अंकारा। मध्य पूर्व के दो देशों, तुर्किये और सीरिया में सोमवार को आए भूकंप में मरने वालों की संख्या 52 सौ से ज्यादा हो गई है। अब भी बड़ी संख्या में लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। राहत और बचाव की टीमें मलबों के ढेर में जिंदा लोगों की तलाश कर रही हैं। इस बीच भारत सहित दुनिया भर के देशों ने राहत भेजनी शुरू कर दी है। भारत में भी राहत सामग्री के साथ साथ बचाव की टीम भी भेजी है। तुर्किये में भारी तबाही के बाद तीन महीने के लिए इमरजेंसी लगा दी गई है।
गौरतलब है कि सोमवार को तड़के आए भूकंप की तीव्रता 7.8 थी। इसके बाद 7.6 और छह की तीव्रता वाले तीन और झटके लगे। उसके बाद 24 घंटे में अनेकों ऑफ्टर शॉक लगे। लोग सोमवार की सुबह के बाद से दहशत में हैं और घरों से बाहर सो रहे हैं। भूकंप का पहला झटका इतना भयावह था कि सैकड़ों ऊंची इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गईं और हजारों लोग उनके मलबों में दब गए। भूकंप जब आया तो लोग सो रहे थे। ठंड के मौसम ने राहत कार्यों और इमरजेंसी सेवाओं को और मुश्किल बना दिया है।
सीरिया के राष्ट्रीय भूकंप केंद्र के प्रमुख रायद अहमद ने इसे देश के इतिहास में दर्ज सबसे बड़ा भूकंप करार दिया। बताया जा रहाहै कि भूकंप की दहशत की वजह से हजारों लोगों ने सोमवार को रात सड़कों पर बिताई, जबकि तपमान शून्य के नीचे पहुंचा हुआ है। राहत व बचाव दल की ओर से जगह जगह आग के बंदोबस्त किए गए हैं ताकि खुले में रह रहे लोगों को कुछ राहत हासिल हो सके। इस बीच तुर्किये की राहत एजेंसी एएफएडी ने देश में साढ़े तीन हजार लोगों की मौत का नया आंकड़ा रखा है। तुर्किये और सीरिया दोनों में 52 सौ से ज्यादा लोगों की मौतों की पुष्टि हो गई। इस बीच तुर्किये ने सात दिन के शोक की घोषणा की है।