नई दिल्ली। भारत (India) के साथ अपने समग्र सहयोग में रूस विविधता लाना चाहता है और दोनों देशों के बीच संबंध किसी के खिलाफ केंद्रित नहीं हैं। रूस के राजदूत (Russian Ambassador) डेनिस अलीपोव (Denis Alipov) ने सोमवार को यह बात कही।
राजदूत ने एक सम्मेलन में अपने संबोधन में यूक्रेन संघर्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि भूराजनीति ढांचे में व्यापक बदलाव के कारण संबंधों में ‘तनाव’ है। दोनों देशों के बीच समय की कसौटी पर खरे उतरे संबंधों के विभिन्न आयामों के बारे में चर्चा करते हुए अलीपोव ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए उनके देश के समर्थन की पुष्टि की।
राजदूत ने कहा कि दोनों देशों ने सहयोग की एक ‘बहुत समृद्ध संरचना’ बनाई है जो दुनिया के लिए फायदेमंद है और अब वे नयी आर्थिक वास्तविकताओं की पृष्ठभूमि में व्यापार क्षेत्र में उभरते परिदृश्य को देख रहे हैं।
‘भारत-रूस सामरिक साझेदारी में अगले कदम; पुरानी मित्रता नए क्षितिज’ सम्मेलन का आयोजन इंडिया राइट्स नेटवर्क द्वारा किया गया था। अलीपोव ने कहा कि हम भारत के साथ अपने संबंधों में और विविधता लाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक संबंधों को पटरी से उतारने के प्रयासों के बावजूद दोनों पक्ष व्यापार संबंधों के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर, राजदूत ने संबंधों को ‘अभूतपूर्व’ बताया और भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के अमेरिका के वादे को लेकर उस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अमेरिका विज्ञापन में अच्छा है। हम प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और राजनीति को मिलाते नहीं हैं।
मॉस्को के यूक्रेन पर आक्रमण के बावजूद भारत और रूस के बीच रिश्ते मजबूत बने रहे। कई पश्चिमी देशों में बढ़ती बेचैनी के बावजूद भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात पिछले कुछ महीनों में काफी बढ़ गया है। भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है और यह कहता रहा है कि संकट को कूटनीति और बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। (भाषा)