nayaindia Advocate Laxman Chandra Victoria Gauri Madras High Court Additional Judge विक्टोरिया गौरी ने मद्रास हाई कोर्ट के न्यायाधीश पद की शपथ ली

विक्टोरिया गौरी ने मद्रास हाई कोर्ट के न्यायाधीश पद की शपथ ली

नई दिल्ली। वकील लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी (Advocate Laxman Chandra) ने मंगलवार को मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) की अतिरिक्त न्यायाधीश (Additional Judge) के रूप में शपथ ग्रहण की। वहीं, उच्चतम न्यायालय ने गौरी को मद्रास हाई कोर्ट की न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने से रोकने के अनुरोध वाली याचिका पर विचार करने से मंगलवार को इनकार कर दिया।

गौरी ने शीर्ष अदालत में अपनी नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बीच मद्रास उच्च न्यायालय की अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। मद्रास उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी राजा ने राष्ट्रपति द्वारा जारी नियुक्ति आदेश पढ़ने सहित अन्य औपचारिकताएं पूरी किए जाने के बाद गौरी को अतिरिक्त न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई। चेन्नई में गौरी के अलावा चार अन्य लोगों ने भी मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की।

अतिरिक्त न्यायाधीश पद पर गौरी की नियुक्ति के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति संजय खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई की विशेष पीठ अदालत के निर्धारित समय से पांच मिनट पहले यानी पूर्वाह्न 10.25 बजे बैठी। पीठ ने कहा, हम रिट याचिका पर विचार नहीं करने जा रहे हैं। वजह बताई जाएंगी।

मद्रास उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने गौरी को पूर्वाह्न 10.48 बजे शपथ दिलाई, जब शीर्ष अदालत इस संबंध में दलीलें सुन रही थी कि उन्हें न्यायाधीश क्यों नहीं बनाया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिककर्ताओं की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन से कहा कि पात्रता और उपयुक्तता के बीच अंतर है।

इस पर रामचंद्रन ने संविधान के अनुच्छेद-217 का जिक्र किया, जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति और कार्यालय की शर्तों से संबंधित है। उन्होंने दलील दी कि एक व्यक्ति जो संविधान के आदर्शों और बुनियादी सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है, वह शपथ लेने के अयोग्य है, क्योंकि शपथ संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा की बात करती है।

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने रिकॉर्ड पर कुछ सामग्री रखी है और इन चीजों को कॉलेजियम के सामने भी रखा जाना चाहिए, जिसने उच्च न्यायालय की न्यायाधीश के रूप में गौरी के नाम की सिफारिश की थी। पीठ ने कहा कि जब कॉलेजियम कोई निर्णय लेता है, तब वह संबंधित उच्च न्यायालय के सलाहकार न्यायाधीशों की भी राय लेता है और आप यह नहीं कह सकते कि संबंधित उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को इन सब बातों की जानकारी नहीं है।

‍शीर्ष अदालत ने कहा कि गौरी को उच्च न्यायालय की अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है। पीठ ने कहा कि अगर उम्मीदवार शपथ के प्रति ईमानदार नहीं है और यह पाया जाता है कि उसने शपथ के मुताबिक कर्तव्यों का पालन नहीं किया है, तो क्या कॉलेजियम को इसका संज्ञान लेने का अधिकारी नहीं है? ऐसे कई मामले रहे हैं, जिनमें लोगों की नियुक्ति की पुष्टि नहीं की गई है।

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को गौरी की मद्रास उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सात फरवरी को सुनवाई करने का फैसला किया था। शीर्ष अदालत के फैसले के ठीक पहले केंद्र ने न्यायाधीश के रूप में गौरी की नियुक्ति को अधिसूचित किया था। याचिकाकर्ता वकीलों-अन्ना मैथ्यू, सुधा रामलिंगम और डी नागसैला ने अपनी याचिका में गौरी द्वारा मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ की गई कथित घृणास्पद टिप्पणियों का उल्लेख किया था।

याचिका में कहा गया था, याचिकाकर्ता न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए ‘गंभीर खतरे’ को देखते हुए चौथे प्रतिवादी (गौरी) को उच्च न्यायालय की न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने से रोकने के वास्ते उचित अंतरिम आदेश जारी करने की मांग कर रहे हैं। (भाषा)

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें