Wednesday

30-04-2025 Vol 19

समलैंगिक शादी का मामला संसद पर छोड़ें

524 Views

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि समलैंगिक शादियों का मामला सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ देना चाहिए। समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर याचिकाकर्ताओं की दलीलें पूरी होने के बाद बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि यह एक जटिल और व्यापक असर वाला मुद्दा है, जिसके बारे में कानून बनाने की जिम्मदारी संसद पर छोड़ देनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि देश के डेढ़ सौ से ज्यादा कानून हैं, जिन पर इसका असर होगा।

इससे पहले इस मसले पर चार दिन सुनवाई हुई है, जिसमें 20 याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील पेश की गई। पांचवें दिन बुधवार को सॉलिसीटर जनरल ने दलील शुरू की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि असली सवाल यह है कि शादी की परिभाषा क्या है? और यह किसके बीच वैध मानी जाएगी, इस पर फैसला कौन करेगा? केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत से आग्रह किया कि वह समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों को संसद के लिए छोड़ने पर विचार करे।

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- आप एक बेहद जटिल मुद्दे पर सुनवाई कर रहे हैं, जिसके व्यापक सामाजिक प्रभाव हैं। उन्होंने कहा- मैं पहले कोर्ट के अफसर और एक नागरिक के तौर पर भी बोल रहा हूं। ये बड़ा जटिल सवाल है, इसे संसद पर छोड़ देना चाहिए। सवाल ये है कि शादी का गठन कैसे होता है और शादी किनके बीच होती है? इसके बहुत प्रभाव पड़ेंगे, सिर्फ समाज पर ही नहीं, बल्कि दूसरे कानूनों पर? मेहता ने कहा- इस पर अलग अलग राज्यों, सिविल सोसायीटी ग्रुप व अन्य समूहों के बीच बहस होनी चाहिए।

मेहता ने कहा- स्पेशल मैरिज एक्ट और अन्य विवाह कानूनों के अलावा 160 ऐसे कानून हैं, जिन पर इसका प्रभाव पड़ेगा। कोर्ट एक जटिल विषय से निपट रहा है, जिसका गहरा सामाजिक प्रभाव है। केवल संसद ही यह तय कर सकती है कि विवाह क्या होता है और विवाह किसके बीच हो सकता है। इसका विभिन्न कानूनों और पर्सनल लॉ पर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि इससे पहले एक बहस होनी चाहिए, विभिन्न हितधारकों से परामर्श किया जाना चाहिए, राष्ट्रीय दृष्टिकोण, विशेषज्ञों को ध्यान में रखा जाना चाहिए और विभिन्न कानूनों पर प्रभाव पर भी विचार किया जाना चाहिए।

NI Desk

Under the visionary leadership of Harishankar Vyas, Shruti Vyas, and Ajit Dwivedi, the Nayaindia desk brings together a dynamic team dedicated to reporting on social and political issues worldwide.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *