nayaindia gn saibaba life sentence cancelled जीएन साईबाबा हाई कोर्ट से बरी

जीएन साईबाबा हाई कोर्ट से बरी

मुंबई/दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाब को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने नक्सलियों से संबंध रखने और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोपों से बरी कर दिया है। पिछले 10 साल से गिरफ्तार साईबाबा के लिए यह बड़ी राहत की खबर है। gn saibaba life sentence cancelled

हालांकि महाराष्ट्र सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। असल में राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के बाद अपील की थी कि फैसले को छह हफ्ते के लिए निलंबित किया जाए लेकिन अदालत ने यह याचिका भी खारिज कर दी। इसके बाद राज्य सरकार हाई कोर्ट पहुंची।

संदेशखाली मामला सीबीआई को

बहरहाल, मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने नक्सलियों से कथित संबंध रखने के शक में गिरफ्तार किए गए जीएन साईबाबा और पांच अन्य आरोपियों को बरी कर दिया। हाई कोर्ट ने उनकी उम्रकैद की सजा रद्द कर दी है साथ ही उन्हें दोषसिद्धि के खिलाफ अपील करने की इजाजत भी दी गई है।

हाई कोर्ट की जस्टिस विनय जोशी और जस्टिस वाल्मिकी एसए मेनेजेस की बेंच ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया। साईबाबा के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून यानी यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

दो जजों की इस बेंच ने साईबाबा की अपील पर दोबारा सुनवाई की है। हाई कोर्ट ने इन्हें पहले भी बरी किया था, लेकिन सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश को रद्द कर दिया था। इस पर साईबाबा ने दोबारा अपील की थी। इस केस में साईबाबा के अलावा पांच अन्य आरोपी हेम मिश्रा, महेश तिर्की, विजय तिर्की, नारायण सांगलीकर, प्रशांत राही और पांडु नरोटे थे। नरोटे की पहले ही मौत हो चुकी है।

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साई बाबा फिलहाल जेल में बंद हैं। उन्हें मई 2014 में गिरफ्तार किया गया था। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाते थे। इससे पहले गढ़चिरौली की सुनवाई अदालत ने मार्च 2017 में साईबाबा और अन्य आरोपियों को दोषी ठहराया था।

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने 14 अक्टूबर 2022 साईबाबा को बरी कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जीएन साईबाबा को तुरंत जेल से रिहा कर दिया जाए। हालांकि सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले ही दिन 15 अक्टूबर को साईबाबा को बरी किए जाने के फैसले पर रोक लगा दी थी।

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने कहा था कि मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है, इसलिए अभी साईबाबा जेल से बाहर नहीं निकल पाएंगे।

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