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12-05-2025 Vol 19

क्या आप जानते है जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर श्रद्धालुओं नहीं रखते है पैर…जानें रहस्य

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भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर मंदिर अपने भीतर इतिहास, आस्था और रहस्यों का समुंदर समेटे हुए है। यहाँ की हर ईंट में श्रद्धा की एक अलग ही कहानी छुपी होती है। ऐसा ही एक अलौकिक और रहस्यमयी मंदिर है उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर

यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके साथ जुड़े रहस्य और नियम भी लोगों को आकर्षित करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित यह मंदिर हिंदू धर्म के चार प्रमुख धामों — बद्रीनाथ, द्वारिका, रामेश्वरम और जगन्नाथपुरी — में से एक है। ऐसा माना जाता है कि जगन्नाथपुरी की भूमि स्वर्गलोक के समान है, जिसे बैकुंठ भी कहा जाता है।

जगन्नाथ मंदिर की अद्भुतता सिर्फ इसकी वास्तुकला या परंपराओं में ही नहीं, बल्कि उन रहस्यमयी बातों में भी है, जो इसके हर कोने से जुड़ी हैं। इन्हीं में से एक रहस्य है मंदिर की तीसरी सीढ़ी से जुड़ा हुआ। कहते हैं कि इस सीढ़ी पर पैर रखना सख्त वर्जित है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, लेकिन इसके पीछे की वजह जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।

जगन्नाथ मंदिर की सीढी को लेकर भी अलग-अलग मान्यताएं जुड़ी हुई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मंदिर की यह तीसरी सीढ़ी भगवान जगन्नाथ का ‘पवित्र स्थल’ मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ भगवान स्वयं विराजते हैं और यह स्थान अत्यंत दिव्य है।

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सीढ़ी के इस विशेष भाग को ‘ब्रह्मा स्थान’ भी कहा जाता है, जहाँ श्री जगन्नाथ के दिव्य सत्त्व की उपस्थिति मानी जाती है। यही कारण है कि जगन्नाथ मंदिर सीढ़ी पर किसी का पैर पड़ना अशुभ माना जाता है, और भक्तगण इस सीढ़ी को सिर झुकाकर प्रणाम करते हैं।

कहते हैं कि जो व्यक्ति इस सीढ़ी की मर्यादा का उल्लंघन करता है, उसे न केवल पाप लगता है बल्कि वह अपने जीवन में कई बाधाओं का भी सामना करता है।

इसी मान्यता के चलते, स्थानीय लोग और श्रद्धालु इस सीढ़ी के प्रति विशेष श्रद्धा और सावधानी बरतते हैं। यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिद्ध करती है कि भारतीय संस्कृति में हर चीज का अपना एक आध्यात्मिक महत्व होता है।

जगन्नाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक रहस्यलोक भी है। इसकी परंपराएं, इसकी व्यवस्था, और इसके रहस्य — सब मिलकर इसे एक चमत्कारी धरोहर बनाते हैं, जो आज भी वैज्ञानिक सोच से परे है और श्रद्धा व विश्वास की मिसाल कायम करता है।

यदि आप कभी पुरी जाएं, तो इस मंदिर की दिव्यता और इसकी परंपराओं का अनुभव अवश्य करें, और विशेष रूप से उस तीसरी सीढ़ी को प्रणाम करना न भूलें, जिसने सदियों से भक्तों के दिलों में एक अनकही श्रद्धा का स्थान बना रखा है।

जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी का रहस्य

पुरी, उड़ीसा में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर भारत के चार धामों में से एक है और इसे हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में गिना जाता है। यहां भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की पूजा की जाती है।

इस मंदिर की भव्यता, रहस्य और आध्यात्मिक ऊर्जा हर श्रद्धालु को अपनी ओर आकर्षित करती है। लेकिन इस मंदिर की एक विशेष बात है जो इसे और भी अद्भुत बनाती है – और वह है मंदिर के मुख्य द्वार की तीसरी सीढ़ी, जिसे “यम शिला” कहा जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय ऐसा था जब भगवान जगन्नाथ के दर्शन मात्र से ही लोगों को उनके जीवन के समस्त पापों से मुक्ति मिलने लगी। यह देखकर यमराज, जो मृत्यु और कर्मों का न्याय करने वाले देवता हैं, चिंतित हो उठे।

उन्होंने भगवान जगन्नाथ के पास पहुंचकर निवेदन किया – “हे प्रभु, आपने मनुष्यों के लिए पापों से मुक्ति पाने का मार्ग बहुत सरल कर दिया है। अब कोई भी पापी व्यक्ति भी आपके दर्शन मात्र से मुक्त हो जाता है और यमलोक आने की आवश्यकता नहीं समझता। यह तो धर्म और न्याय के संतुलन को बिगाड़ देगा।”

यम शिला पर सभी पाप नष्ट 

यमराज की बात सुनकर भगवान जगन्नाथ मुस्कराए और बोले, “हे धर्मराज, आपकी बात सत्य है। इसलिए मैं आपको आदेश देता हूँ कि आप इस मंदिर के मुख्य द्वार की तीसरी सीढ़ी पर विराजमान हों।

