Monday

02-06-2025 Vol 19

मप्र में कोरोना बना सियासी हथियार

639 Views

भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, नेताओं के बयानों में भी तल्खी बढ़ती जा रही है। अब तो इस सियासी युद्ध में उपयोग में लाए जाने वाले हथियारो में एक नया हथियार भी शामिल हो गया है और वह है कोरोना। राज्य में इसी साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और दोनों प्रमुख राजनीतिक दल — भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (Congress) की सक्रियता लगातार बढ़ रही है। नेताओं के दौरे हो रहे हैं और एक दूसरे पर वार पलटवार का सिलसिला भी जारी है। कई बार तो राजनेता एक दूसरे पर निजी तौर पर हमले करने से भी नहीं हिचक रहे हैं।इन दिनों भले ही कोरोना महामारी का प्रकोप ज्यादा असरकारक न हो, मगर सियासत में जरूर कोरोना का असर दिखाने लगा है। तमाम नेता एक दूसरे को कोरोना से जोड़ रहे हैं।

ये भी पढ़ें- http://लुधियाना में गैस रिसाव से नौ लोगों की मौत

राज्य सरकार के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट (Tulsiram Silawat) ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) पर हमला बोला और उन्हें कांग्रेस का कोरोना बताया। सिलावट ने कहा, कोरोना की उत्पत्ति चीन से हुई है, इसलिए सिंह को भी चीन में ही जन्म लेना चाहिए। सिलावट ने यह बयान दिग्विजय सिंह के उस बयान के जवाब में दिया था जिसमें सिंह ने कहा था कि महाकाल, दूसरा सिंधिया कांग्रेस में पैदा न हो। सिलावट के बयान का जवाब देते हुए दिग्विजय सिंह ने खुद को कोरोना वायरस (Coronavirus) माना और कहा कि वे आरएसएस और भाजपा के लिए कोरोनावायरस हैं। दिग्विजय सिंह का बयान आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने भी हमला बोला। उन्होने कहा, दिग्विजय सिंह ने खुद की कोरोनावायरस केस की तुलना की है, कोविड ने वायरस के रूप में जितना नुकसान पहुंचाया उससे कई गुना नुकसान प्रदेश को दिग्विजय सिंह और कमलनाथ (Kamal Nath) ने पहुंचाया है।

कुल मिलाकर राज्य में चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, सियासी बयानों की बाढ़ सी आती जा रही है और हमले भी तेज हो रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है दोनों ही राजनीतिक दल गंभीर मुद्दों की बजाए ऐसे विषयों पर ज्यादा बात कर रहे हैं जिनका जनता से कोई सरोकार नहीं है। जनता बेरोजगारी, महंगाई जैसी समस्याओं से जूझ रही है, मगर राजनीतिक दलों के बयान जनता के घाव पर मरहम लगाने की बजाय नमक छोड़ने का काम कर रहे हैं। राज्य में अहोने वाले विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण है। यही कारण है कि दोनों ही दल संभलकर कदम बढ़ा रहे हैं, सियासी रणनीति पर जोर है। ऐसा इसलिए क्योंकि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 230 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस को 114 और भाजपा को 109 स्थानों पर जीत मिली थी। कांग्रेस सत्ता में आई मगर बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) की अपने साथियों के साथ की गई बगावत के चलते कांग्रेस की सरकार गिर गई और भाजपा फिर सत्ता में आ गई। (आईएएनएस)

NI Desk

Under the visionary leadership of Harishankar Vyas, Shruti Vyas, and Ajit Dwivedi, the Nayaindia desk brings together a dynamic team dedicated to reporting on social and political issues worldwide.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *