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30-04-2025 Vol 19

जानिए अलग-अलग धर्मों के उत्तराधिकार कानून और वसीयत के कानून के बारे में…

उत्तराधिकार कानून एक ऐसा कानून है जो अलग-अलग धार्मिक समुदायों के उत्तराधिकार के लिए अलग कानून हैं. यहां सभी धर्मों के हिसाब से अलग-अलग कानूनों के बारे में बताया गया है.

हिंदु धर्म के कानून

1-किसी हिंदू की मृत्यु होने पर उसकी संपत्ति उसकी विधवा , बच्चों (लड़के तथा लड़कियां) तथा मां के बीच बराबर बांटी जाती है
2-अगर उसके किसी पुत्र की उससे पहले मृत्यु हो गयी हो तो बेटे की विधवा तथा बच्चों को संपत्ति का एक हिस्सा मिलेगा
3-उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि किसी हिंदू पुरुष द्वारा पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी कर लेने से दूसरी पत्नी को उत्तराधिकार नहीं मिलता है , लेकिन उसके बच्चों का पहली पत्नी के बच्चों की तरह ही अधिकार होता है
4- हिंदू महिला की संपत्ति उसके बच्चों (लड़के तथा लड़कियां ) तथा पति को मिलेगी. उससे पहले मरने वाले बेटे के बच्चों को भी बराबर का एक हिस्सा मिलेगा
5-अगर किसी हिंदू व्यक्ति के परिवार के नजदीकी सदस्य जीवित नहीं हैं, तो उसकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पाने वाले उत्तराधिकारियों का निश्चित वर्गीकरण होता है

मुसलमानों (शिया और सुन्नी) में उत्तराधिकार

1-अंतिम संस्कार के खर्च और ऋणों के भुगतान के बाद बची संपत्ति का केवल एक तिहाई वसीयत के रुप में दिया जा सकता है
2-पुरुष वारिस को महिला वारिस से दोगुना हिस्सा मिलता है
3-वंश-परंपरा में (जैसे पुत्र-पोता) नजदीकी रिश्ते (पुत्र) के होने पर दूर के रिश्ते (पोते) को हिस्सा नहीं मिलता है

ईसाइयों में उत्तराधिकार

भारतीय ईसाइयों को उत्तराधिकार में मिलने वाली संपत्ति का निर्धारण उत्तराधिकार कानून के तहत होता है. विशेष विवाह कानून के तहत विवाह करने वाले तथा भारत में रहने वाले यूरोपीय, एंग्लो इंडियन तथा यहूदी भी इसी कानून के तहत आते हैं

1-विधवा को एक तिहाई संपत्ति पाने का हक है. बाकी दो तिहाई मृतक की सीधी वंश परंपरा के उत्तराधिकारियों को मिलता है
2-बेटे और बेटियों को बराबर का हिस्सा मिलता है
3-पिता की मृत्यु से पहले मर जाने वाले बेटे की संतानों को उसे बेटे का हिस्सा मिल जाता है
4-अगर केवल विधवा जीवित हो तो उसे आधी संपत्ति मिलती है और आधी मृतक के पिता को मिल जाती है
5-अगर पिता जिंदा ना हो तो यह हिस्सा मां, भाइयों तथा बहनों को मिल जाता है
6-किसी महिला की संपत्ति का भी इसी तरह बंटवारा होता है

पारसियों में उत्तराधिकार

1-पारसियों में पुरुष की संपत्ति उसकी विधवा , बच्चों तथा माता-पिता में बंटती है
2-लड़के तथा विधवा को लड़की से दोगुना हिस्सा मिलता है
3-पिता को पोते के हिस्से का आधा तथा माता को पोती के हिस्से का आधा मिलता है
4-किसी महिला की संपत्ति उसके पति और बच्चों में बराबर-बराबर बंटती हिस्सों में बंटती है
5-पति की संपत्ति के बंटवारे के समय उसमें पत्नी की निजी संपत्ति नहीं जोड़ी जाती है
6-पत्नी को अपनी संपत्ति पर पूरा अधिकार है । उसकी संपत्ति में उसकी आय, निजी साज-सामान तथा विवाह के समय मिले उपहार शामिल हैं
7-शादी के समय दुल्हन को मिले उपहार और भेंट स्त्रीधन के तहत आते हैं
8-उच्चतम न्यायालय ने अपने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि हिंदू विवाह कानून की धारा 27 के तहत स्त्रीधन पर पूर्ण अधिकार पत्नी का होता है और उसे इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है
नोट- किसी फंड या बीमा पॉलिसी में नामांकन हो जाने से नामांकित व्यक्ति के नाम संपत्ति हस्तांतरित नहीं हो जाती है. वह तो किसी की मृत्यु के बाद इन रकमों का केवल ट्रस्टी है .

वसीयत का अर्थ क्या है?

किसी व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति के बंटवारे में (अपनी मृत्यु के बाद ) अपनी इच्छा की लिखित व वैधानिक घोषणा करना.
मुसलमानों के अलावा हर समुदाय के लिए भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 में वसीयत का कानून है. मुसलमान अपने निजी कानून से नियंत्रित होते हैं
1-हिंदुओ और मुसलमानों को छोंड़कर अन्य समुदायों के लोगों को विवाह के बाद नई वसीयत करनी पड़ती है , क्योंकि विवाह के बाद पुरानी वसीयत निष्प्रभावी हो जाती है
2-अगर व्यक्ति विवाह के बाद नई वसीयत नहीं करता है , तो संपत्ति उत्तराधिकार कानून के अनुसार बांटी जाती है
3-नई वसीयत करते समय उल्लेख करना होता है कि पुरानी वसीयत रद्द की जा रही है
4-अगर संपत्ति साझा नामों में हो , तो भी व्यक्ति अपने हिस्से के बारे में वसीयत कर सकता है
5-वसीयत करने वाले व्यक्ति को दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने चाहिए अथवा अपना अंगूठा लगाना चाहिए
6- दो गवाहों द्वारा वसीयत सत्यापित की जानी चाहिए
7-वसीयत के अनुसार जिन्हें लाभ मिलना है , वे तथा उनके पति/पत्नियां, वसीयत के गवाह नहीं होने चाहिए
8-अगर वे ऐसी वसीयत पर गवाही देते हैं, तो वसीयत के अनुसार मिलने वाले लाभ या संपत्ति उन्हें नहीं मिलेंगे, लेकिन वसीयत अमान्य नहीं होगी
9-वसीयत को पंजीकृत अवश्य करा लेना चाहिए ताकि इसकी सत्यता पर विवाद ना हो, इसके खोने की आशंका ना रहे अथवा इसके तथ्यों में कोई फेरबदल ना कर सके
10-मुसलमान जुबानी वसीयत कर सकता है । अगर उसके वारिस सहमत नहीं हों तो वह अपनी एक तिहाई से ज्यादा संपत्ति (अंतिम संस्कार के खर्च तथा कर्जों के भुगतान के बाद बची संपत्ति का एक तिहाई) का वसीयत के जरिए निपटारा नहीं कर सकता
11-मुसलमान की वसीयत अगर लिखी हुई है तो उसे प्रमाणित करने की जरुरत नहीं है । वह हस्ताक्षर के बिना भी वैध है।लेकिन अगर उसके वसीयतकर्ता के बारे में साबित कर दिया जाय
12-किसी अभियान या युद्ध के दौरान सैनिक या वायुसैनिक ‘खास वसीयत’ कर सकता है । इसे विशेषाधिकार वसीयत भी कहते हैं।
13-खास वसीयत का अधिकार हिंदुओं को नहीं प्राप्त है
14-खास वसीयत लिखित या कुछ सीमाओं तक मौखिक हो सकती है
15-खास वसीयत अगर किसी अन्य व्यक्ति ने लिखा है तो सैनिक के हस्ताक्षर होने चाहिए।लेकिन अगर उसके निर्देश पर लिखा गया है तो हस्ताक्षर की जरुरत नहीं होती है
16-कोई सैनिक दो गवाहों की उपस्थिति में मौखिक वसीयत कर सकता है । लेकिन खास वसीयत का अधिकार ना रहने पर वसीयत एक महीने के बाद खत्म हो जाती है
17- नाबालिग या पागल व्यक्ति को छोड़कर कोई भी व्यक्ति वसीयत कर सकता है
18-अगर वसीयतकर्ता ने इसे लागू करने वाले का नाम नहीं दिया है या लागू करने वाला अपनी भूमिका को तैयार नहीं है तो वसीयतकर्ता के उत्तराधिकारी अदालत में आवेदन कर सकते हैं कि उन्हीं में से किसी को वसीयत लागू करने वाला नियुक्त कर दिया जाय
19-अगर न्यायालय द्वारा नियुक्त व्यक्ति (निष्पादक,executor)अपना कार्य नहीं करता है, तो उत्तराधिकारी न्यायालय से वसीयत लागू करवाने का प्रशासन पत्र हासिल कर सकते हैं
20-वसीयत लागू करने वाले को अदालत से वसीयत पर प्रोबेट(न्यायालय द्वारा जारी की गयी वसीयत की प्रामाणिक कापी) अर्थात प्रमाणपत्र हासिल करना चाहिए।
21-किसी विवाद की स्थिति में संपत्ति पर अपने कानूनी अधिकार के दावे के लिए , लाभ पाने के इच्छुक वारिस के पास प्रोबेट या प्रशासन पत्र होना
जरुरी है
22-वसीयतकर्ता जब भी अपनी संपत्ति को बांटना चाहे वह वसीयत में परिवर्तन कर सकता है या उसे पलट सकता है
23-अगर वसीयतदार, वसीयतकर्ता से पहले मर जाता है तो वसीयत खत्म हो जाती है और संपत्ति वसीयतकर्ता के उत्तराधिकारियों को मिलती है
24-अगर दुर्घटना में वसीयतकर्ता और वसीयत पाने वाले की एक साथ मौत हो जाती है, तो वसीयत समाप्त हो जाती है
25-अगर दो वसीयत पाने वालों में से एक की मौत हो जाती है तो जिंदा व्यक्ति पूरी संपत्ति मिल जाती है

वसीयतनामा जमा करने की सुविधा

1-भारतीय पंजीकरण अधिनियम 1908 के अंतर्गत रजिस्ट्रर के नाम वसीयतनामा जमा किया जाता है
2-वसीयतनामा रजिस्टर कराना या जमा करना अनिवार्य नहीं है
3-वसीयतनामा जमा कराने के लिए रजिस्ट्रार उसका कवर नहीं खोलता है । सब औपचारिकताओं के बाद उसे जमा कर लेता है
4-जबकि पंजीकरण में जो व्यक्ति दस्तावेज प्रस्तुत करता है , सब रजिस्ट्रार उसकी कॉपी कर , उसी व्यक्ति को वापस लौटा देता है

NI Desk

Under the visionary leadership of Harishankar Vyas, Shruti Vyas, and Ajit Dwivedi, the Nayaindia desk brings together a dynamic team dedicated to reporting on social and political issues worldwide.

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