Breach Of Privilege Notice : कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने सदन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया था। जयराम रमेश के इस नोटिस को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने खारिज कर दिया।
जयराम रमेश का कहना था कि अमित शाह ने राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष, सोनिया गांधी पर अपमानजनक टिप्पणियां की हैं। जयराम रमेश ने 25 मार्च को ‘आपदा प्रबंधन विधेयक- 2024’ पर बहस के दौरान गृह मंत्री द्वारा दिए गए कथन का उल्लेख किया था। (Breach Of Privilege Notice)
जयराम रमेश ने गृह मंत्री के उस बयान पर आपत्ति जताई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष कांग्रेस शासन में बना और पीएम केयर मोदी सरकार में बना। कांग्रेस के शासन में एक ही परिवार का नियंत्रण होता था। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में कांग्रेस के अध्यक्ष सदस्य होते थे। सरकारी फंड में कांग्रेस के अध्यक्ष सदस्य बनाए गए थे।
इस विषय पर राज्यसभा के सभापति ने गुरुवार को सदन में कहा कि 26 मार्च, 2025 को उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश द्वारा गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार के प्रश्न का नोटिस प्राप्त हुआ। उन्होंने अपने हस्ताक्षर के साथ 26 मई की तारीख दी है, जिसे संदर्भ में बदलाव नहीं होने के कारण अनदेखा किया जा सकता है। (Breach Of Privilege Notice)
यह नोटिस जयराम रमेश ने राज्यसभा के नियम-188 के तहत गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ प्रस्तुत किया है। उनका कहना है कि अमित शाह ने कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष रहीं, राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष, सोनिया गांधी पर अपमानजनक टिप्पणियां की हैं।
सभापति ने कहा कि यह मामला मीडिया में व्यापक रूप से चर्चा में आया है। अगर अध्यक्ष के पास सूचना भेजी जाती है, जैसा कि बुलेटिन में संकेत दिया गया है और एक दीर्घकालिक परंपरा के तहत इसे प्रचारित नहीं किया जाना चाहिए। आखिरकार, अध्यक्ष या सदन को इस पर निर्णय लेना होता है।
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस (Breach Of Privilege Notice)
सभापति ने कहा कि उन्होंने उस सत्यापन पर ध्यान दिया है, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है, “मैं राज्यसभा में दिनांक 25 मार्च, 2025 को ‘आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक – 2024’ की चर्चा के दौरान मेरे द्वारा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष पर की गई टिप्पणी को सत्यापित करते हुए भारत सरकार द्वारा दिनांक 24 जनवरी 1948 को जारी प्रेस विज्ञप्ति को आपके समक्ष रखता हूं।
गृहमंत्री ने जनवरी 24, 1948 की एक प्रेस सूचना को प्रमाणित किया है। यह प्रेस सूचना ब्यूरो, भारत सरकार का प्रेस नोट है। इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष शुरू करने की घोषणा की। साथ ही बताया गया कि इसके प्रबंधन में प्रधानमंत्री, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष और कुछ अन्य लोग शामिल होंगे। (Breach Of Privilege Notice)
सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्होंने बहस और गृह मंत्री के कथन को ध्यान से पढ़ा है। गृह मंत्री ने यह स्पष्ट रूप से कहा है कि यह एक परंपरा थी। मैंने इसे पूरी तरह से देखा है। मुझे इसमें कोई उल्लंघन नहीं मिला है। यह सत्य के प्रति पूर्ण पालन है। इस स्थिति में, मैं अमित शाह, गृह मंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार प्रश्न के नोटिस को स्वीकार करने के लिए स्वयं को राजी नहीं कर सकता।
विशेषाधिकार का उल्लंघन एक गंभीर मामला है। मुझे गहरी पीड़ा के साथ यह कहना पड़ा कि हम जल्दी-जल्दी विशेषाधिकार उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं। हम मीडिया में इसे प्रचारित करते हैं, छवि धूमिल करने का प्रयास करते हैं। मैंने कई अवसरों पर कहा है, यह सदन किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का मंच नहीं होगा। हमें इसे सुरक्षित रखना चाहिए। (Breach Of Privilege Notice)
जगदीप धनखड़ ने कहा कि इस देश में एथिक्स कमेटी, जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में पहली बार राज्यसभा में बनी थी। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री एसबी. चौहान ने इसका नेतृत्व किया था। कमेटी की एक रिपोर्ट में कई अन्य मामलों के साथ-साथ यह कहा गया था कि सदस्यों को संसद की गरिमा बनाए रखते हुए अपनी व्यक्तिगत विश्वसनीयता की रक्षा करनी चाहिए। सदस्यों को अपने सार्वजनिक आचरण में उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए और मूल्य, गरिमा और शालीनता बनाए रखनी चाहिए।
अब एथिक्स कमेटी का नेतृत्व घनश्याम तिवाड़ी कर रहे हैं। मैं एथिक्स कमेटी से यह आग्रह करता हूं कि वे एसबी चौहान कमेटी की रिपोर्ट को देखें और समय के साथ आए हुए तकनीकी विकास और सोशल मीडिया की भूमिका को ध्यान में रखते हुए नए दिशा-निर्देश तैयार करें।