nayaindia PMMY 40.81 crore loan sanctioned for 23.2 lakh crore प्रधानमंत्री मुद्रा योजना अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजरः निर्मला सीतारमण
कारोबार

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजरः निर्मला सीतारमण

ByNI Desk,
Share
NEW DELH, FEB 1 (UNI):- Union Finance Minister Nirmala Sitharaman presenting the Union Budget-2023-24 before the Parliament, in New Delhi on Wednesday. (T V Grab) UNI PHOTO-25U

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने आज कहा कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (Pradhan Mantri Mudra Yojana) (पीएमएमवाई) (PMMY) के शुभारंभ से लेकर अब तक 23.2 लाख करोड़ रुपये के 40.82 करोड़ से भी अधिक ऋण स्वीकृत किए गए हैं और इससे जमीनी स्तर पर बड़ी संख्या में रोजगार सृजित करने में मदद मिली है तथा यह भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को बढ़ावा देने के साथ-साथ गेम चेंजर भी साबित हुई है।

वित्त मंत्री ने इस योजना के आठ वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर यहां कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में शुरू की गई इस योजना से सूक्ष्म उद्यमों तक ऋणों की आसान एवं परेशानी मुक्त पहुंच संभव हो पाई है और इससे बड़ी संख्या में युवा उद्यमियों को अपना व्यवसाय शुरू करने में मदद मिली है।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) का शुभारंभ 8 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री द्वारा आय सृजित करने वाली गतिविधियों के लिए गैर-कॉरपोरेट, गैर-कृषि लघु और सूक्ष्म उद्यमियों को 10 लाख रुपये तक के गिरवी-मुक्त सूक्ष्म ऋण आसानी से मुहैया कराने के उद्देश्य से किया गया था। ‘पीएमएमवाई’ के तहत ऋण दरअसल सदस्य ऋणदाता संस्थाओं (एमएलआई) यथा बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) और अन्य वित्तीय मध्यस्थों द्वारा प्रदान किए जाते हैं।

पीएमएमवाई के आंकड़ों के संदर्भ में श्रीमती सीतारमण ने कहा कि इस योजना के शुभारंभ से लेकर 24 मार्च 2023 तक 40.82 करोड़ ऋण खातों में लगभग 23.2 लाख करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इस योजना के तहत लगभग 68 प्रतिशत खाते महिला उद्यमियों के हैं और 51 प्रतिशत खाते एससी/एसटी और ओबीसी श्रेणियों के उद्यमियों के हैं। यह दर्शाता है कि देश के नवोदित उद्यमियों को आसानी से ऋण की उपलब्धता से नवाचार और प्रति व्यक्ति आय में सतत वृद्धि हुई है।

एमएसएमई के माध्यम से विकास पर वित्त मंत्री ने कहा कि एमएसएमई के विकास ने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में व्‍यापक योगदान दिया है क्योंकि मजबूत घरेलू एमएसएमई की बदौलत घरेलू बाजारों के साथ-साथ निर्यात के लिए भी स्वदेश में उत्पादन काफी अधिक बढ़ गया है। पीएमएमवाई योजना से जमीनी स्तर पर बड़ी संख्‍या में रोजगार अवसर सृजित करने में मदद मिली है और यह भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ-साथ गेम चेंजर भी साबित हुई है।

इस अवसर पर वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत किसानराव कराड ने कहा कि पीएमएमवाई का उद्देश्य देश में सूक्ष्म उद्यमों तक गिरवी-मुक्त ऋणों की निर्बाध पहुंच सुनिश्‍चि‍त करना है। इसने समाज के ऋणों से वंचित और बेहद सीमित ऋण पाने वाले वर्गों को संस्थागत ऋण के ढांचे के भीतर ला दिया है। ‘मुद्रा’ को बढ़ावा देने की सरकारी नीति से लाखों एमएसएमई अब औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्‍सा बन गए हैं और इससे उन्हें अनाप-शनाप ब्‍याज दरों पर ऋण देने वाले साहूकारों के चंगुल से बाहर निकलने में मदद मिली है।

