नई दिल्ली। इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम में गड़बड़ियों को लेकर चल रहे आरोप प्रत्यारोपों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बड़ा आदेश दिया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि चुनाव आयोग ईवीएम का डाटा डिलीट न करे। सुप्रीम कोर्ट ने डाटा सुरक्षित रखने को कहा है ताकि चुनाव हारने वाले किसी उम्मीदवार की ओर से गड़बड़ी के आरोप लगाए जाने पर जांच की जा सके। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को ईवीएम के वेरिफिकेशन के लिए नीति बनाने की मांग वाली एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर की याचिका पर सुनवाई हुई।
एडीआर ने अपनी याचिका में कहा है कि ईवीएम के वेरिफिकेशन के लिए चुनाव आयोग की तरफ से बनाए गए मानक संचालन प्रक्रिया यानी एसओपी सुप्रीम कोर्ट के 26 अप्रैल 2024 को दिए गए फैसले से मेल नहीं खाते हैं। इस पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने तक ईवीएम में कोई डाटा रिलोड न करें, न कोई डाटा डिलीट करें। चीफ जस्टिस ने कहा, ‘यह कोई विरोध की स्थिति नहीं है। अगर हारने वाले उम्मीदवार को कोई स्पष्टीकरण चाहिए, तो इंजीनियर यह स्पष्ट कर सकता है कि कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है।’
अगली सुनवाई में चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम की मेमोरी और माइक्रो कंट्रोलर डिलीट करने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी देनी होगी। अगली सुनवाई तीन मार्च से शुरू होने वाले हफ्ते में होगी। चीफ जस्टिस खन्ना ने चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह से कहा कि 26 अप्रैल 2024 को एडीआर बनाम चुनाव आयोग केस में दिए गए फैसले का ये मतलब नहीं था कि ईवीएम से चुनाव का डाटा डिलीट किया जाए, या रीलोड किया जाए।
चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया कि 26 अप्रैल 2024 के फैसले का मकसद यह था कि चुनाव होने के बाद ईवीएम बनाने वाली कंपनी का कोई इंजीनियर मशीन को वेरिफाई और चेक कर सके। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अप्रैल के अपने फैसले में कहा था कि दूसरे या तीसरे नंबर पर आने वाले किसी उम्मीदवार को शक है तो वह नतीजे घोषित होने के सात दिन के भीतर शिकायत कर सकता है। शिकायत के बाद ईवीएम बनाने वाली कंपनी के इंजीनियर्स इसकी जांच करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी भी लोकसभा क्षेत्र में शामिल विधानसभा क्षेत्र की कुल ईवीएम में से पांच फीसदी मशीनों की जांच हो सकेगी। इन पांच फीसदी ईवीएम को शिकायत करने वाला प्रत्याशी या उसका प्रतिनिधि चुनेगा। इस जांच का खर्च उम्मीदवार को ही उठाना होगा। जांच के बाद अगर ये साबित होता है कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई है तो शिकायत करने वाले उम्मीदवार को जांच का पूरा खर्च लौटा दिया जाएगा। परंतु इस फैसले के आधार पर की गई शिकायत की जांच के दौरान आयोग ने पुराना डाटा डिलीट कर दिया।