नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र में लगातार दूसरे दिन अदानी समूह की जांच को लेकर विपक्षी पार्टियों ने हंगामा किया। अदानी समूह की कथित गड़बड़ियों के बारे में अमेरिकी संस्था हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को लेकर विपक्ष की पार्टियों ने दोनों सदनों में हंगामा किया और अदानी समूह की जांच की मांग की। कई पार्टियों ने इस मसले पर चर्चा के लिए नोटिस दिया। लेकिन सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं हुई। विपक्ष के हंगामे की वजह से दोनों सदन पहले दोपहर दो बजे तक लिए स्थगित किए गए और उसके बाद दोनों सदनों को सोमवार, छह फरवरी की लुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
इससे पहले गुरुवार को भी संसद के दोनों सदनों में अदानी समूह को लेकर हंगामा हुआ था और विपक्ष ने साझा संसदीय समिति बना कर इसकी जांच की मांग की थी। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्षी पार्टियों की बैठक के बाद कहा था कि जेपीसी बना कर या सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज के नेतृत्व में अदानी समूह की जांच कराई जाए। विपक्ष ने दूसरे दिन यानी शुक्रवार को भी जांच की मांग जारी रखी, जिसकी वजह से राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हो पाई।
सरकार ने धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा नहीं होने के लिए विपक्ष की आलोचना की। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने इस मुद्दे पर कहा कि अदानी के खिलाफ रिपोर्ट या शेयर बाजार की उथल पुथल से सरकार का कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा- राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा प्राथमिकता रहती है लेकिन विपक्ष पास कोई और मुद्दा नहीं है। बहरहाल, विपक्षी पार्टियों ने शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन इस मसले पर बैठक की और साझा रणनीति बनाई।
अदानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर चर्चा के लिए कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने शुक्रवार को लोकसभा में काम रोको प्रस्ताव का नोटिस दिया। डीएमके के राज्यसभा सांसद तिरुचि शिवा ने नियम 267 के तहत भारत पर अडानी समूह की व्यावसायिक गतिविधियों के आर्थिक और नैतिक रूप से प्रतिकूल प्रभाव पर चर्चा करने के लिए नोटिस दिया। हालांकि राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे पर विपक्ष के नोटिस को सभापति ने नामंजूर कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में ये नियमों के खिलाफ है। सभापति ने कहा कि कार्रवाई तभी चल सकती है जब सदन सुचारू ढंग से काम कर रहा हो।