नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति पद के चुनाव में एक तरफ सरकार अपने उम्मीदवार के नाम पर आम सहमति बनाने की कोशिश कर रही है तो दूसरी ओर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के उम्मीदवार जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी को नक्सलियों का मददगार बताया है। चुनाव प्रचार शुरू होने से पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में जज रहे सुदर्शन रेड्डी की साख बिगाड़ने का काम शुरू कर दिया है।
शाह ने केरल में कहा, ‘विपक्षी गठबंधन के उप राष्ट्रपति उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट से रिटायर जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी ने नक्सलियों की मदद की थी’। ‘मनोरमा न्यूज’ के कॉन्क्लेव में शाह ने कहा, ‘विपक्ष के प्रत्याशी सुदर्शन रेड्डी वही हैं, जिन्होंने वामपंथी उग्रवाद और नक्सलवाद को समर्थन देने वाला फैसला दिया था। अगर सलवा जुडूम के खिलाफ फैसला न होता तो वामपंथी उग्रवाद 2020 तक खत्म हो गया होता’।
शाह ने जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘यही व्यक्ति विचारधारा से प्रेरित होकर सुप्रीम कोर्ट जैसे पवित्र मंच का इस्तेमाल करते हुए सलवा जुडूम के खिलाफ फैसला देने वाले थे’। गृह मंत्री ने कहा कि केरल नक्सलवाद और उग्रवाद का दर्द झेल चुका है। ऐसे में केरल की जनता जरूर देखेगी कि कांग्रेस पार्टी वामपंथियों के दबाव में आकर कैसे ऐसे प्रत्याशी को चुनती है, जिसने नक्सलवाद का समर्थन करने जैसा काम किया।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में सरकार ने नक्सलियों से लड़ने के लिए सलवा जुडूम अभियान चलाया था, जिसमें आदिवासी युवाओं को हथियार देकर स्पेशल पुलिस ऑफिसर बनाया गया। 2011 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी की बेंच ने इस पर रोक लगाते हुए कहा कि यह तरीका असंवैधानिक और गैरकानूनी है। कोर्ट ने कहा था कि सरकार का काम नक्सलियों से लड़ने के लिए सुरक्षाबलों को भेजना है, न कि गरीब आदिवासियों को ढाल बनाकर खतरे में डालना। फैसले में आदेश दिया गया कि इन युवाओं से तुरंत हथियार लिए जाएं। सरकार को नक्सलवाद की मूल कारणों पर काम करना चाहिए।