यह स्थान अब ‘यम शिला’ कहलाएगा। मेरे दर्शन के उपरांत जब कोई भक्त इस तीसरी सीढ़ी पर पाँव रखेगा, तो उसके सारे पुण्य उसी क्षण नष्ट हो जाएंगे और उसे यमलोक की यात्रा करनी ही पड़ेगी।”

इस कथन के अनुसार, यम शिला न केवल एक सीढ़ी है, बल्कि यह धर्म और कर्म का प्रतीक बन चुकी है। यह हमें यह भी स्मरण कराती है कि केवल भगवान के दर्शन करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि जीवन में किए गए कर्मों का फल हर व्यक्ति को भोगना ही पड़ता है।

आज भी श्रद्धालु जब जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करते हैं, तो तीसरी सीढ़ी पर विशेष ध्यान रखते हैं। कुछ लोग उसे छूकर प्रणाम करते हैं तो कुछ उस पर पाँव रखने से बचते हैं।

मान्यता है कि यदि कोई सच्चे मन से भगवान का दर्शन कर, अपने कर्मों के प्रति जागरूक होकर उस सीढ़ी पर पाँव रखता है, तो वह यमराज के न्याय को स्वीकार करता है और अपने जीवन के वास्तविक उद्देश्य की ओर बढ़ता है।

इस तरह, जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी केवल पत्थर की बनी एक साधारण सीढ़ी नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक चेतावनी है – कि दर्शन के साथ-साथ जीवन में सच्चे कर्म और आत्मचिंतन भी अनिवार्य हैं।

जगन्नाथ मंदिर में कहां से आई यह सीढ़ी

जगन्नाथ मंदिर, ओडिशा के पुरी में स्थित, न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां छिपे कई रहस्य भी इसे विशेष बनाते हैं। मंदिर की एक खास बात है यहां की तीसरी सीढ़ी, जिसे यमशिला कहा जाता है।

यह सीढ़ी मुख्य द्वार से प्रवेश करते समय नीचे से तीसरे क्रम में आती है। इस सीढ़ी का रंग अन्य सभी सीढ़ियों से अलग काला होता है, जो इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। माना जाता है कि यह यमराज का प्रतीक है और इसे अपवित्र नहीं किया जाना चाहिए।

जब श्रद्धालु जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए प्रवेश करते हैं, तो स्वाभाविक रूप से उनके पैर इस सीढ़ी पर पड़ते हैं। लेकिन दर्शन के पश्चात लौटते समय इस सीढ़ी पर पैर रखना वर्जित माना गया है।

मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति दर्शन के बाद वापसी में इस विशेष सीढ़ी पर पैर रख देता है, तो उसके द्वारा किए गए सभी पुण्य कर्म समाप्त हो जाते हैं। इसलिए दर्शन के बाद लौटते समय भक्तजन खास सावधानी बरतते हैं और इस तीसरी सीढ़ी को पार करने से पहले उसके स्पर्श से बचते हैं।

जगन्नाथ मंदिर से जुड़े कई चमत्कारी तथ्य

कोई पक्षी मंदिर के ऊपर से नहीं उड़ता – ऐसा कहा जाता है कि मंदिर के ऊपर से न कोई पक्षी उड़ता है और न ही कोई विमान।

मंदिर की कोई छाया नहीं पड़ती – यह रहस्य और भी चौंकाने वाला है कि दिन के किसी भी समय मंदिर की छाया जमीन पर नहीं दिखाई देती, जो कि वास्तुकला और विज्ञान की समझ से परे है।

मंदिर के शिखर पर स्थित ध्वज हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है – सामान्यतः ध्वज हवा की दिशा में लहराते हैं, लेकिन जगन्नाथ मंदिर में यह नियम उल्टा है। यह ध्वज हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है, जो अब तक एक रहस्य ही बना हुआ है।

मंदिर परिसर में समुद्र की लहरों की आवाज नहीं सुनाई देती – जहां एक ओर मंदिर समुद्र तट के बिल्कुल पास स्थित है, वहीं मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही समुद्र की गर्जना जैसे पूरी तरह से शांत हो जाती है। लेकिन जैसे ही आप मंदिर से बाहर निकलते हैं, वही लहरों की आवाज स्पष्ट सुनाई देती है।

इन तमाम रहस्यों ने जगन्नाथ मंदिर को न केवल एक धार्मिक स्थल बल्कि एक अद्भुत और रहस्यमयी चमत्कार भी बना दिया है। यहां हर एक कोना, हर एक रचना, और हर एक अनुभव मानों किसी अलौकिक शक्ति का प्रमाण देता है।

जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी हो या हवा के विरुद्ध लहराता ध्वज — यह सब कुछ हमें यह अहसास कराते हैं कि जगन्नाथ पुरी मंदिर केवल ईंट-पत्थरों से बना कोई ढांचा नहीं, बल्कि एक जीवंत चमत्कार है जो आस्था, रहस्य और अध्यात्म का संगम है।

Naya India

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