nayaindia Ovarian Cancer नींद की कमी से बढ़ सकता है ओवेरियन कैंसर का खतरा

नींद की कमी से बढ़ सकता है ओवेरियन कैंसर का खतरा

नई दिल्ली। विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य को लेकर चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अनिद्रा से पीड़ित महिलाओं में ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer) होने का खतरा काफी अधिक हो सकता है। इस बीमारी को अंग्रेजी में इंसोमनिया के नाम से जाना जाता है। यह नींद न आने की एक बीमारी है। इसमें व्यक्ति को सोने में असुविधा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसमें नींद की कमी या नींद पूरी नहीं हो पाने की समस्या भी रहती है। इस बीमारी से पीड़ित लोगों के बहुत जल्दी जागने और फिर से न सो पाने की संभावना भी होती है। अक्सर मरीज जागने के बाद भी थका हुआ सा महसूस करता है। गोवा के मणिपाल अस्पताल (Manipal Hospital) में प्रसूति एवं स्त्री रोग की एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ. किंजल कोठारी ने  बताया अनिद्रा आमतौर पर तनाव और चिंता से जुड़ी होती है। यह ओवेरियन कैंसर से पीड़ित लोगों में जोखिम और जीवित रहने की दर में भी भूमिका निभा सकती है।

शोध से यह बात सामने आई है कि नींद का अशांत पैटर्न सूजन (Disturbed Pattern Swelling) को बढ़ा सकता है, साथ ही प्रतिरक्षा प्रणाली को भी कमजोर कर सकता है, जिससे कैंसर होने का खतरा बना रहता है। लैंसेट में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन से यह बात सामने आई है कि अनिद्रा का इलाज करने से उच्च-श्रेणी के ओवेरियन कैंसर से जीवित रहने की संभावना बढ़ सकती है। इससे ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer) को रोका जा सकता है। कैंसर की घटनाएं और व्यापकता बढ़ती जा रही है। इस प्रवृत्ति के साथ रोग के पैटर्न और रोगी के जीवित रहने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के तरीकों का अध्ययन करने की बहुत आवश्यकता है। केएमसी अस्पताल, मैंगलोर के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के सलाहकार डॉ. कार्तिक के.एस. ने बताया कैंसर रोगियों में नींद संबंधी विकार आम है। यह नींद न आने या असामान्य नींद की प्रवृत्ति के कारण हो सकता है।

संभवतः आधे से ज्यादा रोगी इससे प्रभावित होते हैं। इससे रोगी के जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। डॉक्टर ने कहा कि नींद संबंधी लक्षण रोगी और परिवार पर रोग के मनोवैज्ञानिक प्रभाव के कारण भी हो सकते हैं। डॉ. कार्तिक ने कहा कैंसर के दर्द और दबाव के लक्षणों के कारण मरीजों की नींद में कमी हो सकती है। उपचार के दुष्प्रभाव और जटिलताएं जैसे मतली और उल्टी भी नींद को प्रभावित कर सकती है। चेन्नई के एमजीएम कैंसर संस्थान (MGM Cancer Institute) में निदेशक और वरिष्ठ सलाहकार – मेडिकल ऑन्कोलॉजी डॉ. एम.ए. राजा ने बताया अनिद्रा जैसे नींद संबंधी विकार ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर के जोखिम को बढ़ाने और उनके निदान को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने के लिए जाने जाते हैं।

डॉक्टर ने कहा नींद मानव शरीर (Human Body) के लिए बहुत जरूरी है, यह अंतःस्रावी (एंडोक्राइन), चयापचय, (मेटाबोलिक) प्रतिरक्षा-नियामक मार्गों (इम्यूनो रेगुलेटरी पाथवे) में परेशानी पैदा करता है, जो रोगी में नींद संबंधी बीमारियों को बढ़ावा देता है। इन सबसे कैंसर को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा अनिद्रा अक्सर रोगी को खराब मानसिक स्वास्थ्य की ओर ले जाती है, जो अप्रत्यक्ष रूप से कैंसर चिकित्सा (Cancer Therapy) के दौरान उपचार में बाधा बनती है। डॉ. किंजल ने कहा अनिद्रा के लिए संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी) ओवेरियन कैंसर में मरीज को बेहतर नींद देने के साथ रोग के खिलाफ लड़ने में भी मदद करती है, जिससे परिणामों में सुधार देखा जा सकता है।

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