नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने नियंत्रक व महालेखापरीक्षक यानी सीएजी की रिपोर्ट को लेकर दिल्ली की आतिशी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। हाई कोर्ट ने यहां तक कहा है कि दिल्ली सरकार की ईमानदारी पर संदेह होता है। जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने सोमवार को कहा, सीएजी रिपोर्ट पर विचार करने में जिस तरह से दिल्ली सरकार ने अपने कदम पीछे खींचे हैं, उससे इनकी ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है। रिपोर्ट स्पीकर को भेजकर फौरन विधानसभा में चर्चा करानी चाहिए थी’। अदालत ने सीएजी की रिपोर्ट विधानसभा में नहीं पेश किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
हाई कोर्ट ने सोमवार को भाजपा के सात विधायकों की याचिका पर सुनवाई की। भाजपा विधायकों ने दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। उनका कहना है कि 14 मामलों पर सीएजी की रिपोर्ट पर सदन में चर्चा करवानी चाहिए। सरकार का तर्क है कि विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने वाला है, इसलिए रिपोर्ट सदन में लाने का फायदा नहीं है। अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी।
बताया जा रहा है कि सीएजी रिपोर्ट में शराब घोटाले से भी जुड़ी जानकारी है। गौरतलब है कि 11 जनवरी को सीएजी की एक रिपोर्ट लीक हुई थी, जिस आधार पर भाजपा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दावा किया था कि शराब नीति से दिल्ली सरकार को 2,026 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। गौरतलब है कि दिल्ली में 2021 में नई शराब नीति लागू हुई थी। इस नीति को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे, जिसके बाद नीति वापस लेनी पड़ी। हालांकि फिर भी सीबीआई और ईडी ने इस मामले की जांच शुरू की और मुख्यमंत्री रहते अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री रहते मनीष सिसोदिया को जेल जाना पड़ा।
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