वित्तीय समावेश कार्यक्रम का कार्यान्वयन तीन स्तंभों बैंकिंग सेवाओं से वं‍चि‍तों को बैंकिंग सुविधाएं मुहैया कराने, असुरक्षित को सुरक्षित करने और वित्‍त से वं‍चि‍तों का वित्‍त पोषण करने पर आधारित है। इन तीनों उद्देश्यों को प्रौद्योगिकी का उपयोग करके और बहु-हितधारक सहयोगात्मक दृष्टिकोण को अपनाते हुए प्राप्त किया जा रहा है, जबकि ऋणों से वंचित और बेहद सीमित ऋण पाने वालों को ऋण मुहैया कराए जा रहे हैं।

वित्तीय समावेश के तीन स्तंभों में से एक स्तंभ वित्‍त से वं‍चि‍तों का वित्‍त पोषण करना दरअसल ‘पीएमएमवाई’ के माध्यम से वित्तीय समावेश में परिलक्षित होता है जिसे छोटे उद्यमियों तक ऋणों की पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कार्यान्वित किया जा रहा है।

वित्त की आवश्यकता और संबंधित व्‍यवसाय की परिपक्वता स्थिति के आधार पर ऋणों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। ये हैं ‘शिशु’ (50,000 रुपये तक के ऋण), ‘किशोर’ (50,000 रुपये से अधिक और 5 लाख रुपये तक के ऋण), और ‘तरुण’ (5 लाख रुपये से अधिक और 10 लाख रुपये तक के ऋण)। ‘पीएमएमवाई’ के तहत ऋण कृषि से संबद्ध गतिविधियों जैसे कि पोल्ट्री, डेयरी, मधुमक्खी पालन, इत्‍यादि सहित विनिर्माण, व्यापार और सेवा क्षेत्रों में आय सृजित करने वाली गतिविधियों के लिए वित्त पोषण के सावधि ऋण और कार्यशील पूंजी दोनों ही घटकों को पूरा करने के लिए प्रदान किए जाते हैं।

ब्याज दर आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार ऋणदाता संस्थानों द्वारा तय की जाती है। कार्यशील पूंजी की सुविधा के मामले में ब्याज कर्जदार द्वारा केवल रात भर हेतु लिए गए धन पर ही लगाया जाता है।

इस योजना के शुभारंभ से लेकर अब तक 23.2 लाख करोड़ रुपये की राशि के 40.82 करोड़ से भी अधिक ऋण स्वीकृत किए गए हैं। कुल ऋणों का लगभग 21 प्रतिशत नए उद्यमियों के लिए स्वीकृत किया गया है। कुल ऋणों में से लगभग 69 प्रतिशत ऋण महिला उद्यमियों के लिए स्वीकृत किए गए हैं और 51 प्रतिशत ऋण एससी/एसटी/ओबीसी श्रेणियों के कर्जदारों के लिए स्वीकृत किए गए हैं। पीएमएमवाई के तहत शिशु ऋणों के त्‍वरित पुनर्भुगतान पर 2 प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी सभी पात्र कर्जदारों को 12 माह की अवधि के लिए दी गई। वित्त मंत्री द्वारा कोविड महामारी के दौरान 14 मई 2020 को ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत यह घोषणा की गई। इस योजना को किसी अभूतपूर्व हालात से निपटने के लिए एक विशिष्ट उपाय के रूप में तैयार किया गया था और इसका उद्देश्य ऋण की लागत को कम करके ‘समाज के सबसे निचले तबके’ वाले कर्जदारों की वित्तीय मुश्किलों को कम करना था। यह योजना 31 मार्च 2021 तक चालू थी।

कर्जदारों के खातों में सब्सिडी राशि डालने के लिए सिडबी द्वारा एमएलआई को 636.89 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। सूक्ष्म इकाइयों के लिए ऋण गारंटी फंड (सीजीएफएमयू) बनाया। सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी ‘नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी)’ के तत्वावधान में जनवरी 2016 में ‘सूक्ष्म इकाइयों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड’ बनाया गया था, ताकि इन्‍हें गारंटी दी जा सके। (वार्ता)

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें

Naya India स्क्रॉल करें