार्माकोलॉजिकल प्रॉपर्टीज के कारण तुलसी का पूरा पौधा एडॉप्टोजेन की तरह काम करता है। एडॉप्टोजेन वह नेचुरल सब्सटेंस हैं जिससे हमारा शरीर- कैमिकल, फिजिकल, इन्फेक्शियस और इमोशनल स्ट्रेस बर्दाश्त करने के साथ दिमागी संतुलन बनाये रखता है। इन दिनों आप किसी से भी बात करें, सभी को कोई न कोई स्ट्रेस है। बड़ों को कमाई का तो बच्चों को पढ़ाई का। वास्तव में स्ट्रेस ही...

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