पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने सीटों का दोहरा शतक लगा पर प्रचंड जीत हासिल की है। इससे पहले 2010 में एनडीए को दो सौ से ज्यादा सीटें मिली थीं। इस बार एनडीए ने 202 सीटें जीती हैं। भारतीय जनता पार्टी 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू 85 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर है। पिछले चुनाव में 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी राष्ट्रीय जनता दल का सूपड़ा साफ हो गया है। राजद को सिर्फ 25 सीटें मिली हैं। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का खाता नहीं खुला।
एनडीए की दो बड़ी सहयोगी पार्टियों भाजपा और जनता दल यू के अलावा बाकी पार्टियों ने भी बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। 28 सीटों पर लड़ी लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास को 19 सीटें मिली हैं। जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा छह सीटों पर लड़ी थी और उसने पांच सीटे जीती हैं। उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को चार सीटें मिली हैं। उनकी पार्टी भी छह सीटों पर लड़ी थी। दूसरी ओऱ राष्ट्रीय जनता दल की तरह ही उसकी सहयोगी पार्टियों का सफाया हो गया है।
कांग्रेस को सिर्फ छह सीटें मिली हैं, जबकि वह 61 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। पिछली बार 70 सीटों पर लड़ कर कांग्रेस ने 19 सीटें जीती थीं। पिछले चुनाव में 19 सीटों पर लड़ कर 12 जीतने वाली सीपीआई माले को इस बार 20 में से सिर्फ दो सीटें मिली हैं। सीपीएम ने एक सीट जीती है और नई पार्टी आईआईपी को भी एक सीट मिली है। मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी एक भी सीट नहीं जीत पाई है। समूचे महागठबंधन को 34 सीटें मिली हैं।
एनडीए को 2020 के मुकाबले 75 से ज्यादा सीटों का फायदा हुआ है, जबकि महागठबंधन को लगभग इतनी ही सीटों का नुकसान हुआ है। पिछली बार 43 सीटों पर सिमट गई जनता दल यू को इस बार लगभग दोगुनी सीटें मिली हैं। हालांकि मतदान प्रतिशत के हिसाब से राष्ट्रीय जनता दल सबसे बड़ी पार्टी बनी है। चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक उसके करीब 23 फीसदी वोट मिला है। हालांकि वह सबसे ज्यादा 143 सीटों पर लड़ी थी। भाजपा को 20 फीसदी और जनता दल यू को 19.23 फीसदी वोट मिला है। दोनों बराबर सीटों पर चुनाव लड़े थे।


