चंडीगढ़। ओडिशा के बाद अब पंजाब में भी भाजपा की गठबंधन की कोशिश नाकाम हो गई है। पार्टी ने सभी 13 लोकसभा सीटों पर अकेले लड़ने का ऐलान किया है। पिछले कुछ दिनों से भाजपा और अकाली दल के बीच गठबंधन की बात चल रही थी। गौरतलब है कि दोनों पार्टियों का पुराना गठबंधन रहा है।
लेकिन किसान आंदोलन के समय यह गठबंधन टूट गया था। अब फिर दोनों पार्टियां साथ मिल कर लड़ना चाहती थीं लेकिन मंगलवार को दोनों पार्टियों के नेताओं ने अकेले लड़ने का ऐलान किया।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि पार्टी सभी सीटों पर अकेले लड़ेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की राय ली गई थी और सबने कहा कि पार्टी को अकेले लड़ना चाहिए। दूसरी ओर अकाली दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भी कहा उनकी पार्टी अकेले लड़ेगी।
ऐसा माना जा रहा है कि किसानों के मुद्दे और कुछ अन्य वैचारिक विवादों की वजह से तालमेल नहीं हो पाया है। यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा अकेले लड़ कर विधानसभा चुनाव के लिए अपना आधार मजबूत करना चाहती है।
भाजपा के साथ चुनावी गठबंधन नहीं होने की घोषणा के बाद अकाली दल की तरफ से कहा गया है कि दोनों ही दलों की विचारधाराओं में अंतर के कारण गठबंधन संभव नहीं है। हालांकि पहले लंबे समय तक दोनों साथ रहे हैं।
तभी माना जा रहा है कि विचारधारा की जो बात है वह किसान आंदोलन के समय सिख किसानों को सोशल मीडिया में खालिस्तानी और आतंकवादी बताए जाने की वजह से सामने आई है।
बहरहाल, यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा ने 2027 के विधानसभा चुनाव में अकेले दम पर उतरने के संकेत दिए हैं तो दूसरी ओर अकाली दल 2024 के लोकसभा चुनाव में अकेले दम पर लड़कर अपने वोट बैंक को एकजुट करना चाहती है। अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने कहा है कि उनकी पार्टी के लिए नंबर गेम कभी मायने नहीं रहा है।
उन्होंने कहा- पिछले लगभग 103 सालों से अकाली दल ने पंजाब की तरक्की और विकास के लिए काम किया है। हम उसूलों पर चलने वाले लोग हैं। हमारे लिए हमारा विचारधारा सबसे पहले है। उन्होंने कहा- कोई भी राष्ट्रीय पार्टी पंजाब के हित में काम नहीं करती है। किसानों के मुद्दे पर हमारी पार्टी आवाज उठाती रहेगी।