Wednesday

30-04-2025 Vol 19

असम में अप्रवासियों को नागरिकता देने का कानून वैध

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में असम में अप्रवासियों को नागरिकता देने वाले कानून को वैध ठहराया है। सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार, 17 अक्टूबर को सुनाए गए फैसले में नागरिकता कानून की धारा 6ए की वैधता को बरकरार रखा है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान बेंच ने चार और एक के बहुमत से फैसला सुनवाया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस मनोज मिश्र ने धारा 6ए की वैधता पर सहमति जताई, जबकि जस्टिस जेबी पारदीवाला ने फैसले से असहमति जताई।

गौरतलब है कि नागरिकता कानून की धारा 6ए को 1985 में असम समझौते के दौरान जोड़ा गया था। इस कानून के तहत जो बांग्लादेशी अप्रवासी एक जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 के बीच असम आए हैं वो भारतीय नागरिक के तौर पर खुद को रजिस्टर करा सकते हैं। जबकि 25 मार्च 1971 के बाद असम आने वाले विदेशी भारतीय नागरिकता के लायक नहीं हैं। इस कानून को बरकरार रखते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा- हमने धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। हम किसी को अपने पड़ोसी चुनने की अनुमति नहीं दे सकते और यह उनके भाईचारे के सिद्धांत के खिलाफ है। हमारा सिद्धांत है जियो और जीने दो। उन्होंने जस्टिस सुंदरेश और जस्टिस मिश्रा की तरफ से भी फैसला पढ़ा।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने खुद अपना फैसला पढ़ा। उन्होंने कहा- असम समझौता बढ़ते प्रवास के मुद्दे का राजनीतिक समाधान था। इसमें जोड़ी गई धारा 6ए कानूनी समाधान था। केंद्र सरकार इस कानून को अन्य क्षेत्रों में भी लागू कर सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, क्योंकि वहां असम जैसी परिस्थितियां नहीं थीं। असम में जो लोग आए उनकी संस्कृति पर असम का प्रभाव था। उन्होंने कहा- धारा 6ए के खिलाफ याचिकाकर्ता ने जो दलील दी कि एक जातीय समूह दूसरे जातीय समूह की उपस्थिति के कारण अपनी भाषा और संस्कृति की रक्षा करने में सक्षम नहीं है। उन्हें इसे साबित करना होगा।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा- हमने यह दलील खारिज कर दी है कि 6ए कानून मनमाने ढंग से बनाया गया। 1966 से पहले और 1966 के बाद तथा 1971 से पहले आए प्रवासियों के लिए स्पष्ट रूप से परिभाषित शर्तें हैं। उन्होंने कहा- हमने माना है कि याचिकाकर्ता यह साबित नहीं कर पाए हैं कि अप्रवासियों के आने से असमिया संस्कृति और भाषा पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ा है। हम यह स्वीकार नहीं कर सकते कि असमिया लोगों के मतदान के अधिकार पर कोई प्रभाव पड़ा है।

NI Desk

Under the visionary leadership of Harishankar Vyas, Shruti Vyas, and Ajit Dwivedi, the Nayaindia desk brings together a dynamic team dedicated to reporting on social and political issues worldwide.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *